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यूपी के इस शहर में होती है रावण की पूजा, उतारी जाती है आरती, मथुरा से भी है लंकापति का नाता - विजयदशमी 2023

मथुरा से भी लंकापति रावण का नाता रहा है. यहां के लोग रावण का पुतला नहीं जलाते (Mathura Ravana Puja Tradition) हैं, बल्कि हर साल रावण की आरती उतारकर उसकी पूजा की जाती है.

मथुरा में रावण की पूजा की जाती है.
मथुरा में रावण की पूजा की जाती है.
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Oct 24, 2023, 4:47 PM IST

मथुरा में रावण की पूजा की जाती है.

मथुरा : असत्य पर सत्य की विजय का प्रतीक विजयदशमी का पर्व देश में हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है. लगभग सभी जगहों पर रावण का पुतला भी दहन किया जाता है, लेकिन मुथरा में काफी लोग ऐसा नहीं करते हैं. वे इस खास दिन पर लंकापति रावण की पूजा करते हैं. रावण की वेशभूषा पहने कलाकार की आरती भी उतारी जाती है. मंगलवार को विधि विधान से लंकेश्वर भक्त मंडल समिति के कार्यकर्ताओं ने सदर बाजार में यमुना नदी के किनारे बने प्राचीन शिव मंदिर में महाआरती की. इसके बाद रावण का पुतला जलाने का विरोध किया.

हर साल की जाती है पूजा : शहर के यमुना नदी के किनारे शिव मंदिर में विजयदशमी के पर्व पर सारस्वत समाज के लोग लंकेश्वर भक्त मंडल समिति के बैनर तले लंकापति रावण की विधि-विधान से पूजा करने के बाद महाआरती उतारते हैं. रावण भी भोलेनाथ की आराधना करता था. पिछले कई वर्षों से लंकेश भक्त मंडल द्वारा मंदिर में रावण की महाआरती उतारी जाती है, और रावण के पुतला जलाने का विरोध किया जाता है. इस बार भी ये सिलसिला कायम रहा.

हर साल की जाती है रावण की पूजा.
हर साल की जाती है रावण की पूजा.

हर साल पुतला जलाना मानते हैं अनुचित : असत्य पर सत्य की विजय का प्रतीक विजयदशमी का पर्व रावण का पुतला दहन करके मनाया जाता है. जनपद में सारस्वत समाज के लोग रावण का पुतला जलाने का विरोध करते हैं. उनका कहना है कि लंकापति रावण प्रचंड विद्वान और वेदों का ज्ञाता था. भगवान शिव की आराधना करता था. मर्यादा पुरुषोत्तम राम ने भी रावण की शिव के प्रति भक्ति और महाशक्तियों का समावेश देखकर कहा था कि इस संसार में रावण के बराबर कोई विद्वान कोई नहीं होगा. हिंदू संस्कृति के अनुसार मरे हुए व्यक्ति का एक बार ही पुतला जलाया जाता है, न कि बार बार. लेकिन हर साल विजयदशमी के पर्व पर रावण का पुतला दहन किया जाता है. यह अनुचित है.

मथुरा से भी लंकापति रावण का रिश्ता : त्रेता युग में मर्यादा पुरुषोत्तम राम का जन्म अयोध्या में हुआ था. असुरों का वध करने के बाद लंकापति रावण का भी वध राम ने किया था. त्रेता युग में लंकापति रावण का रिश्ता मथुरा से भी रहा है. रावण की दो बहनें सूपर्णखा और दूसरी कुंभिनी थी. कुंभिनी का विवाह मधु राक्षस के साथ मथुरा में हुआ था. मथुरा का प्राचीन नाम मधुपुरा था.अपनी बहन से मिलने के लिए लंकापति रावण मधुपुरा आता-जाता रहता था. यमुना नदी के किनारे ही प्राचीन शिव मंदिर में वह आराधना भी करता था. कुंभिनी राक्षस लवणासुर की मां थी. इसलिए रावण का मथुरा से पुराना नाता रहा है.

पुतला जलाने की कुप्रथा बंद होनी चाहिए : लंकेश्वर भक्त मंडल समिति के अध्यक्ष ओमवीर सारस्वत ने बताया हिंदू संस्कृति में मरे हुए व्यक्ति का एक बार ही पुतला जलाया जाता है, लेकिन हर बार रावण का पुतला जलाना अनुचित है. दशानंद रावण भगवान शिव का भक्त था. तीनों वेदों का ज्ञाता और महान शक्तिशाली था. ऐसे में रावण का हर साल पुतला जलाना अनुचित नहीं है. रावण की वेशभूषा में सजे कलाकार जमुना प्रसाद ने बताया कि रावण का पुतला जलाने की कुप्रथा बंद होनी चाहिए. रावण महा ज्ञानी था.

