मथुरा: श्रीकृष्ण जन्मभूमि के मालिकाना हक और परिसर को मस्जिद मुक्त बनाने की मांग को लेकर 25 सितंबर को न्यायालय के सिविल जज सीनियर डिवीजन छाया शर्मा की कोर्ट में याचिका डाली गई. बुधवार दोपहर 2:35 पर याचिका की सुनवाई वादी पक्ष द्वारा साक्ष्य रखे गए. सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ताओं द्वारा कोर्ट में जो दस्तावेज रखे गए, उसे पूरा न मानते हुए कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी. वादी पक्ष का कहना है कि वे अब हाईकोर्ट जाएंगे.
वादी पक्ष के अधिवक्ता करुणेश ने बताया कि सिविल कोर्ट में याचिका खारिज कर दी गई है. अब हम हाईकोर्ट जाएंगे. उन्होंने बताया कि श्रीकृष्ण जन्म भूमि के मालिकाना हक को लेकर 25 सितंबर को याचिका कोर्ट में डाली गई थी, जिसकी आज सुनवाई की गई तो कोर्ट ने साक्ष्य पर्याप्त न होने पर याचिका खारिज कर दी है.
श्रीकृष्ण जन्मस्थान परिसर 13.37 एकड़ में बना हुआ है, जिसमें श्री कृष्ण जन्मभूमि लीला मंच, भागवत भवन और डेढ़ एकड़ में शाही ईदगाह मस्जिद बनी हुई है. सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता द्वारा 25 सितंबर को श्रीकृष्ण जन्मस्थान के मालिकाना हक को लेकर कोर्ट में याचिका डाली गई थी, जिसमें श्रीकृष्ण सेवा संस्थान और शाही ईदगाह कमेटी को प्रतिवादी पक्ष बनाया गया था. अधिवक्ताओं द्वारा कोर्ट से मांग की गई है कि श्रीकृष्ण जन्मस्थान को मस्जिद मुक्त बनाया जाए.
बता दें कि ब्रिटिश शासन काल में 1815 में नीलामी के दौरान बनारस के राजा पटनी मल ने इस जगह को खरीदा था. 1940 में पंडित मदन मोहन मालवीय जब मथुरा आए तो श्रीकृष्ण जन्मस्थान की दुर्दशा को देखकर दुखी हुए और स्थानीय लोगों ने भी मदन मोहन मालवीय जी से कहा कि यहां भव्य मंदिर बनना चाहिए. मदन मोहन मालवीय जी ने मथुरा के उद्योगपति जुगल किशोर बिरला को जन्मभूमि पुनर्रुद्वार के लिए पत्र लिखा. 21 फरवरी 1951 में श्रीकृष्ण जन्म भूमिट्रस्ट की स्थापना की गई. 12 अक्टूबर 1968 को कटरा केशव देव मंदिर की जमीन का समझौता श्रीकृष्ण जन्मस्थान सोसायटी द्वारा किया गया. 20 जुलाई 1973 को यह जमीन डिक्री की गई थी. डिक्री रद्द करने की मांग को लेकर अधिवक्ता ने कोर्ट मे याचिका डाली है.
मथुरा न्यायालय सिविल जज सीनियर डिवीजन छाया शर्मा की कोर्ट में श्री कृष्ण जन्मस्थान के मालिकाना हक को लेकर सुनवाई शुरू हो गई है. जिला प्रशासन ने परिसर के पास सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम कर दिए गए हैं.