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खिचड़ी महोत्सव: कान्हा ने छलिया का रूप धारण कर भक्तों को दिए दर्शन - radhaballabh temple mathura

मथुरा के राधावल्लभ मंदिर में खिचड़ी महोत्सव चल रहा है. ठाकुर जी ने खिचड़ी महोत्सव में छलिया का रूप धारण कर अपने भक्तों को दर्शन दिए.

कान्हा का छलिया रूप
कान्हा का छलिया रूप
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Published : Jan 21, 2020, 2:54 PM IST

मथुराः कान्हा की हर लीला निराली है. राधा कृष्ण के प्रेम का प्रतीक यह नगरी तमाम लीलाओं से भरी पड़ी है. धार्मिक स्थल वृंदावन के पौराणिक राधा वल्लभ मंदिर में ठाकुर जी को शीत ऋतु का आनंद देने के लिए यहां खिचड़ी महोत्सव चल रहा है. इस महोत्सव में भगवान ने छलिया का रूप धारण कर अपने भक्तों को दर्शन दिया.

छलिया का रूप धर भक्तों को दिए दर्शन.

प्राचीन राधा वल्लभ मंदिर में चल रहे खिचड़ी महोत्सव में ठाकुर जी को शीत ऋतु का आनंद देने और सर्दी से बचाने के लिए गर्म चीजों का भोग लगाया जा रहा है. इसी क्रम में खिचड़ी और अन्य गरम वस्तुओं का भगवान को भोग लगाया जा रहा है. वहीं कान्हा हर रोज अपने नए रूप में अपने भक्तों को दर्शन दे रहे हैं.

मंदिर के सेवायत कृष्ण मुरारी ने बताया कि राधा वल्लभ लाल को एक महीने पौष शुक्ल दोज से 1 महीने तक खिचड़ी का भोग सुबह मंगला आरती से पूर्व लगता है. मंगला आरती के बाद में छगन वेष की झांकियों के दर्शन होते हैं. छगन वेष का मतलब, ठाकुर जी ने अपनी प्रिय से मिलने के लिए तरह-तरह के वेष धारण किए हैं. सर्दियों के दिन है, इसलिए अपने लाडले को उनके श्रद्धालु, उनके प्रियजन उनको गरम-गरम चीजों का भोग लगाते हैं. इस दौरान कान्हा ने छलिया का रूप धारण कर श्रद्धालु भक्तों को दर्शन दिया.

मथुराः कान्हा की हर लीला निराली है. राधा कृष्ण के प्रेम का प्रतीक यह नगरी तमाम लीलाओं से भरी पड़ी है. धार्मिक स्थल वृंदावन के पौराणिक राधा वल्लभ मंदिर में ठाकुर जी को शीत ऋतु का आनंद देने के लिए यहां खिचड़ी महोत्सव चल रहा है. इस महोत्सव में भगवान ने छलिया का रूप धारण कर अपने भक्तों को दर्शन दिया.

छलिया का रूप धर भक्तों को दिए दर्शन.

प्राचीन राधा वल्लभ मंदिर में चल रहे खिचड़ी महोत्सव में ठाकुर जी को शीत ऋतु का आनंद देने और सर्दी से बचाने के लिए गर्म चीजों का भोग लगाया जा रहा है. इसी क्रम में खिचड़ी और अन्य गरम वस्तुओं का भगवान को भोग लगाया जा रहा है. वहीं कान्हा हर रोज अपने नए रूप में अपने भक्तों को दर्शन दे रहे हैं.

मंदिर के सेवायत कृष्ण मुरारी ने बताया कि राधा वल्लभ लाल को एक महीने पौष शुक्ल दोज से 1 महीने तक खिचड़ी का भोग सुबह मंगला आरती से पूर्व लगता है. मंगला आरती के बाद में छगन वेष की झांकियों के दर्शन होते हैं. छगन वेष का मतलब, ठाकुर जी ने अपनी प्रिय से मिलने के लिए तरह-तरह के वेष धारण किए हैं. सर्दियों के दिन है, इसलिए अपने लाडले को उनके श्रद्धालु, उनके प्रियजन उनको गरम-गरम चीजों का भोग लगाते हैं. इस दौरान कान्हा ने छलिया का रूप धारण कर श्रद्धालु भक्तों को दर्शन दिया.

Intro:कान्हा की नगरी मथुरा में कान्हा की हर लीला निराली है. यूं तो यहां कण-कण में भगवान का वास है .राधा कृष्ण के प्रेम की प्रतीक यह नगरी तमाम लीलाओं से भरी पड़ी है. धार्मिक स्थल वृंदावन के पौराणिक राधा वल्लभ मंदिर में ठाकुर जी को शीत ऋतु का आनंद देने के लिए यहां चल रहे खिचड़ी महोत्सव में भगवान ने छलिया का रूप धारण कर अपने भक्तों को दर्शन दिए.


Body:वृंदावन के प्राचीन राधाबल्लभ मंदिर में चल रहे खिचड़ी महोत्सव में ठाकुर जी को शीत ऋतु का आनंद देने और सर्दी से बचाने के लिए गर्म चीजों का भोग लगाया जा रहा है .जिसमें खिचड़ी और अन्य गरम वस्तुएं हैं .वही कान्हा हर रोज अपने नए रूप में अपने भक्तों को दर्शन दे रहे हैं. इसी क्रम में काना ने छलिया का रूप धर अपने भक्तों को दर्शन दिए. कान्हा के दर्शन पाने के लिए दूरदराज से सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु भक्त मंदिर में पहुंचे. वही इस संबंध में मंदिर के सेवायत कृष्ण मुरारी ने जानकारी देते हुए बताया कि राधाबल्लभ लाल को 1 महीने पौष शुक्ल दोज से 1 महीने तक खिचड़ी का भोग सुबह मंगला आरती से पूर्व लगता है. और मंगला के बाद में छगन वेश की झांकियों के दर्शन होते हैं. छगन निवेश का मतलब जो ठाकुर जी ने अपनी प्रिय से मिलने के लिए तरह-तरह के वेश धारण किए हैं. कभी मनिहारिन बने, कभी इत्र फूल वाली बन कर गए ,कभी फल वाली ,कभी तोता मैना वाली ,यह जो छगन वेश ठाकुर जी ने धारण किए हैं यह उनकी झांकियों के दर्शन होते हैं .और सुबह मंगला से पूर्व खिचड़ी का विशेष भोग लगता है . सर्दियों के दिन है इसलिए अपने लाडले को लाड लगाने के लिए उनके श्रद्धालु उनके प्रिय जन उनको गरम गरम चीजों का भोग लगाते हैं.


Conclusion:वृंदावन में स्थित प्राचीन राधाबल्लभ मंदिर में इन दिनों खिचड़ी महोत्सव चल रहा है. जिसके चलते कहना को शीत ऋतु का आनंद देने और सर्दी से बचाने के लिए गर्म गर्म चीजों का भोग लगाया जा रहा है .वहीं नित रोज कान्हा अपने नए-नए रूप धारण कर श्रद्धालु भक्तों को दर्शन दे रहे हैं .इसी क्रम में कान्हा ने छलिया का रूप धारण कर श्रद्धालु भक्तों को दर्शन दे कर कृतज्ञ कर दिया.
बाइट- कृष्ण मुरारी सेवायत
स्ट्रिंगर मथुरा
राहुल खरे
mb-9897000608
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