मऊ: वैश्विक महामारी कोरोना के संक्रमण को रोकने के लिए किए गए देशव्यापी लॉकडाउन से लाखों मजदूरों का रोजगार चला गया है. ऐसे में दूसरे प्रदेश में फंसे कामगार जैसे-तैसे अपने घर आने को मजबूर हैं. कोई पैदल आ रहा तो कोई साइकिल से तो कोई सरकार के द्वारा चलाई जा रही ट्रेन से, लेकिन अधिकांश कामगार ऐसे हैं, जो घर से पैसे मंगा कर रिजर्व बस से अपने घर वापस आ रहे हैं.
शनिवार की सुबह हिमाचल के सोलन से 31 कामगारों को लेकर एक निजी बस मऊ पहुंची. इस दौरान ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए कामगारों ने बताया कि हिमाचल में हालात बहुत ही दयनीय है. काम बंद हो जाने से पैसे नहीं हैं कि खाना खाया जाय. प्रशासन को फोन पर गुहार लगाने पर भी कोई नहीं सुनता. उन्होंने बताया कि जब घर आने के लिए वहां के अधिकारियों से मिला गया तो उन्होंने कोई साधन नहीं बताया. इतना कहा कि खुद की गाड़ी रिजर्व कराकर जाना चाहोगे तो पास मिल जाएगा.
कामगारों ने बताया कि 90 हजार में बस करके वे हिमाचल से मऊ आए हैं. सभी ने तीन-तीन हजार रुपये दिए हैं. काम दो महीने से बंद होने से पैसे नहीं थे, इसलिए घर से पैसा मंगा कर हम लोग वापस आए हैं.
उन्होंने बताया कि हिमाचल प्रदेश में अभी भी सैकड़ों लोग फंसे हुए हैं. उनके पास किराए के पैसे नहीं हैं कि वे बस से घर आ जाएं. वह इंतजार कर रहे हैं कि सरकार कोई मदद करे. वहां सरकार कोई मदद नहीं कर रही है.
दिल्ली से साइकिल चलाकर मऊ पहुंचे मजदूर, ईटीवी भारत से बयां किया दर्द
कामगारों ने बताया कि घर से दूर कोई नहीं जाना चाहता है, लेकिन यहां काम मिलता नहीं है. एक दिन काम मिला तो तीन दिन नहीं. ऐसे में मजबूरी में अन्य प्रदेशों में जाना पड़ता है. वहां प्रतिदिन काम मिल जाता है. अब गांव में ही रहकर कुछ खेती किया जाएगा. मनरेगा में काम करके कुछ पैसा मिल जाएगा.