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कथा वाचक देवकीनंदन ठाकुर ने वर्शिप एक्ट के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की याचिका

वृंदावन विश्व प्रसिद्ध भागवत आचार्य देवकीनंदन ठाकुर ने सुप्रीम कोर्ट में आज प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट के खिलाफ याचिका दाखिल की है. उन्होंने कहा कि आज 1991 में बने कानून में बदलाव की जरूरत है.

भागवत आचार्य देवकीनंदन ठाकुर
भागवत आचार्य देवकीनंदन ठाकुर
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Published : May 28, 2022, 12:38 PM IST

Updated : May 28, 2022, 1:03 PM IST

मथुरा: ज्ञानवापी और श्रीकृष्ण जन्मभूमि को लेकर जनपद न्यायालय, हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं डाली जा रही हैं. वहीं, वृंदावन विश्व प्रसिद्ध भागवत आचार्य देवकीनंदन ठाकुर ने सुप्रीम कोर्ट में आज यानी शनिवार को प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट के खिलाफ याचिका दाखिल की है.

भागवत आचार्य देवकीनंदन ने बताया कि पीवी नरसिंह राव सरकार में 1991 में कानून पारित किया गया था कि पहले की स्थिति में कोई बदलाव न किया जाए. लेकिन, आज समय आ चुका है कि उस कानून में बदलाव की आवश्यकता है. उसी को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है. उन्होंने बताया कि औरंगजेब ने उत्तर भारत के मथुरा, अयोध्या और काशी के मंदिरों को बर्बरता के साथ तोड़ा. औरंगजेब हिंदुओं का कट्टर विरोधी था. लेकिन, लोकतंत्र की सुंदरता इसी में है अगर किसी ने हमारे ऊपर जुर्म, कत्लेआम किए हैं तो कोर्ट का दरवाजा खटखटाकर अपनी अर्जी दें. न्यायालय में प्रार्थना पत्र देकर अपनी बात रखें.

भागवत आचार्य देवकीनंदन ठाकुर

यह भी पढ़ें: देवबंद: जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अधिवेशन में उलेमा बोले- देश में बढ़ रही धार्मिक नफरत बेहद खतरनाक

उन्होंने कहा कि लोकतंत्र की सुंदरता को बनाए रखने के लिए यह काम बहुत जरूरी है. 1991 में पीवी नरसिंह राव कानून लेकर आए कि जो पहले की स्थिति थी, उसमें कोई बदलाव नहीं होगा. उस समय हिंदुओं के लिए कोर्ट के दरवाजे बंद कर दिए गए. भागवत आचार्य देवकीनंदन ने कहा कि सनातन धर्म के लोगों के लिए पूजा स्थल क्या महत्व रखते हैं, उनसे बेहतर कोई नहीं जानता. काशी में जाकर पूजा नहीं की जा सकती. मथुरा में पूजा नहीं कर सकते. सनातन धर्म के अनुयायियों को कष्ट हो रहा है. इसी कारण सुप्रीम कोर्ट में प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट के खिलाफ याचिका दाखिल की गई है.

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मथुरा: ज्ञानवापी और श्रीकृष्ण जन्मभूमि को लेकर जनपद न्यायालय, हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं डाली जा रही हैं. वहीं, वृंदावन विश्व प्रसिद्ध भागवत आचार्य देवकीनंदन ठाकुर ने सुप्रीम कोर्ट में आज यानी शनिवार को प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट के खिलाफ याचिका दाखिल की है.

भागवत आचार्य देवकीनंदन ने बताया कि पीवी नरसिंह राव सरकार में 1991 में कानून पारित किया गया था कि पहले की स्थिति में कोई बदलाव न किया जाए. लेकिन, आज समय आ चुका है कि उस कानून में बदलाव की आवश्यकता है. उसी को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है. उन्होंने बताया कि औरंगजेब ने उत्तर भारत के मथुरा, अयोध्या और काशी के मंदिरों को बर्बरता के साथ तोड़ा. औरंगजेब हिंदुओं का कट्टर विरोधी था. लेकिन, लोकतंत्र की सुंदरता इसी में है अगर किसी ने हमारे ऊपर जुर्म, कत्लेआम किए हैं तो कोर्ट का दरवाजा खटखटाकर अपनी अर्जी दें. न्यायालय में प्रार्थना पत्र देकर अपनी बात रखें.

भागवत आचार्य देवकीनंदन ठाकुर

यह भी पढ़ें: देवबंद: जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अधिवेशन में उलेमा बोले- देश में बढ़ रही धार्मिक नफरत बेहद खतरनाक

उन्होंने कहा कि लोकतंत्र की सुंदरता को बनाए रखने के लिए यह काम बहुत जरूरी है. 1991 में पीवी नरसिंह राव कानून लेकर आए कि जो पहले की स्थिति थी, उसमें कोई बदलाव नहीं होगा. उस समय हिंदुओं के लिए कोर्ट के दरवाजे बंद कर दिए गए. भागवत आचार्य देवकीनंदन ने कहा कि सनातन धर्म के लोगों के लिए पूजा स्थल क्या महत्व रखते हैं, उनसे बेहतर कोई नहीं जानता. काशी में जाकर पूजा नहीं की जा सकती. मथुरा में पूजा नहीं कर सकते. सनातन धर्म के अनुयायियों को कष्ट हो रहा है. इसी कारण सुप्रीम कोर्ट में प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट के खिलाफ याचिका दाखिल की गई है.

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Last Updated : May 28, 2022, 1:03 PM IST
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