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मथुरा : होलिका दहन के समय रखी जाने वाली मूर्तियां बन रहीं आकर्षण का केंद्र

ब्रज की होली का अपना अलग ही महत्व है. कान्हा की नगरी मथुरा में होली आने से कई दिन पूर्व ही होली की तैयारियां जोर पकड़ लेती हैं. इसी क्रम में होली के लिए होली दहन के समय रखी जाने वाली मूर्तियां होली आने से काफी दिन पूर्व बनने लग जाती हैं. यह रंग-बिरंगी सुंदर मूर्तियां किसी का भी मन मोह ले.

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Published : Mar 11, 2019, 2:42 PM IST

मथुरा : जिले में कई दिन पूर्व से ही होली दहन के समय रखे जाने वाली सुंदर-सुंदर मूर्तियां बनने लगी हैं. इसे मूर्ति बनाने वाले बड़ी लगन और मेहनत के साथ तैयार करते हैं. मूर्ति बनाने का काम होली आने से काफी दिन पूर्व से ही शुरू हो जाता है, जोकि होली आने से एक-दो दिन पहले तक ही खत्म हो पाता है.

होली दहन के लिये मूर्ति बनाने का काम हुआ शुरु


होली वसंत ऋतु में मनाए जाने वाला एक महत्वपूर्ण भारतीय त्यौहार है. यह पर्व हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है. रंगों का त्यौहार कहा जाने वाला यह पर्व पारंपारिक रूप से दो दिन मनाया जाता है.


यह त्यौहार कई अन्य देशों जिनमें अल्पसंख्यक हिंदू लोग रहते हैं वहां भी धूमधाम के साथ मनाया जाता है. त्यौहार के अनुसार, पहले दिन होलिका जलाई जाती है जिसे होलिका दहन भी कहते हैं. दूसरे दिन धूलिवंदन का त्यौहार मनाया जाता है.


लोग एक दूसरे पर रंग, अबीर, गुलाल इत्यादि फेंकते हैं. ढोल बजाकर होली के गीत गाए जाते हैं और घर-घर जाकर लोगों को रंग लगाया जाता है. गले मिलते हैं और मिठाईयां खिलाते हैं. ऐसा माना जाता है कि होली के दिन लोग पुरानी कटुता को भूल कर गले मिलते हैं और फिर से दोस्त बन जाते हैं.

मथुरा : जिले में कई दिन पूर्व से ही होली दहन के समय रखे जाने वाली सुंदर-सुंदर मूर्तियां बनने लगी हैं. इसे मूर्ति बनाने वाले बड़ी लगन और मेहनत के साथ तैयार करते हैं. मूर्ति बनाने का काम होली आने से काफी दिन पूर्व से ही शुरू हो जाता है, जोकि होली आने से एक-दो दिन पहले तक ही खत्म हो पाता है.

होली दहन के लिये मूर्ति बनाने का काम हुआ शुरु


होली वसंत ऋतु में मनाए जाने वाला एक महत्वपूर्ण भारतीय त्यौहार है. यह पर्व हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है. रंगों का त्यौहार कहा जाने वाला यह पर्व पारंपारिक रूप से दो दिन मनाया जाता है.


यह त्यौहार कई अन्य देशों जिनमें अल्पसंख्यक हिंदू लोग रहते हैं वहां भी धूमधाम के साथ मनाया जाता है. त्यौहार के अनुसार, पहले दिन होलिका जलाई जाती है जिसे होलिका दहन भी कहते हैं. दूसरे दिन धूलिवंदन का त्यौहार मनाया जाता है.


लोग एक दूसरे पर रंग, अबीर, गुलाल इत्यादि फेंकते हैं. ढोल बजाकर होली के गीत गाए जाते हैं और घर-घर जाकर लोगों को रंग लगाया जाता है. गले मिलते हैं और मिठाईयां खिलाते हैं. ऐसा माना जाता है कि होली के दिन लोग पुरानी कटुता को भूल कर गले मिलते हैं और फिर से दोस्त बन जाते हैं.

Intro:होली वसंत ऋतु में मनाए जाने वाला एक महत्वपूर्ण भारतीय और नेपाली लोगों का त्योहार है ।यह पर्व हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। रंगों का त्योहार कहा जाने वाला यह पर्व पारंपारिक रूप से 2 दिन मनाया जाता है यह प्रमुखता से भारत तथा नेपाल मैं मनाया जाता है। यह त्योहार कई अन्य देशों जिनमें अल्पसंख्यक हिंदू लोग रहते हैं वहां भी धूमधाम के साथ मनाया जाता है ।पहले दिन को होलिका जलाई जाती है जिसे होलिका दहन भी कहते हैं दूसरे दिन जिसे प्रमुखता: धुलेडी व धुरद्दी धुरखेल या धूलिवंदन इसके अन्य नाम हैं।


Body:लोग एक दूसरे पर रंग अबीर गुलाल इत्यादि फेंकते हैं ढोल बजाकर होली के गीत गाए जाते हैं, और घर-घर जाकर लोगों को रंग लगाया जाता है ।ऐसा माना जाता है कि होली के दिन लोग पुरानी कटुता को भूल कर गले मिलते हैं और फिर से दोस्त बन जाते हैं ।एक दूसरे को रंग ने और गाने बजाने का दौर दोपहर तक चलता है ।इसके बाद स्नान करके विश्राम करने के बाद नए कपड़े पहन कर शाम को लोग एक दूसरे के घर मिलने जाते हैं गले मिलते हैं और मिठाईयां खिलाते हैं ।ब्रज की होली का अपना अलग ही महत्व है कान्हा की नगरी मथुरा में होली आने से कई दिन पूर्व ही होली की तैयारियां जोर पकड़ लेती हैं। इसी क्रम में होली के लिए होली दहन के समय रखी जाने वाली मूर्तियां होली आने से काफी दिन पूर्व भी बनने लग जाती हैं रंग बिरंगी सुंदर सुंदर मूर्तियां किसी का भी मन मोह ले।


Conclusion:कान्हा की नगरी मथुरा की होली विश्व प्रसिद्ध है मथुरा में होली खेलने के लिए देश के कोने-कोने के साथ विदेशों से भी लोग यहां पहुंचते हैं जिसको लेकर होली आने से कई दिन पूर्व ही मथुरा में होली की तैयारियां जोर पकड़ लेती हैं। कई दिन पूर्व से ही होली दहन के समय रखे जाने वाली सुंदर सुंदर मूर्तियां बनने लगी हैं जिसे मूर्ति बनाने वाले बड़ी लगन मेहनत के साथ तैयार करते हैं। मूर्ति बनाने का काम होली आने से काफी दिन पूर्व से ही शुरू हो जाता है, जोकि होली आने से एक-दो दिन पहले तक ही खत्म हो पाता है।
बाइट - राकेश कुमार मूर्तिकार
स्ट्रिंगर मथुरा
राहुल खरे
mb-9897000608
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