मथुरा : सांझी कला परंपरा को विलुप्त होने से बचाने के लिए आवश्यक है कि नई पीढ़ी का भी इस ओर रुझान बढ़े. इसी उद्देश्य के साथ वृंदावन शोध संस्थान द्वारा प्रतिवर्ष की भांति श्राद्ध पक्ष में सात दिवसीय सांझी महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है. रमणरेती मार्ग स्थित वृन्दावन शोध संस्थान परिसर में चल रहे सांझी महोत्सव के अंतर्गत आयोजित सांझी प्रशिक्षण कार्यशाला का समापन मंगलवार को हो गया.
कार्यशाला में विद्यार्थियों एवं संस्कृति प्रेमियों ने सांझी कला विशेषज्ञ डॉक्टर शैलेंद्र कृष्ण भट्ट एवं आचार्य सुमित गोस्वामी से सांझी कला की बारीकियों को जाना. इनमें विदेशी महिला भक्तों ने भी बढ़ चढ़कर भाग लिया और भारतीय संस्कृति को जानने और सांझी कला का प्रशिक्षण प्राप्त करने के प्रति खासा उत्साह दिखाया.
यह भी पढ़ें : महामारी में लोगों को पड़ी ऑनलाइन रहने की आदत, बढ़े 'डिजिटल जिंदगी' के खतरे : रिपोर्ट
जानकारी देते हुए निदेशक वृंदावन शोध संस्थान डॉ. अजय कुमार पांडे ने बताया कि इस समय हमारे यहां एक तारीख से 7 तारीख तक सप्तजोशी सांझी फेस्टिवल शुरू है. स्कूल के बच्चे सांझी में बहुत बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं.
साथ ही साथ कुछ विदेशी अतिथि भी लगभग 40 के आसपास यहां पधारे हैं. वह भी सांझी की कला सीख रहे हैं. कुछ दर्शन से भी लाभ प्राप्त कर रहे हैं. हम उनको प्रशिक्षित भी कर रहे हैं.
विशेषज्ञ इनको प्रशिक्षण दे रहे हैं. कई महत्वपूर्ण जानकारियां भी दे रहे हैं. हमारे जो विदेशी अतिथि हैं, वह इससे लाभांवित हो रहे हैं. महिला विदेशी भक्तों ने जानकारी देते हुए बताया कि उन्हें बहुत अच्छा लगा. यह कला वृंदावन धाम में स्वयं राधा रानी ने स्थापित की. इसी लिए यह बहुत सुंदर है.