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एलोपैथिक डॉक्टरों ने की हड़ताल, जानिए क्यों - allopathic doctors strike in mau

आयुर्वेद के डॉक्टरों को सर्जरी की स्वीकृति दिए जाने से मऊ में शुक्रवार को एलोपैथिक डॉक्टरों ने हड़ताल कर दी. इस दौरान ओपीडी सेवा पूरी तरह बंद रही. केवल इमरजेंसी और कोरोना से जुड़े मरीजों का इलाज हुआ.

एलोपैथिक डॉक्टरों की हड़ताल
एलोपैथिक डॉक्टरों की हड़ताल
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Published : Dec 11, 2020, 4:45 PM IST

मऊ: आयुर्वेद के डॉक्टरों को सर्जरी की स्वीकृति दिए जाने के केंद्र सरकार के फैसले के खिलाफ इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के नेतृत्व में एलोपैथिक डॉक्टर विरोध कर रहे हैं. विरोध के तहत जिले में सभी एलोपैथिक डॉक्टरों ने हड़ताल कर दी. इस दौरान ओपीडी सेवा पूरी तरह बंद रही. केवल इमरजेंसी और कोरोना से जुड़े मरीजों का इलाज हुआ. डॉक्टरों ने सरकार से आयुर्वेद के डॉक्टरों को सर्जरी की स्वीकृति देने वाली अधिसूचना वापस लेने की मांग की.

जिले के आईएमए अध्यक्ष पीएल गुप्ता ने बताया कि केंद्र सरकार की ओर से आयुर्वेद के डॉक्टरों को मॉर्डन तकनीकी से इलाज करने की अनुमति दी जा रही है. यह स्वीकृति खिचड़ी व्यवस्था का स्वरूप बन गई है. आयुर्वेद को अलग रहने दें और एलोपैथ को अलग. दोनों को मिश्रित करने से रोगी के जीवन से खिलवाड़ होगा.

पीएल गुप्ता ने कहा कि आयुष पद्धति की हम बुराई नहीं करते हैं, लेकिन एक आयुर्वेद के डॉक्टर को बिना प्रशिक्षण के मॉर्डन तकनीकी सर्जरी की स्वीकृति देना सही नहीं है. केंद्र सरकार आयुर्वेद और एलोपैथ को खिचड़ी का स्वरूप दे रही है, जिसका आईएमए राष्ट्रीय स्तर पर विरोध कर रहा है.

डॉ. साहनी ने कहा कि सरकार की अधिसूचना से यूनानी, आयुर्वेद और एलोपैथ सभी मिश्रित हो जाएगा. कोई डॉक्टर ऑपरेशन करेगा और मॉर्डन दवाओं का इस्तेमाल करेगा, जबकि उसने इसके बारे में पढ़ाई तक नहीं की है. इस व्यवस्था से केवल मरीजों का नुकसान होगा.

मऊ: आयुर्वेद के डॉक्टरों को सर्जरी की स्वीकृति दिए जाने के केंद्र सरकार के फैसले के खिलाफ इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के नेतृत्व में एलोपैथिक डॉक्टर विरोध कर रहे हैं. विरोध के तहत जिले में सभी एलोपैथिक डॉक्टरों ने हड़ताल कर दी. इस दौरान ओपीडी सेवा पूरी तरह बंद रही. केवल इमरजेंसी और कोरोना से जुड़े मरीजों का इलाज हुआ. डॉक्टरों ने सरकार से आयुर्वेद के डॉक्टरों को सर्जरी की स्वीकृति देने वाली अधिसूचना वापस लेने की मांग की.

जिले के आईएमए अध्यक्ष पीएल गुप्ता ने बताया कि केंद्र सरकार की ओर से आयुर्वेद के डॉक्टरों को मॉर्डन तकनीकी से इलाज करने की अनुमति दी जा रही है. यह स्वीकृति खिचड़ी व्यवस्था का स्वरूप बन गई है. आयुर्वेद को अलग रहने दें और एलोपैथ को अलग. दोनों को मिश्रित करने से रोगी के जीवन से खिलवाड़ होगा.

पीएल गुप्ता ने कहा कि आयुष पद्धति की हम बुराई नहीं करते हैं, लेकिन एक आयुर्वेद के डॉक्टर को बिना प्रशिक्षण के मॉर्डन तकनीकी सर्जरी की स्वीकृति देना सही नहीं है. केंद्र सरकार आयुर्वेद और एलोपैथ को खिचड़ी का स्वरूप दे रही है, जिसका आईएमए राष्ट्रीय स्तर पर विरोध कर रहा है.

डॉ. साहनी ने कहा कि सरकार की अधिसूचना से यूनानी, आयुर्वेद और एलोपैथ सभी मिश्रित हो जाएगा. कोई डॉक्टर ऑपरेशन करेगा और मॉर्डन दवाओं का इस्तेमाल करेगा, जबकि उसने इसके बारे में पढ़ाई तक नहीं की है. इस व्यवस्था से केवल मरीजों का नुकसान होगा.

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