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वृंदावन मिनी कुंभ मेला: बसंत पंचमी के दिन निकलेगी भव्य शोभायात्रा

मथुरा स्थित काठिया बाबा आश्रम सदियों से वृंदावन कुंभ बैठक मेले का श्रीगणेश करने की परंपरा निभाता आ रहा है. इस बार भी कुंभ मेले की ध्वजा भव्य शोभायात्रा के साथ यहीं से निकाली जाएगी. इसमें हाथी, घोड़े और ऊंटों की सवारी के साथ संत-महंत, महामंडलेश्वर और श्रद्धालुओं की टोलियां शामिल होंगी.

हाथी, घोड़े और उंटों के साथ निकलेगी शाही ध्वजा शोभायात्रा
हाथी, घोड़े और उंटों के साथ निकलेगी शाही ध्वजा शोभायात्रा
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Published : Feb 3, 2021, 5:57 PM IST

मथुरा: वृंदावन के राजपुर गांव स्थित काठिया बाबा आश्रम से सदियों से मिनी कुंभ की शाही ध्वजा शोभायात्रा निकाली जाती रही है. इसमें हाथी, घोड़े, ऊंट साधु-संतों की टोली शामिल होती है. इस बार भी 16 फरवरी को बसंत पंचमी के दिन वृंदावन में शाही शोभायात्रा निकाली जाएगी. इस शोभायात्रा में हजारों साधु-संत वृंदावन कस्बे में भ्रमण करने के बाद यमुना नदी के किनारे भूमि पूजन करेंगे. इसके साथ ही मिनी कुंभ का आगाज हो जाएगा.

हाथी, घोड़े और उंटों के साथ निकलेगी शाही ध्वजा शोभायात्रा.

काठिया बाबा आश्रम का इतिहास
बृज विदेही चतुर संप्रदाय के महंतों का काठिया बाबा आश्रम चार एकड़ में स्थापित है. काठिया बाबा आश्रम से ही वृंदावन मिनी कुंभ का शुभारंभ होता है. बसंत पंचमी 16 फरवरी को आश्रम से शाही ध्वजा शोभायात्रा को बैंड बाजों की धुन पर निकाला जाएगा. पिछले 300 वर्षों से चतुर संप्रदाय के महंत ही मिनी कुंभ की परंपरा का निर्वहन करते आ रहे हैं.

शोभायात्रा में हाथी, घोड़े, ऊंट भी होंगे शामिल
वृंदावन के मिनी कुंभ से पहले कस्बे में बसंत पंचमी के दिन शाही शोभायात्रा निकाली जाएगी. इस बार दो हाथी, 11 घोड़े और 4 ऊंट शोभायात्रा में शामिल होंगे. बैंड-बाजे, साधु-संतों की टोलियां भजन कीर्तन करते हुए मिनी कुंभ स्थल यानी यमुना नदी के किनारे भूमि पूजन करेंगी. इसके बाद यमुना नदी में साधु संतों के स्नान के बाद मिनी कुंभ की शुरुआत हो जाएगी.

ये करेंगे शाही ध्वजा शोभायात्रा का नेतृत्व
काठिया बाबा आश्रम बृज विदेही चतुर संप्रदाय के महंत रासबिहारी दास महाराज पिछले चार साल से मिनी कुंभ से पहले निकलने वाली शाही ध्वजा शोभायात्रा का नेतृत्व करते आ रहे हैं. पिछले 300 सालों में अब तक 56 महंतों ने ध्वजा का नेतृत्व किया है. इस बार काठिया बाबा महंत रासबिहारी महाराज 57 वें महंत के रूप में शाही ध्वजा शोभायात्रा का नेतृत्व करेंगे.

होती है बैठक

काठिया बाबा आश्रम के महंत रासबिहारी दास महाराज ने बताया कि हरिद्वार कुंभ से पहले वृंदावन में साधु संत की बैठक वृंदावन में एकत्रित होती है. सभी साधु संतों को प्रचार-प्रसार के माध्यम से प्रवचन के माध्यम से सूचनाएं प्राप्त हो जाती हैं. उसके बाद सभी साधु संत वृंदावन मिनी कुंभ में पहुंचते हैं. यह परंपरा सदियों से चली आ रही है.

मथुरा: वृंदावन के राजपुर गांव स्थित काठिया बाबा आश्रम से सदियों से मिनी कुंभ की शाही ध्वजा शोभायात्रा निकाली जाती रही है. इसमें हाथी, घोड़े, ऊंट साधु-संतों की टोली शामिल होती है. इस बार भी 16 फरवरी को बसंत पंचमी के दिन वृंदावन में शाही शोभायात्रा निकाली जाएगी. इस शोभायात्रा में हजारों साधु-संत वृंदावन कस्बे में भ्रमण करने के बाद यमुना नदी के किनारे भूमि पूजन करेंगे. इसके साथ ही मिनी कुंभ का आगाज हो जाएगा.

हाथी, घोड़े और उंटों के साथ निकलेगी शाही ध्वजा शोभायात्रा.

काठिया बाबा आश्रम का इतिहास
बृज विदेही चतुर संप्रदाय के महंतों का काठिया बाबा आश्रम चार एकड़ में स्थापित है. काठिया बाबा आश्रम से ही वृंदावन मिनी कुंभ का शुभारंभ होता है. बसंत पंचमी 16 फरवरी को आश्रम से शाही ध्वजा शोभायात्रा को बैंड बाजों की धुन पर निकाला जाएगा. पिछले 300 वर्षों से चतुर संप्रदाय के महंत ही मिनी कुंभ की परंपरा का निर्वहन करते आ रहे हैं.

शोभायात्रा में हाथी, घोड़े, ऊंट भी होंगे शामिल
वृंदावन के मिनी कुंभ से पहले कस्बे में बसंत पंचमी के दिन शाही शोभायात्रा निकाली जाएगी. इस बार दो हाथी, 11 घोड़े और 4 ऊंट शोभायात्रा में शामिल होंगे. बैंड-बाजे, साधु-संतों की टोलियां भजन कीर्तन करते हुए मिनी कुंभ स्थल यानी यमुना नदी के किनारे भूमि पूजन करेंगी. इसके बाद यमुना नदी में साधु संतों के स्नान के बाद मिनी कुंभ की शुरुआत हो जाएगी.

ये करेंगे शाही ध्वजा शोभायात्रा का नेतृत्व
काठिया बाबा आश्रम बृज विदेही चतुर संप्रदाय के महंत रासबिहारी दास महाराज पिछले चार साल से मिनी कुंभ से पहले निकलने वाली शाही ध्वजा शोभायात्रा का नेतृत्व करते आ रहे हैं. पिछले 300 सालों में अब तक 56 महंतों ने ध्वजा का नेतृत्व किया है. इस बार काठिया बाबा महंत रासबिहारी महाराज 57 वें महंत के रूप में शाही ध्वजा शोभायात्रा का नेतृत्व करेंगे.

होती है बैठक

काठिया बाबा आश्रम के महंत रासबिहारी दास महाराज ने बताया कि हरिद्वार कुंभ से पहले वृंदावन में साधु संत की बैठक वृंदावन में एकत्रित होती है. सभी साधु संतों को प्रचार-प्रसार के माध्यम से प्रवचन के माध्यम से सूचनाएं प्राप्त हो जाती हैं. उसके बाद सभी साधु संत वृंदावन मिनी कुंभ में पहुंचते हैं. यह परंपरा सदियों से चली आ रही है.

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