मऊ: पहली और दूसरी लहर में कोरोना का प्रचंड रूप देखने के बाद अब डर तीसरी लहर को लेकर है. लखनऊ स्थित संजय गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान के नेफ्रोलॉजी विभाग के हेड ऑफ डिपार्टमेंट डॉक्टर नारायण प्रसाद ने तीसरी लहर को लेकर सावधानियां बरतने को कहा है. बच्चों के डॉक्टरों और स्टाफ नर्सों को प्रशिक्षित किया जा रहा है. अब तक कोरोना संक्रमण की पहली और दूसरी लहर में बुजुर्ग और युवा चपेट में आये हैं, लेकिन तीसरी लहर का बच्चों के ऊपर ज्यादा असर होने की आशंका है.
डॉक्टर नारायण ने बताया कि कोरोना संक्रमण का असर गुर्दे के बीमार लोगों पर ज्यादा होता है. इसका मुख्य कारण इम्युनिटी पावर का कम होना है. इसीलिए गुर्दे के ट्रांसप्लांट और डायलिसिस के बीमार मरीज इससे बचाव के सभी उपायों का पालन करें. 18 साल से कम उम्र के बच्चों का अभी वैक्सीनेशन नहीं हो रहा है. इसलिए खतरा उन लोगों पर ज्यादा बना हुआ है. भारत सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार ने इसको लेकर बच्चों के आईसीयू, वेंटीलेटर लगाने की पूरी तैयारी लगभग कर चुकी है. पेडियाट्रिक बैकग्राउंड के डॉक्टरों से संपर्क स्थापित किया जा रहा है. उस लहर के दौरान इन लोगों को प्रयोग में लाया जाएगा.
कोरोना गाइडलाइन का पालन जरुरी
कोरोना गाइडलाइन का पालन करने से ही बचाव संभव है. मास्क लगाना, 2 गज की दूरी बनाए रखना, जितना कम से कम घरों से बाहर निकलना एक बड़ा उपाय है. तीसरी लहर से बचने के लिए किडनी से ग्रसित मरीजों को विशेष ध्यान देने की जरूरत है. क्योंकि इनके अंदर इम्यूनिटी पावर बहुत ही कम बनती है. खासकर ट्रांसप्लांट व डायलिसिस वाले मरीज. इसलिए तीसरी लहर से पहले हमे सतर्क रहना होगा और कोविड 19 के नियमों का पालन करना होगा.
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