यह भी पढ़ें : यहां होती है रावण की पूजा, सिर्फ दशहरे पर खुलते हैं मंदिर के कपाट

प्रयागराज में रावण का नहीं होता दहन, निकाली जाती है शोभायात्रा, जानिए क्या है लंकापति का यहां से नाता

मथुरा में रावण की पूजा की जाती है.

मथुरा : असत्य पर सत्य की विजय का प्रतीक विजयदशमी का पर्व देश में हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है. लगभग सभी जगहों पर रावण का पुतला भी दहन किया जाता है, लेकिन मुथरा में काफी लोग ऐसा नहीं करते हैं. वे इस खास दिन पर लंकापति रावण की पूजा करते हैं. रावण की वेशभूषा पहने कलाकार की आरती भी उतारी जाती है. मंगलवार को विधि विधान से लंकेश्वर भक्त मंडल समिति के कार्यकर्ताओं ने सदर बाजार में यमुना नदी के किनारे बने प्राचीन शिव मंदिर में महाआरती की. इसके बाद रावण का पुतला जलाने का विरोध किया.

हर साल की जाती है पूजा : शहर के यमुना नदी के किनारे शिव मंदिर में विजयदशमी के पर्व पर सारस्वत समाज के लोग लंकेश्वर भक्त मंडल समिति के बैनर तले लंकापति रावण की विधि-विधान से पूजा करने के बाद महाआरती उतारते हैं. रावण भी भोलेनाथ की आराधना करता था. पिछले कई वर्षों से लंकेश भक्त मंडल द्वारा मंदिर में रावण की महाआरती उतारी जाती है, और रावण के पुतला जलाने का विरोध किया जाता है. इस बार भी ये सिलसिला कायम रहा.

हर साल की जाती है रावण की पूजा.
हर साल की जाती है रावण की पूजा.

हर साल पुतला जलाना मानते हैं अनुचित : असत्य पर सत्य की विजय का प्रतीक विजयदशमी का पर्व रावण का पुतला दहन करके मनाया जाता है. जनपद में सारस्वत समाज के लोग रावण का पुतला जलाने का विरोध करते हैं. उनका कहना है कि लंकापति रावण प्रचंड विद्वान और वेदों का ज्ञाता था. भगवान शिव की आराधना करता था. मर्यादा पुरुषोत्तम राम ने भी रावण की शिव के प्रति भक्ति और महाशक्तियों का समावेश देखकर कहा था कि इस संसार में रावण के बराबर कोई विद्वान कोई नहीं होगा. हिंदू संस्कृति के अनुसार मरे हुए व्यक्ति का एक बार ही पुतला जलाया जाता है, न कि बार बार. लेकिन हर साल विजयदशमी के पर्व पर रावण का पुतला दहन किया जाता है. यह अनुचित है.

मथुरा से भी लंकापति रावण का रिश्ता : त्रेता युग में मर्यादा पुरुषोत्तम राम का जन्म अयोध्या में हुआ था. असुरों का वध करने के बाद लंकापति रावण का भी वध राम ने किया था. त्रेता युग में लंकापति रावण का रिश्ता मथुरा से भी रहा है. रावण की दो बहनें सूपर्णखा और दूसरी कुंभिनी थी. कुंभिनी का विवाह मधु राक्षस के साथ मथुरा में हुआ था. मथुरा का प्राचीन नाम मधुपुरा था.अपनी बहन से मिलने के लिए लंकापति रावण मधुपुरा आता-जाता रहता था. यमुना नदी के किनारे ही प्राचीन शिव मंदिर में वह आराधना भी करता था. कुंभिनी राक्षस लवणासुर की मां थी. इसलिए रावण का मथुरा से पुराना नाता रहा है.

पुतला जलाने की कुप्रथा बंद होनी चाहिए : लंकेश्वर भक्त मंडल समिति के अध्यक्ष ओमवीर सारस्वत ने बताया हिंदू संस्कृति में मरे हुए व्यक्ति का एक बार ही पुतला जलाया जाता है, लेकिन हर बार रावण का पुतला जलाना अनुचित है. दशानंद रावण भगवान शिव का भक्त था. तीनों वेदों का ज्ञाता और महान शक्तिशाली था. ऐसे में रावण का हर साल पुतला जलाना अनुचित नहीं है. रावण की वेशभूषा में सजे कलाकार जमुना प्रसाद ने बताया कि रावण का पुतला जलाने की कुप्रथा बंद होनी चाहिए. रावण महा ज्ञानी था.

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