मथुरा : धर्म नगरी वृंदावन में हिंदी दिवस के मौके पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया था. जन सेवा समिति के तत्वावधान में आयोजित हुए इस कार्यक्रम में लोगों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया. कार्यक्रम में हिंदी को जीवित रखने को लेकर विचार विमर्श किया गया.
जन सेवा समिति संस्था के सदस्य राधा बिहारी गोस्वामी ने जानकारी देते हुए बताया कि हिंदी दिवस वैसे तो हम प्रत्येक वर्ष मनाते हैं, लेकिन इस वर्ष हिंदी दिवस अपने आप में अलग ही हिंदी दिवस है. क्योंकि कोरोना महामारी संकट पूरे विश्व पर इस समय छाया हुआ है. ऐसे समय पर भी विद्वानों को ढूंढना, उनको देखना और उनको सम्मान देने का काम इस संस्था ने किया है. हमारी यह संस्था वाकई ही धन्यवाद का पात्र है.
उन्होंने कहा कि वृंदावन में और भी बड़ी-बड़ी संस्थाएं हैं और देवालय हैं, लेकिन हिंदी की ओर किसी का भी ध्यान अब नहीं है. हमारे घरों के छोटे-छोटे बच्चे भी अब हिंदी नहीं बोलना चाहते हैं. बल्कि हम कोई शब्द हिंदी में बोलते हैं तो वह उस शब्द को इंग्लिश में पूछते हैं. इंग्लिश में उसका अर्थ क्या है. बच्चों को हिंदी की गिनती नहीं आती है. उन्होंने कहा कि अगर हिंदी को धीरे धीरे घरों से इस तरह से छोड़ दिया जाएगा, तो हिंदी कैसे बचेगी. हिंदी के लिए जागृत होना पड़ेगा, हिंदी के लिए सबको संगठित होना पड़ेगा.
धर्म नगरी वृंदावन में हिंदी दिवस पर आयोजित समारोह में जिन लोगों ने हिंदी भाषा उत्थान के लिए अपना सहयोग प्रदान किया है उन लोगों को सम्मानित किया गया. इस मौके पर सभी विद्वानों ने अपने-अपने विचार रखे. साथ ही हिंदी को जीवित रखने के लिए आवश्यक विचार विमर्श किए.