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..तो जनपद मथुरा में कागजों पर चल रहा उपचार और ऑक्सीजन देने का काम - नोडल अधिकारी डॉ. भूदेव सिंह

एक तरफ लोग ऑक्सीजन की कमी और समय पर उपचार न मिलने से तड़प-तड़प कर दम तोड़ रहे हैं, वहीं शासन-प्रशासन ऑक्सीजन और बेड की पर्याप्त मात्रा बताकर जले पर नमक छिड़क रहा है. ऐसे में प्रश्न उठता है कि क्या जनपद मथुरा में केवल कागजों पर लोगों को ऑक्सीजन और पर्याप्त उपचार मिल रहा है.

..तो जनपद मथुरा में कागजों पर चल रहा उपचार और ऑक्सीजन देने का काम
..तो जनपद मथुरा में कागजों पर चल रहा उपचार और ऑक्सीजन देने का काम
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Published : May 2, 2021, 6:41 PM IST

मथुरा : जिला अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी के चलते लगातार भारी संख्या में मरीज दम तोड़ रहे हैं. ऐसा ही हाल जनपद के अन्य कोविड फैसिलिटी अस्पतालों का भी है. वहीं, कोरोना काल में अपनों को खो चुके परिजनों का आरोप है कि शासन प्रशासन मृतकों के आखिरी छुपाने में जुटा हुआ है.

..तो जनपद मथुरा में कागजों पर चल रहा उपचार और ऑक्सीजन देने का काम
आखिर क्यों सरकारी आंकड़ों से अलग है जमीनी हकीकत

जनपद में लगातार ऑक्सीजन की कमी और सही समय पर उपचार ना मिलने से लोगों की मौत हो रही है. लेकिन मृतकों का आंकड़ा सरकारी आंकड़ों से भिन्न नजर आता है. ऐसा ही एक मामला जिला अस्पताल मथुरा में देखने को मिला. यहां ऑक्सीजन की कमी के चलते और लापरवाही के कारण कोतवाली थाना क्षेत्र की रहने वाली 78 वर्षीय महिला माया देवी की जिला अस्पताल में मौत हो गई.

पुत्र दीपक गुप्ता ने जानकारी देते हुए बताया कि उसकी माता जी लगभग एक हफ्ते से जिला अस्पताल मथुरा में भर्ती थीं. शुरुआत में जिला अस्पताल में एक से 2 दिन ऑक्सीजन सिलेंडर दिया गया. इसके बाद अस्पताल प्रशासन द्वारा कह दिया गया कि उनके पास ऑक्सीजन की कोई व्यवस्था नहीं है. बताया, 'मैंने स्वयं दो बड़े ऑक्सीजन के सिलेंडरों की व्यवस्था की जिसके बाद इन ऑक्सीजन सिलेंडरों में मोटी रकम खर्चकर रोज ऑक्सीजन भरवाता और अपनी मां के लिए अस्पताल ला रहा था'.

यह भी पढ़ें : कोरोना जांच के लिए अस्पताल में लगी लंबी लाइन

सबको अपनी नेतागिरी चमकानी है

बताया, 'डॉक्टरों की लापरवाही के चलते मेरी माता जी की मृत्यु हो चुकी है. कोई भी चिकित्सक देखने के लिए नहीं आता और ना ही उनके द्वारा कोई ट्रीटमेंट दिया जाता है. ऊर्जा मंत्री द्वारा अस्पताल का निरीक्षण किया गया था. लेकिन उसके बाद भी कुछ भी नहीं हो पाया. सबको अपनी नेतागिरी चमकानी है. जिला अस्पताल में सैकड़ों लोगों की इसी तरह से मौत हो रही है. किसी को कोई फर्क नहीं पड़ रहा'.

बताया कि जब परेशानी में उन लोगों ने जिलाधिकारी को फोन किया तो उन्होंने कहा बहुत ऑक्सीजन है. डिप्टी कलेक्टर को फोन किया तो उन्होंने भी कहा कि बहुत ऑक्सीजन है. सीएमएस साहब को फोन किया तो उन्होंने भी वही जवाब दिया. लेकिन आखिर ऑक्सीजन है कहां. अगर ऑक्सीजन है तो लोगों को मिल क्यों नहीं रही है.

