ETV Bharat / state

वृंदावन के मंदिरों में दिन में ही मनाया जाता है जन्माष्टमी, आखिर क्यों जानने के लिए पढ़े ये ख़बर - मथुरा की न्यूज़

पूरे देश के साथ-साथ जहां विदेशों में भी रात को श्रद्धालु भक्त श्री कृष्ण का जन्म उत्सव मनाते हैं. वहीं वृंदावन के कुछ मंदिरों में दिन में ही जन्माष्टमी मनाई जाती है.

श्री कृष्ण का जन्म उत्सव
श्री कृष्ण का जन्म उत्सव
author img

By

Published : Aug 31, 2021, 2:01 AM IST

Updated : Aug 31, 2021, 2:32 AM IST

मथुराः पूरे देश के साथ-साथ विश्वभर में आधी रात को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का त्यौहार बड़े ही हर्षो उल्लास के साथ मनाया जाता है. भगवान श्री कृष्ण का जन्म मध्य रात को हुआ था. इसलिए वैदिक परंपरा के मुताबिक जन्म से संबंधित सभी धार्मिक अनुष्ठान मध्य रात्रि में ही किए जाते हैं. लेकिन धर्म नगरी वृंदावन में जो कि भगवान श्री कृष्ण की लीला स्थली भी है. वहां के पवित्र भूमि पर स्थित राधा रमण मंदिर, श्री दामोदर और श्री राधा रमण के विग्रह वाले शाहजी मंदिर में श्री कृष्ण जन्माष्टमी परंपरागत रूप से दिन में ही मनाई जाती है.

दिन में ही बाल गोपाल का अभिषेक किया जाता है. ऐसा माना जाता है कि यशोदा भाव से सेवा करने में हर पल इस बात का ख्याल रखा जाता है कि सेवा एक बालक की हो रही है. ऐसा माना जाता है कि रात के 12:00 बजे बच्चे को जगाना ठीक नहीं है. इसलिए इन मंदिरों में दिन में ही जन्माष्टमी मनाई जाती है. ऐसा भी बताया जाता है कि एक समय में सप्त देवालयों की सेवा की जिम्मेदारी श्री जीव गोस्वामी एक समय में करते थे और उनको ठाकुर जी की सेवा में काफी वक्त लगता था, इसलिए राधा दामोदर श्री राधा रमण और श्री राधा गोकुलानंद मंदिर में जन्माष्टमी की सेवा दिन में ही और बाकी की सेवा रात में करना शुरू कर दिया गया. उनके द्वारा शुरू की गई परंपरा वर्तमान में भी कायम है.

वृंदावन के मंदिरों में जन्माष्टमी

वृन्दावन के सप्तदेवालयों में दिन में ही मनाया जाता है जन्मोत्सव

योगीराज भगवान श्रीकृष्ण की क्रीड़ास्थली श्रीधाम वृन्दावन की महिमा ही निराली है. हर पर्व और उत्सव का उत्साह यहां दुनिया से अलग है. जी हां भगवान कृष्ण का जन्मोत्सव वैसे तो विश्व के सभी छोटे-बड़े मन्दिरों सहित परिवारों में बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है और चारों ओर रात को जन्मोत्सव और अभिषेक की विशेष धूम रहती है. लेकिन वृन्दावन के सप्तदेवालयों में प्रमुख श्रीराधारमण मन्दिर, श्रीराधा गोकुलानन्द मंदिर, श्रीराधादामोदर मन्दिर के साथ ही ठाकुर राधारमण जी विग्रह वाले और टेढ़े खम्भा के नाम से विख्यात शाहजी मन्दिर में जन्मोत्सव का कार्यक्रम दिन में ही मनाया जाता है.

श्री कृष्ण का जन्म उत्सव
श्री कृष्ण का जन्म उत्सव

धर्म नगरी वृंदावन में दिन में ही मनी जन्माष्टमी

इसी श्रृंखला में सेवाकुंज स्थित श्रीराधादामोदर मन्दिर में सेवायत गोस्वामियों द्वारा वैदिक मंत्रोच्चारण के मध्य ठाकुर श्रीराधादामोदर के श्रीविग्रह एवं गिर्राज शिला का दूध-दही, शहद, घी, बूरा और जड़ी-बूटियों से महाअभिषेक किया गया. इस उत्सव का आनन्द लेने के लिये मन्दिर परिसर में एकत्रित देश-विदेश के श्रद्धालु भक्त भगवन्नाम संकीर्तन व अपने आराध्य के जयकारे लगाते हुए प्रभु के महाअभिषेक के दर्शन कर आनन्द लेते दिखे.

दिन ही मनाया जाता है जन्माष्टमी
दिन ही मनाया जाता है जन्माष्टमी

इसे भी पढ़ें- देशभर में मनाया जा रहा श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का त्यौहार, भजन और कीर्तन की धुन पर झूम रहे श्रद्धालु

इसके साथ ही शाह बिहारी मन्दिर में श्रीकृष्ण जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया गया. जहां दोपहर तक सम्पन्न हुए कार्यक्रम में मन्दिर के सेवायत शाह के. एस. गुप्ता और शाह प्रशान्त गुप्ता द्वारा ठाकुरजी का पंचामृत से महाभिषेक किया गया. इस दौरान मन्दिर परिसर में एकत्रित श्रद्धालुओं ने अजन्मे के जन्म का साक्षी बनकर स्वयं को धन्य किया. सप्तदेवालयों के प्रमुख मंदिरों में जन्मोत्सव दिन में ही मनाए जाने की परंपरा के बारे में सेवायत गोस्वामी ने जानकारी दी.

