मथुरा: इको फ्रेंडली दिवाली मनाने के लिए जिला कारागार में बंद विचाराधीन कैदियों ने अपने हाथों से मिट्टी के दीपक, लक्ष्मी-गणेश, मोमबत्तिया और अगरबत्तियां तैयार की हैं. इन कैदियों को रोजगार स्वावलंबी बनाने के लिए जिला कारागार में यह अनोखी पहल की गई है. जिला जेल अधिकारियों के अनुसार पिछले कई वर्षों से यहां कैदी दिवाली पर मिट्टी के खिलौने और होली पर रंग बिरंगे गुलाल तैयार करते हैं. इस बार दिवाली के अवसर पर कैदियों ने 1000 से ज्यादा मिट्टी के दीपक और 100 जोड़ी लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियां तैयार की हैं.
जिला कारागार में पिछले कई वर्षों से बंद विचाराधीन कैदियों को रोजगार आत्मनिर्भर बनाने के लिए अनोखा प्रशिक्षण दिया जा रहा है. लिहाजा, कैदी मिट्टी के दीपक, लक्ष्मी-गणेश, मोमबत्तियां और अगरबत्तियां तैयार कर रहे हैं. इस बार कैदियों ने 1000 से ज्यादा दीपक, 100 जोड़ी लक्ष्मी-गणेण की मूर्तियां बनाई हैं. इस बार दिवाली को इको फ्रेंडली बनाने के लिए जेल में 15 दिन पूर्व ही तैयारियां शुरू हो गईं थी. पिछले कई वर्षों से विचाराधीन कैदी होली के अवसर पर रंग बिरंगे गुलाल भी तैयार करते हैं.
विचाराधीन कैदी कन्हैया लाल ने बताया पिछले 5 वर्षों से जिला कारागार में वो बंद है. जेल में अधिकारियों की सहायता से दिवाली के लिए रंग बिरंगे दीपक और लक्ष्मी गणेश तैयार किए हैं. सुबह सबसे पहले मिट्टी पानी में भिगो दी जाती है. उसके बाद चाक पर दीपक बनाए जाते हैं, लेकिन अब जुर्म की राह छोड़कर रोजगार का हुनर जेल में सीख रहे हैं. ताकि, बाहर जाकर अपनी कोई दुकान खेल खिलौने की खोले सकें.
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डिप्टी जेलर अनूप कुमार ने बताया रोजगार के क्षेत्र में कैदियों को स्वावलंबी बनाने के लिए प्रशिक्षण दिया जाता है. उन्हीं कैदियों ने दिवाली के मौके पर मिट्टी से चीचें तैयार की हैं. उम्मीद रहेगी कि, जेल से बाहर निकलने के बाद विचाराधीन कैदी जुर्म की राह छोड़ देंगे.