नोडल अधिकारी ने दी जानकारी

जब इस संबंध में नोडल अधिकारी डॉ. भूदेव सिंह से बात की गई तो उन्होंने बताया कि ऑक्सीजन और बेड की समस्या को देखते हुए सभी जगह अधिकारियों को नियुक्त कर दिया गया है. ऑक्सीजन के लिए डिमांड लगातार बढ़ती जा रही है क्योंकि जनपद में मरीज ऐसे मिल रहे हैं जिन्हें ऑक्सीजन की आवश्यकता है. कई मरीज ऐसे भी हैं जो कोविड पॉजिटिव नहीं हैं. उनकी संख्या भी निरंतर बढ़ती जा रही है. इसके चलते अस्पतालों पर अतिरिक्त दबाव पड़ रहा है. इमरजेंसी में और बेड बढ़ाई गई हैं. लगातार ऑक्सीजन और बेड बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है.

मथुरा : जिला अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी के चलते लगातार भारी संख्या में मरीज दम तोड़ रहे हैं. ऐसा ही हाल जनपद के अन्य कोविड फैसिलिटी अस्पतालों का भी है. वहीं, कोरोना काल में अपनों को खो चुके परिजनों का आरोप है कि शासन प्रशासन मृतकों के आखिरी छुपाने में जुटा हुआ है.

..तो जनपद मथुरा में कागजों पर चल रहा उपचार और ऑक्सीजन देने का काम
आखिर क्यों सरकारी आंकड़ों से अलग है जमीनी हकीकत

जनपद में लगातार ऑक्सीजन की कमी और सही समय पर उपचार ना मिलने से लोगों की मौत हो रही है. लेकिन मृतकों का आंकड़ा सरकारी आंकड़ों से भिन्न नजर आता है. ऐसा ही एक मामला जिला अस्पताल मथुरा में देखने को मिला. यहां ऑक्सीजन की कमी के चलते और लापरवाही के कारण कोतवाली थाना क्षेत्र की रहने वाली 78 वर्षीय महिला माया देवी की जिला अस्पताल में मौत हो गई.

पुत्र दीपक गुप्ता ने जानकारी देते हुए बताया कि उसकी माता जी लगभग एक हफ्ते से जिला अस्पताल मथुरा में भर्ती थीं. शुरुआत में जिला अस्पताल में एक से 2 दिन ऑक्सीजन सिलेंडर दिया गया. इसके बाद अस्पताल प्रशासन द्वारा कह दिया गया कि उनके पास ऑक्सीजन की कोई व्यवस्था नहीं है. बताया, 'मैंने स्वयं दो बड़े ऑक्सीजन के सिलेंडरों की व्यवस्था की जिसके बाद इन ऑक्सीजन सिलेंडरों में मोटी रकम खर्चकर रोज ऑक्सीजन भरवाता और अपनी मां के लिए अस्पताल ला रहा था'.

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सबको अपनी नेतागिरी चमकानी है

बताया, 'डॉक्टरों की लापरवाही के चलते मेरी माता जी की मृत्यु हो चुकी है. कोई भी चिकित्सक देखने के लिए नहीं आता और ना ही उनके द्वारा कोई ट्रीटमेंट दिया जाता है. ऊर्जा मंत्री द्वारा अस्पताल का निरीक्षण किया गया था. लेकिन उसके बाद भी कुछ भी नहीं हो पाया. सबको अपनी नेतागिरी चमकानी है. जिला अस्पताल में सैकड़ों लोगों की इसी तरह से मौत हो रही है. किसी को कोई फर्क नहीं पड़ रहा'.

बताया कि जब परेशानी में उन लोगों ने जिलाधिकारी को फोन किया तो उन्होंने कहा बहुत ऑक्सीजन है. डिप्टी कलेक्टर को फोन किया तो उन्होंने भी कहा कि बहुत ऑक्सीजन है. सीएमएस साहब को फोन किया तो उन्होंने भी वही जवाब दिया. लेकिन आखिर ऑक्सीजन है कहां. अगर ऑक्सीजन है तो लोगों को मिल क्यों नहीं रही है.

नोडल अधिकारी ने दी जानकारी

जब इस संबंध में नोडल अधिकारी डॉ. भूदेव सिंह से बात की गई तो उन्होंने बताया कि ऑक्सीजन और बेड की समस्या को देखते हुए सभी जगह अधिकारियों को नियुक्त कर दिया गया है. ऑक्सीजन के लिए डिमांड लगातार बढ़ती जा रही है क्योंकि जनपद में मरीज ऐसे मिल रहे हैं जिन्हें ऑक्सीजन की आवश्यकता है. कई मरीज ऐसे भी हैं जो कोविड पॉजिटिव नहीं हैं. उनकी संख्या भी निरंतर बढ़ती जा रही है. इसके चलते अस्पतालों पर अतिरिक्त दबाव पड़ रहा है. इमरजेंसी में और बेड बढ़ाई गई हैं. लगातार ऑक्सीजन और बेड बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है.

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