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मथुरा: श्रीकृष्ण ने बताया था अक्रूर घाट का महत्व, सूर्य ग्रहण के दौरान स्नान करने से होता है लाभ

सूर्य ग्रहण के बाद स्नान का काफी महत्व है. मथुरा के अक्रूर घाट पर लोग हर सूर्य ग्रहण के दौरान स्नान करने आते हैं. ऐसी मान्यता है कि यहां स्नान करने से कुरुक्षेत्र में स्नान से भी ज्यादा पुण्य और लाभ की प्राप्ति होती है. कहा जाता है कि इस घाट पर श्रीकृष्ण, बलराम और अक्रूर जी महाराज ने एक साथ ग्रहण के दौरान स्नान किया था और तबसे इसका नाम अक्रूर घाट है.

mathura
अक्रूर घाट पर स्नान करते लोग.
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Published : Jun 21, 2020, 8:06 PM IST

मथुरा: सूर्य ग्रहण के दौरान गंगा, यमुना आदि पवित्र नदियों व सरोवरों में स्नान करने का विशेष महत्व होता है. इसी तरह श्री धाम वृंदावन के अक्रूर घाट पर सूर्य ग्रहण के मौके पर यमुना में स्नान करने से कुरुक्षेत्र स्नान से अधिक पुण्य-लाभ की प्राप्ति होती है. इसी मान्यता के साथ रविवार को सूर्य ग्रहण पर यमुना स्नान के लिए अक्रूर घाट भक्तों के लिए आकर्षण का केंद्र बना रहा. यहां भक्तों ने श्रद्धाभाव के साथ ग्रहण के दौरान पाठ और भजन-कीर्तन किया. साथ ही ग्रहण का मोक्ष होने पर यमुना में डुबकी लगाकर पूजा-अर्चना कर खुद को धन्य किया.

जानें, अक्रूर घाट पर स्नान का महत्व.

श्री धाम वृंदावन में सूर्य ग्रहण के अवसर पर अक्रूर घाट पर श्रद्धालुओं ने यमुना में स्नान कर पुण्य-लाभ की प्राप्ति की. इस दौरान जानकारी देते हुए रामबली शास्त्री ने बताया कि जब कोई भी सूर्य ग्रहण पड़ता है तो अक्सर लोग कुरुक्षेत्र जाते हैं. वहां जाकर स्नान करते हैं और पुण्य-लाभ कमाते हैं, लेकिन जो कुरुक्षेत्र में पुण्य-लाभ प्राप्त होता है वही अक्रूर घाट पर श्री धाम वृंदावन में स्नान करने से प्राप्त हो जाता है. ऐसी मान्यता है कि अक्रूर जी महाराज को कंस ने श्रीकृष्ण को लेने के लिए वृंदावन भेजा था. श्री कृष्ण को लेकर जब अक्रूर जी महाराज निकलने लगे तो ग्रहण लग गया. इस पर उन्होंने कुरुक्षेत्र जाने का मन बनाया, लेकिन श्रीकृष्ण ने उन्हें रोका. भगवान ने कहा कि कुरुक्षेत्र जाने की जरूरत नहीं है.

अक्रूर घाट पर स्नान का महत्तव
श्रीकृष्ण ने वृंदावन धाम का महत्व बताते हुए कहा कि ये धाम अलौकिक है. इसका शब्दों में वर्णन करना मुमकिन नहीं है. भगवान ने कहा कि यमुना घाट पर ही वे कुरुक्षेत्र को बुला लेंगे. इसके बाद कृष्ण, बलराम और अक्रूर जी महाराज एक साथ घाट पर पहुंचे और तब से ही घाट का नाम अक्रूर घाट पड़ गया है. श्रीकृष्ण भगवान ने कहा कि अक्रूर जी कुरुक्षेत्र जाकर पुण्य-लाभ मिलता है, उससे हजार गुना यहां पर पूर्ण लाभ मिलेगा और यह घाट आपके नाम से जाना जाएगा.

कैसे पड़ा घाट का नाम 'अक्रूर घाट'
श्री धाम वृंदावन में स्थित अक्रूर घाट पर सूर्य ग्रहण के दौरान सैकड़ों भक्तों ने स्नान कर पुण्य-लाभ कमाया. ऐसी मान्यता है कि इस घाट पर कृष्ण, बलराम और अक्रूर जी महाराज ने एक साथ स्नान किया था. उसी दिन के बाद से ही इस घाट का नाम अक्रूर घाट पड़ गया. ऐसा माना जाता है कि कुरुक्षेत्र में स्नान करने से कई गुना अधिक पुण्य अक्रूर घाट पर स्नान करने पर मिलता है. इसी मान्यता के साथ रविवार को सूर्य ग्रहण के दौरान साधु-संतों के साथ भक्तों ने भी अक्रूर घाट पर स्नान कर पुण्य-लाभ की प्राप्ति की.

