मथुरा : ब्रज के कण-कण में राधा-कृष्ण वास करते हैं. उनके प्रेम का प्रमाण आज भी देखने और सुनने को मिलता है. कृष्ण की जन्म स्थली मथुरा और राधा रानी की जन्म स्थली बरसाना में अनेकों धरोहर उनके होने का प्रमाण हैं. उन्हीं धरोहरों में से एक है राधा-कृष्ण के अटूट प्रेम की कहानी.
बरसाना और नंद गांव में सदियों से चली आ रही परंपरा का आज भी निर्वहन किया जाता है. आज भी नंदगांव और बरसाना के लोगों का प्रेम देखा जाता है. राधा-कृष्ण के प्रेम की एक ऐसी ही परंपरा प्रचलित है.
इस परंपरा के मुताबिक राधा रानी की जन्म स्थली बरसाना के लोग आज भी नंदगांव में वैवाहिक संबंध नहीं जोड़ते हैं. यहां के लोगों का मानना है कि यदि नंदगांव और बरसाना के बीच वैवाहिक संबंध जुड़ेंगे, तो पुरानी श्रीकृण और राधा के प्रेम की निशानी से जुड़ी परंपरा खत्म हो जाएगी.
बरसाना में होती लट्ठमार होली
मथुरा में खेली जाने वाली लट्ठमार होली काफी प्रसिद्ध है. लट्ठमार होली खेलने के लिए नंदगांव के लोग ग्वाला बनकर बरसाने में होली खेलने जाते हैं. जब नंदगांव के ग्वाला बरसाने पहुंचते हैं, तो वहां की महिलाएं गोपियों के भेष में सज-धजकर इनके ऊपर लट्ठ मारतीं हैं. इस लट्ठमार होली को देखने के लिए देश भर से लोग यहां आते हैं.
इस लट्ठमार होली की शुरूआत 11 मार्च से हो रही है. 11 मार्च को बरसाना में नंदगांव के ग्वाला श्रीकृष्ण के रुप में बरसाना पहुंचेंगे. इसके बाद बरसाना की गोपिकाएं राधा के भेष में सुन्दर परिधान पहनकर ग्वालों पर लट्ठ की बारिश करेंगी.
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