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मथुरा जिला प्रशासन की व्यवस्थाओं की पड़ताल, न गरीबों को दिया कंबल न चौराहों पर अलाव का इंतजाम..

ईटीवी भारत ने शहर में ठंड से बचने के लिए मथुरा जिला प्रशासन की व्यवस्थाओं की पड़ताल की. इस दौरान कई गरीब और असहाय लोग खुले में सोते मिले. न तो गरीबों को कंबल वितरण किया गया है और न ही चौराहों पर अलाव जलाए गए हैं.

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न गरीबों को दिया कंबल न चौराहों पर अलाव का इंतजाम
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Published : Jan 10, 2022, 4:52 PM IST

मथुरा: जिले के भूतेश्वर रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड पर दर्जनों गरीब और असहाय लोग कड़ाके की सर्दी में खुले में सोने के लिए मजबूर हैं. इन गरीबों को रैन बसेरा भी नसीब नहीं है. जिला प्रशासन की तरफ से यहां सोने वाले गरीबों को न तो कंबल वितरण किया गया है और न ही अलाव की व्यवस्था की गई. जबकि हर साल दिसंबर के माह में ही गरीबों को कंबल और चौराहे पर अलाव जलाने के प्रबंध किए जाते रहे हैं. जबकि इस बार जिला प्रशासन की तरफ से कोई व्यवस्था नहीं की गई है.

जिला प्रशासन और नगर निगम के अधिकारियों की तरफ से खानापूर्ति के लिए एकांत स्थान पर रैन बसेरा बनाया गया है. उस रैन बसेरे में इक्का-दुक्का लोग ही सोने के लिए पहुंच रहे हैं. लेकिन बस स्टैंड और भूतेश्वर रेलवे स्टेशन पर सुबह और शाम हजारों लोगों की आवाजाही होती है. यहां पर न तो रैन बसेरा बनाया गया है और न ही कोई अन्य इंतजाम किए गए है. इसके चलते रिक्शा चालक और बुजुर्ग असहाय लोग खुले आसमान के नीचे रात गुजार रहे हैं.

जिला प्रशासन की व्यवस्थाओं को लेकर ईटीवी भारत की पड़ताल
ईटीवी भारत ने शहर में ठंड से बचने के लिए जिला प्रशासन की व्यवस्थाओं की पड़ताल की. इस दौरान भूतेश्वर रेलवे स्टेशन सो रहे रिक्शा चालक मोहन ने बताया कि वो रोजाना रेलवे स्टेशन के पास खुले में सोते हैं. जिला प्रशासन ने अभी तक कंबल की व्यवस्था नहीं की है और न ही चौराहे पर अलाव जलाए गए हैं. पिछले दो महीने से खुले आसमान के नीचे लोग सो रहे हैं.

यह भी पढ़ें- रियलिटी चेक : सिविल अस्पताल में बनाया गया रैन बसेरा, तीमारदार बोले ठीक-ठाक है व्यवस्था !

इस दौरान एक साधु ने बताया कि कोसी ट्रेन से उन्हे जाना था लेकिन ट्रेन छूट गई थी. जिसके बाद स्टेशन के पास ही सोना पड़ रहा है. वहां रैन बसेरे की कोई व्यवस्था नहीं है, जिससे वो खुद ही बिस्तर लगा कर सोए है.

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मथुरा: जिले के भूतेश्वर रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड पर दर्जनों गरीब और असहाय लोग कड़ाके की सर्दी में खुले में सोने के लिए मजबूर हैं. इन गरीबों को रैन बसेरा भी नसीब नहीं है. जिला प्रशासन की तरफ से यहां सोने वाले गरीबों को न तो कंबल वितरण किया गया है और न ही अलाव की व्यवस्था की गई. जबकि हर साल दिसंबर के माह में ही गरीबों को कंबल और चौराहे पर अलाव जलाने के प्रबंध किए जाते रहे हैं. जबकि इस बार जिला प्रशासन की तरफ से कोई व्यवस्था नहीं की गई है.

जिला प्रशासन और नगर निगम के अधिकारियों की तरफ से खानापूर्ति के लिए एकांत स्थान पर रैन बसेरा बनाया गया है. उस रैन बसेरे में इक्का-दुक्का लोग ही सोने के लिए पहुंच रहे हैं. लेकिन बस स्टैंड और भूतेश्वर रेलवे स्टेशन पर सुबह और शाम हजारों लोगों की आवाजाही होती है. यहां पर न तो रैन बसेरा बनाया गया है और न ही कोई अन्य इंतजाम किए गए है. इसके चलते रिक्शा चालक और बुजुर्ग असहाय लोग खुले आसमान के नीचे रात गुजार रहे हैं.

जिला प्रशासन की व्यवस्थाओं को लेकर ईटीवी भारत की पड़ताल
ईटीवी भारत ने शहर में ठंड से बचने के लिए जिला प्रशासन की व्यवस्थाओं की पड़ताल की. इस दौरान भूतेश्वर रेलवे स्टेशन सो रहे रिक्शा चालक मोहन ने बताया कि वो रोजाना रेलवे स्टेशन के पास खुले में सोते हैं. जिला प्रशासन ने अभी तक कंबल की व्यवस्था नहीं की है और न ही चौराहे पर अलाव जलाए गए हैं. पिछले दो महीने से खुले आसमान के नीचे लोग सो रहे हैं.

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इस दौरान एक साधु ने बताया कि कोसी ट्रेन से उन्हे जाना था लेकिन ट्रेन छूट गई थी. जिसके बाद स्टेशन के पास ही सोना पड़ रहा है. वहां रैन बसेरे की कोई व्यवस्था नहीं है, जिससे वो खुद ही बिस्तर लगा कर सोए है.

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