मथुरा: सूर्य ग्रहण के दौरान गंगा, यमुना आदि पवित्र नदियों व सरोवरों में स्नान करने का विशेष महत्व होता है. इसी तरह श्री धाम वृंदावन के अक्रूर घाट पर सूर्य ग्रहण के मौके पर यमुना में स्नान करने से कुरुक्षेत्र स्नान से अधिक पुण्य-लाभ की प्राप्ति होती है. इसी मान्यता के साथ रविवार को सूर्य ग्रहण पर यमुना स्नान के लिए अक्रूर घाट भक्तों के लिए आकर्षण का केंद्र बना रहा. यहां भक्तों ने श्रद्धाभाव के साथ ग्रहण के दौरान पाठ और भजन-कीर्तन किया. साथ ही ग्रहण का मोक्ष होने पर यमुना में डुबकी लगाकर पूजा-अर्चना कर खुद को धन्य किया.

जानें, अक्रूर घाट पर स्नान का महत्व.

श्री धाम वृंदावन में सूर्य ग्रहण के अवसर पर अक्रूर घाट पर श्रद्धालुओं ने यमुना में स्नान कर पुण्य-लाभ की प्राप्ति की. इस दौरान जानकारी देते हुए रामबली शास्त्री ने बताया कि जब कोई भी सूर्य ग्रहण पड़ता है तो अक्सर लोग कुरुक्षेत्र जाते हैं. वहां जाकर स्नान करते हैं और पुण्य-लाभ कमाते हैं, लेकिन जो कुरुक्षेत्र में पुण्य-लाभ प्राप्त होता है वही अक्रूर घाट पर श्री धाम वृंदावन में स्नान करने से प्राप्त हो जाता है. ऐसी मान्यता है कि अक्रूर जी महाराज को कंस ने श्रीकृष्ण को लेने के लिए वृंदावन भेजा था. श्री कृष्ण को लेकर जब अक्रूर जी महाराज निकलने लगे तो ग्रहण लग गया. इस पर उन्होंने कुरुक्षेत्र जाने का मन बनाया, लेकिन श्रीकृष्ण ने उन्हें रोका. भगवान ने कहा कि कुरुक्षेत्र जाने की जरूरत नहीं है.

अक्रूर घाट पर स्नान का महत्तव
श्रीकृष्ण ने वृंदावन धाम का महत्व बताते हुए कहा कि ये धाम अलौकिक है. इसका शब्दों में वर्णन करना मुमकिन नहीं है. भगवान ने कहा कि यमुना घाट पर ही वे कुरुक्षेत्र को बुला लेंगे. इसके बाद कृष्ण, बलराम और अक्रूर जी महाराज एक साथ घाट पर पहुंचे और तब से ही घाट का नाम अक्रूर घाट पड़ गया है. श्रीकृष्ण भगवान ने कहा कि अक्रूर जी कुरुक्षेत्र जाकर पुण्य-लाभ मिलता है, उससे हजार गुना यहां पर पूर्ण लाभ मिलेगा और यह घाट आपके नाम से जाना जाएगा.

कैसे पड़ा घाट का नाम 'अक्रूर घाट'
श्री धाम वृंदावन में स्थित अक्रूर घाट पर सूर्य ग्रहण के दौरान सैकड़ों भक्तों ने स्नान कर पुण्य-लाभ कमाया. ऐसी मान्यता है कि इस घाट पर कृष्ण, बलराम और अक्रूर जी महाराज ने एक साथ स्नान किया था. उसी दिन के बाद से ही इस घाट का नाम अक्रूर घाट पड़ गया. ऐसा माना जाता है कि कुरुक्षेत्र में स्नान करने से कई गुना अधिक पुण्य अक्रूर घाट पर स्नान करने पर मिलता है. इसी मान्यता के साथ रविवार को सूर्य ग्रहण के दौरान साधु-संतों के साथ भक्तों ने भी अक्रूर घाट पर स्नान कर पुण्य-लाभ की प्राप्ति की.

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