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शहीद के स्मारक पर पहुंचा पाकिस्तान के छक्के छुड़ा देना वाला खास टैंक, लोगों ने जताई खुशी - सेना खास टैंक शहीद स्मारक

भारत-पाक की लड़ाई में दुश्मन देश के छक्के छुड़ा देने वाला खास टैंक (Mathura Martyrs Memorial Tank) मथुरा पहुंच गया. इस टैंक को शहीद के स्मारक पर स्थापित कर दिया गया है.

शहीद के स्मारक पर पहुंचा टैंक.
शहीद के स्मारक पर पहुंचा टैंक.
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Oct 5, 2023, 5:44 PM IST

Updated : Oct 5, 2023, 5:51 PM IST

शहीद के स्मारक पर पहुंचा टैंक.

मथुरा : जिले के फरह क्षेत्र के गांव चांदीपुर के बबलू सिंह आंतकवादियों से लाोहा लेते हुए शहीद हो गए थे. गांव झंडीपुर में उनका स्मारक है. बुधवार की रात यहां पुणे से लाया गया आर्मी का टैंक (T55) रखवाया गया. इसके बाद पूरे गांव के लोग काफी खुश नजर आ रहे हैं. उन्होंने इस सम्मान पर खुशी जताई. कहा कि ऐसा सम्मान शायद ही किसी शहीद को मिला हो. वहीं परिवार के लोगों ने भी इस पर खुशी जताई है.

2016 में शहीद हो गए थे बबलू सिंह : बता दें कि चांदीपुर गांव के बबलू चौधरी 2005 में 18वीं जाट बटालियन में भर्ती हुए थे. 2016 में 61 राष्ट्रीय राइफल के साथ आतंकवाद विरोधी अभियान में 29 जुलाई की मध्य रात्रि आतंकवादियों से लोहा लेते हुए नौगांव सेक्टर में बबलू चौधरी शहीद हो गए थे. छह घंटे तक यह मुठभेड़ हुई थी. उनके अदम्य साहस, कर्तव्य के प्रति निष्ठा को देखते हुए उन्हें शहीद होने के बाद सेना मेडल से भी सम्मानित किया गया था. वहीं शहीद के परिजनों का कहना है कि वर्ष 2019 में भारतीय सेना व भारत सरकार से ग्राम पंचायत झंडीपुर ने शहीद बबलू के स्मारक पार्क में टैंक रखवाए जाने का आग्रह किया था. आग्रह स्वीकार करते हुए सेना ने टी 55 टैंक रखवाने का आदेश कर दिया. बुधवार को गांव में टैंक स्थापित हुआ. इसे देखकर पूरे गांव में जश्न का माहौल हो गया.

गांव के लोगों ने जताई खुशी.
गांव के लोगों ने जताई खुशी.

काफी दिनों से टैंक के लिए थे प्रयासरत : शहीद बबलू चौधरी के भाई सतीश चौधरी ने बताया कि भाई की कमी तो कोई पूरी नहीं कर सकता है. इस टैंक के आने से खुशी है. जिस तरह से भारत सरकार और राज्य सरकार ने शहीद के सम्मान में टैंक भेजा है, वह बहुत सम्मान की बात है. यह भारत का सबसे बड़ा युद्ध टैंक है. इसने न जाने कितनी लड़ाइयों में पाकिस्तान के छक्के छुड़ा दिए थे. इस टैंक के हमारे गांव में आने से पूरे गांव वालों में खुशी है. पहले हम लोगों ने सोचा था कि यह असंभव है, यह कभी नहीं हो सकता. मैंने इसके लिए काफी प्रयास किया. सब कह रहे थे कि यह नहीं हो सकता, लेकिन मैं प्रयास करता रहा. टैंक गांव में पहुंचा तो लगा कि मुराद पूरी हो गई. T55 टैंक ने 1962, 1971 समेत तीन युद्ध में पाकिस्तान को धूल चटा दी थी.

यह भी पढ़ें : शहीद स्मारक की मांग को लेकर बर्फ की सिल्लियों पर लेटकर प्रदर्शन

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शहीद के स्मारक पर पहुंचा टैंक.

मथुरा : जिले के फरह क्षेत्र के गांव चांदीपुर के बबलू सिंह आंतकवादियों से लाोहा लेते हुए शहीद हो गए थे. गांव झंडीपुर में उनका स्मारक है. बुधवार की रात यहां पुणे से लाया गया आर्मी का टैंक (T55) रखवाया गया. इसके बाद पूरे गांव के लोग काफी खुश नजर आ रहे हैं. उन्होंने इस सम्मान पर खुशी जताई. कहा कि ऐसा सम्मान शायद ही किसी शहीद को मिला हो. वहीं परिवार के लोगों ने भी इस पर खुशी जताई है.

2016 में शहीद हो गए थे बबलू सिंह : बता दें कि चांदीपुर गांव के बबलू चौधरी 2005 में 18वीं जाट बटालियन में भर्ती हुए थे. 2016 में 61 राष्ट्रीय राइफल के साथ आतंकवाद विरोधी अभियान में 29 जुलाई की मध्य रात्रि आतंकवादियों से लोहा लेते हुए नौगांव सेक्टर में बबलू चौधरी शहीद हो गए थे. छह घंटे तक यह मुठभेड़ हुई थी. उनके अदम्य साहस, कर्तव्य के प्रति निष्ठा को देखते हुए उन्हें शहीद होने के बाद सेना मेडल से भी सम्मानित किया गया था. वहीं शहीद के परिजनों का कहना है कि वर्ष 2019 में भारतीय सेना व भारत सरकार से ग्राम पंचायत झंडीपुर ने शहीद बबलू के स्मारक पार्क में टैंक रखवाए जाने का आग्रह किया था. आग्रह स्वीकार करते हुए सेना ने टी 55 टैंक रखवाने का आदेश कर दिया. बुधवार को गांव में टैंक स्थापित हुआ. इसे देखकर पूरे गांव में जश्न का माहौल हो गया.

गांव के लोगों ने जताई खुशी.
गांव के लोगों ने जताई खुशी.

काफी दिनों से टैंक के लिए थे प्रयासरत : शहीद बबलू चौधरी के भाई सतीश चौधरी ने बताया कि भाई की कमी तो कोई पूरी नहीं कर सकता है. इस टैंक के आने से खुशी है. जिस तरह से भारत सरकार और राज्य सरकार ने शहीद के सम्मान में टैंक भेजा है, वह बहुत सम्मान की बात है. यह भारत का सबसे बड़ा युद्ध टैंक है. इसने न जाने कितनी लड़ाइयों में पाकिस्तान के छक्के छुड़ा दिए थे. इस टैंक के हमारे गांव में आने से पूरे गांव वालों में खुशी है. पहले हम लोगों ने सोचा था कि यह असंभव है, यह कभी नहीं हो सकता. मैंने इसके लिए काफी प्रयास किया. सब कह रहे थे कि यह नहीं हो सकता, लेकिन मैं प्रयास करता रहा. टैंक गांव में पहुंचा तो लगा कि मुराद पूरी हो गई. T55 टैंक ने 1962, 1971 समेत तीन युद्ध में पाकिस्तान को धूल चटा दी थी.

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Last Updated : Oct 5, 2023, 5:51 PM IST
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