मथुराः पूरे देश के साथ-साथ विश्वभर में आधी रात को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का त्यौहार बड़े ही हर्षो उल्लास के साथ मनाया जाता है. भगवान श्री कृष्ण का जन्म मध्य रात को हुआ था. इसलिए वैदिक परंपरा के मुताबिक जन्म से संबंधित सभी धार्मिक अनुष्ठान मध्य रात्रि में ही किए जाते हैं. लेकिन धर्म नगरी वृंदावन में जो कि भगवान श्री कृष्ण की लीला स्थली भी है. वहां के पवित्र भूमि पर स्थित राधा रमण मंदिर, श्री दामोदर और श्री राधा रमण के विग्रह वाले शाहजी मंदिर में श्री कृष्ण जन्माष्टमी परंपरागत रूप से दिन में ही मनाई जाती है.

दिन में ही बाल गोपाल का अभिषेक किया जाता है. ऐसा माना जाता है कि यशोदा भाव से सेवा करने में हर पल इस बात का ख्याल रखा जाता है कि सेवा एक बालक की हो रही है. ऐसा माना जाता है कि रात के 12:00 बजे बच्चे को जगाना ठीक नहीं है. इसलिए इन मंदिरों में दिन में ही जन्माष्टमी मनाई जाती है. ऐसा भी बताया जाता है कि एक समय में सप्त देवालयों की सेवा की जिम्मेदारी श्री जीव गोस्वामी एक समय में करते थे और उनको ठाकुर जी की सेवा में काफी वक्त लगता था, इसलिए राधा दामोदर श्री राधा रमण और श्री राधा गोकुलानंद मंदिर में जन्माष्टमी की सेवा दिन में ही और बाकी की सेवा रात में करना शुरू कर दिया गया. उनके द्वारा शुरू की गई परंपरा वर्तमान में भी कायम है.

वृंदावन के मंदिरों में जन्माष्टमी

वृन्दावन के सप्तदेवालयों में दिन में ही मनाया जाता है जन्मोत्सव

योगीराज भगवान श्रीकृष्ण की क्रीड़ास्थली श्रीधाम वृन्दावन की महिमा ही निराली है. हर पर्व और उत्सव का उत्साह यहां दुनिया से अलग है. जी हां भगवान कृष्ण का जन्मोत्सव वैसे तो विश्व के सभी छोटे-बड़े मन्दिरों सहित परिवारों में बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है और चारों ओर रात को जन्मोत्सव और अभिषेक की विशेष धूम रहती है. लेकिन वृन्दावन के सप्तदेवालयों में प्रमुख श्रीराधारमण मन्दिर, श्रीराधा गोकुलानन्द मंदिर, श्रीराधादामोदर मन्दिर के साथ ही ठाकुर राधारमण जी विग्रह वाले और टेढ़े खम्भा के नाम से विख्यात शाहजी मन्दिर में जन्मोत्सव का कार्यक्रम दिन में ही मनाया जाता है.

श्री कृष्ण का जन्म उत्सव
श्री कृष्ण का जन्म उत्सव

धर्म नगरी वृंदावन में दिन में ही मनी जन्माष्टमी

इसी श्रृंखला में सेवाकुंज स्थित श्रीराधादामोदर मन्दिर में सेवायत गोस्वामियों द्वारा वैदिक मंत्रोच्चारण के मध्य ठाकुर श्रीराधादामोदर के श्रीविग्रह एवं गिर्राज शिला का दूध-दही, शहद, घी, बूरा और जड़ी-बूटियों से महाअभिषेक किया गया. इस उत्सव का आनन्द लेने के लिये मन्दिर परिसर में एकत्रित देश-विदेश के श्रद्धालु भक्त भगवन्नाम संकीर्तन व अपने आराध्य के जयकारे लगाते हुए प्रभु के महाअभिषेक के दर्शन कर आनन्द लेते दिखे.

दिन ही मनाया जाता है जन्माष्टमी
दिन ही मनाया जाता है जन्माष्टमी

इसे भी पढ़ें- देशभर में मनाया जा रहा श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का त्यौहार, भजन और कीर्तन की धुन पर झूम रहे श्रद्धालु

इसके साथ ही शाह बिहारी मन्दिर में श्रीकृष्ण जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया गया. जहां दोपहर तक सम्पन्न हुए कार्यक्रम में मन्दिर के सेवायत शाह के. एस. गुप्ता और शाह प्रशान्त गुप्ता द्वारा ठाकुरजी का पंचामृत से महाभिषेक किया गया. इस दौरान मन्दिर परिसर में एकत्रित श्रद्धालुओं ने अजन्मे के जन्म का साक्षी बनकर स्वयं को धन्य किया. सप्तदेवालयों के प्रमुख मंदिरों में जन्मोत्सव दिन में ही मनाए जाने की परंपरा के बारे में सेवायत गोस्वामी ने जानकारी दी.

Last Updated : Aug 31, 2021, 2:32 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.