मथुरा: जिले के विश्राम घाट पर सैकड़ों नाव चालकों की जीविका पर रोजी रोटी का संकट आ गया है. यमुना नदी के किनारे नाव सुनी पड़ी हुई है. हर रोज नाव चालक जब घर से निकलता है तो यही आस लगाता है कि आज आमदनी अच्छी होगी. लेकिन तीर्थयात्री न होने की वजह से नाविक मायूस होकर खाली हाथ लौट जाता है.
नहीं मिली आर्थिक मदद
कोरोना काल के दौरान नाविकों के लिए जिला प्रशासन, स्थानीय नेता और प्रदेश सरकार ने इनकी किसी भी प्रकार की आर्थिक मदद नहीं की. जिसकी वजह से नाविक मायूस हैं. आज ये नाविक प्रदेश सरकार से निवेदन कर रहे हैं कि हमारा भी ध्यान रखा जाए. पिछले डेढ़ सालों से आमदनी ने होने की वजह से परिवार का खर्च चलाना बेहद कष्टदायक होने लगा है.
आपको बता दें कि धार्मिक नगरी मथुरा में हर साल लाखों श्रद्धालु दर्शन करने के लिए आते थे. यमुना नदी के किनारे सजी-धजी नाव में तीर्थयात्री बैठकर नदी की सैर करते थे. इससे नाविकों की आमदनी अच्छी हो जाती थी और परिवार का खर्च भी चल जाता था लेकिन अब ऐसा नहीं है.
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नाव चालक बंटू ने बताया कि पिछले एक साल से तीर्थयात्रियों के न आने की वजह से परिवार का पालन पोषण करना कठिन हो रहा है. स्थानीय प्रशासन, नेता और सरकार की ओर से हम लोगों को कुछ भी आर्थिक मदद नहीं की गई.
वहींं किशन सिंह नाम के नाविक का कहना है कि नाव चलाते हुए हमारी तीन पीढ़ियां बीत चुकी हैं. तीर्थयात्री मथुरा घूमने आते थे. यमुना नदी नाव में बैठकर सैर करने के लिए भी आते थे लेकिन लॉकडाउन होने के कारण तीर्थयात्री नहीं आ रहे हैं. हमारी रोजी रोटी का साधन खत्म हो चुका है.
नाविक उदित निषाद ने बताया लॉक डाउन होने के कारण तीर्थयात्री नहीं आ रहे हैं. पहले तो 3 से 4 सौ रुपये कमा लेते थे, जिससे परिवार का खर्चा चल जाता था लेकिन पिछले कई महीनों से आमदनी नहीं हुई है. सभी नाविक मायूस हैं.