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मऊ में फिर से पिलाई जाएंगी पोलियो ड्रॉप, सरकार से मिली हरी झण्डी

यूपी के मऊ में पल्स पोलियो कार्यक्रम की शुरुआत 20 सितंबर 2020 से होगी. इसके लिए प्रदेश सरकार से हरी झण्डी मिल गई है. जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ. आरके झा ने बताया कि पोलियो एक संक्रामक रोग है जो पोलियो विषाणु से मुख्‍यतः छोटे बच्‍चों में होता है.

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बैठक में कार्यक्रम के शुरूआत पर बातचीत.
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Published : Jun 17, 2020, 7:05 PM IST

मऊ: जनपद में लॉकडाउन के बाद स्थगित किए गए स्वास्थ्य संबंधित कार्यक्रम और योजनाओं को एक बार फिर से शुरू करने की हरी झंडी मिल गई है. यहां पल्स पोलियो कार्यक्रम की शुरुआत करने को लेकर स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण महानिदेशक मिथलेश चतुर्वेदी ने प्रदेश के समस्त मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को पत्र लिखा है. पत्र में 20 सितंबर 2020 से पल्स पोलियो अभियान शुरू करने का निर्देश दिया गया है.

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बैठक में कार्यक्रम के शुरूआत पर बातचीत.

मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. सतीश चंद सिंह ने बताया कि पल्स पोलियो अभियान को लेकर विभागीय तैयारियां शुरू कर दी गई हैं. जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ. आरके झा ने कहा कि पोलियो एक संक्रामक रोग है, जो पोलियो विषाणु से मुख्‍यतः छोटे बच्‍चों में होता है. यह बीमारी बच्‍चे के किसी भी अंग को जिन्‍दगी भर के लिये कमजोर कर देती है. पोलियो लाइलाज है, क्‍योंकि इसका लकवापन ठीक नहीं हो सकता है. बचाव ही इस बीमारी का एक मात्र उपाय है. पोलियो स्‍पाइनल कॉर्ड और मैडुला की बीमारी है. स्‍पाइनल कॉर्ड मनुष्‍य का वह हिस्‍सा है, जो रीड की हड्डी में होता है. पोलियो मांसपेशियों और हड्डी की बीमारी नहीं है. पोलियो वासरस ग्रसित बच्‍चों में से एक प्रतिशत से भी कम बच्‍चों में लकवा होता है. बच्चों मे पोलियो विषाणु के खिलाफ किसी प्रकार की प्रतिरोधक क्षमता नहीं होती है. इसी कारण यह बच्‍चों में होता है.

पोलियो से बचाव के उपाय
डॉ. आरके झा ने बताया कि पोलियो विषाणु के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता उत्‍पन्‍न के लिए 'नियमित टीकाकरण कार्यक्रम' और 'पल्‍स पोलियो अभियान’ के अंतर्गत पोलियो वैक्‍सीन की खुराक दी जाती है. यह सभी खुराक 5 वर्ष से कम उम्र के सभी बच्‍चों के लिये अत्‍यन्‍त आवश्‍यक है. बार-बार और एक साथ खुराक पिलाने से पूरे क्षेत्र के 5 वर्ष तक की आयु के सभी बच्‍चों में इस बीमारी से लड़ने की एक साथ क्षमता बढ़ती है. इससे पोलियो विषाणु को किसी भी बच्‍चे के शरीर में पनपने की जगह नहीं मिलेगी, जिससे पोलियो का खात्‍मा हो जाएगा.

मऊ: जनपद में लॉकडाउन के बाद स्थगित किए गए स्वास्थ्य संबंधित कार्यक्रम और योजनाओं को एक बार फिर से शुरू करने की हरी झंडी मिल गई है. यहां पल्स पोलियो कार्यक्रम की शुरुआत करने को लेकर स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण महानिदेशक मिथलेश चतुर्वेदी ने प्रदेश के समस्त मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को पत्र लिखा है. पत्र में 20 सितंबर 2020 से पल्स पोलियो अभियान शुरू करने का निर्देश दिया गया है.

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बैठक में कार्यक्रम के शुरूआत पर बातचीत.

मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. सतीश चंद सिंह ने बताया कि पल्स पोलियो अभियान को लेकर विभागीय तैयारियां शुरू कर दी गई हैं. जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ. आरके झा ने कहा कि पोलियो एक संक्रामक रोग है, जो पोलियो विषाणु से मुख्‍यतः छोटे बच्‍चों में होता है. यह बीमारी बच्‍चे के किसी भी अंग को जिन्‍दगी भर के लिये कमजोर कर देती है. पोलियो लाइलाज है, क्‍योंकि इसका लकवापन ठीक नहीं हो सकता है. बचाव ही इस बीमारी का एक मात्र उपाय है. पोलियो स्‍पाइनल कॉर्ड और मैडुला की बीमारी है. स्‍पाइनल कॉर्ड मनुष्‍य का वह हिस्‍सा है, जो रीड की हड्डी में होता है. पोलियो मांसपेशियों और हड्डी की बीमारी नहीं है. पोलियो वासरस ग्रसित बच्‍चों में से एक प्रतिशत से भी कम बच्‍चों में लकवा होता है. बच्चों मे पोलियो विषाणु के खिलाफ किसी प्रकार की प्रतिरोधक क्षमता नहीं होती है. इसी कारण यह बच्‍चों में होता है.

पोलियो से बचाव के उपाय
डॉ. आरके झा ने बताया कि पोलियो विषाणु के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता उत्‍पन्‍न के लिए 'नियमित टीकाकरण कार्यक्रम' और 'पल्‍स पोलियो अभियान’ के अंतर्गत पोलियो वैक्‍सीन की खुराक दी जाती है. यह सभी खुराक 5 वर्ष से कम उम्र के सभी बच्‍चों के लिये अत्‍यन्‍त आवश्‍यक है. बार-बार और एक साथ खुराक पिलाने से पूरे क्षेत्र के 5 वर्ष तक की आयु के सभी बच्‍चों में इस बीमारी से लड़ने की एक साथ क्षमता बढ़ती है. इससे पोलियो विषाणु को किसी भी बच्‍चे के शरीर में पनपने की जगह नहीं मिलेगी, जिससे पोलियो का खात्‍मा हो जाएगा.

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