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दो दिवसीय प्रवास पर मथुरा पहुंचे आध्यात्मिक धर्म गुरु दलाई लामा

तिब्बत के धर्म गुरु दलाई लामा अपने दो दिवसीय प्रवास पर मथुरा पहुंचे. यहां पर गुरु शरणानंद महाराज के रमणरेती आश्रम में गुरुकुल के छात्रों ने उनका जोरदार स्वागत किया.

दो दिवसीय प्रवास पर मथुरा पहुंचे आध्यात्मिक धर्म गुरु दलाई लामा
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Published : Sep 22, 2019, 4:26 PM IST

मथुरा: तिब्बती आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा अपने दो दिवसीय प्रवास पर मथुरा पहुंचे. गुरु शरणानंद महाराज के रमणरेती आश्रम में गुरुकुल के छात्रों ने दलाई लामा का जोरदार स्वागत किया. मंच से संबोधित करते हुए दलाई लामा ने कहा भारत की संस्कृति वर्षों पुरानी है. इसे बचाए रखना भारत के लिए एक चुनौती है. विश्व में सबसे बड़ी संस्कृति के तौर पर भारत की पहचान बनी है.

दो दिवसीय प्रवास पर मथुरा पहुंचे आध्यात्मिक धर्म गुरु दलाई लामा

दो दिवसीय प्रवास पर मथुरा पहुंचे आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा
तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा दो दिवसीय प्रवास पर रविवार को मथुरा गुरु शरणानंद महाराज के रमण रेती गोकुल आश्रम पहुंचे. मंत्रोचार के साथ दलाई लामा का चरण अभिषेक और आरती उतारी गई. मंच से संबोधित करते हुए दलाई लामा ने कहा, भारत में जो विद्वानों ने भारत की रचना, संस्कृत, बौद्ध भाषा में की है, अनेक विद्वान भारत में आए और इसकी खोज की गई. नालंदा विश्वविद्यालय में आज भी कई साक्ष्य प्रमाणित हैं. भारत की संस्कृति काफी प्राचीन मानी जाती है, दुनिया भर में भारत की पहचान एक संस्कृति के तौर पर मानी गई है.

तिब्बती गुरु ने कहा अहिंसा और करुणा का उदाहरण भारत में ही देखने को मिलता है
दलाई लामा ने कहा पांच प्रमुख विधाएं हैं शब्द विद्या, चिकित्सा विद्या, बौद्ध दर्शन विद्या, मनोवैज्ञानिक विद्या, संस्कृत ऑफ बौद्ध भाषाओं में इनकी रचना की गई है. भारत देश करुणा, अहिंसा और सद्भावना के साथ मिलकर एक जीता जागता उदाहरण पूरे दुनिया के सामने हैं.

भारत में सभी धर्म के लोग एक साथ मिलकर रहते हैं. सद्भावना अहिंसा और करुणा का एक उदाहरण भारत में देखने को मिलता है. इस उदाहरण को दुनिया के अन्य देशों को भी सीख लेना चाहिए कि भारत एक संपन्न करुणा, मैत्री, अहिंसा का संदेश देने वाला सर्वोपरि देश है.

मथुरा: तिब्बती आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा अपने दो दिवसीय प्रवास पर मथुरा पहुंचे. गुरु शरणानंद महाराज के रमणरेती आश्रम में गुरुकुल के छात्रों ने दलाई लामा का जोरदार स्वागत किया. मंच से संबोधित करते हुए दलाई लामा ने कहा भारत की संस्कृति वर्षों पुरानी है. इसे बचाए रखना भारत के लिए एक चुनौती है. विश्व में सबसे बड़ी संस्कृति के तौर पर भारत की पहचान बनी है.

दो दिवसीय प्रवास पर मथुरा पहुंचे आध्यात्मिक धर्म गुरु दलाई लामा

दो दिवसीय प्रवास पर मथुरा पहुंचे आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा
तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा दो दिवसीय प्रवास पर रविवार को मथुरा गुरु शरणानंद महाराज के रमण रेती गोकुल आश्रम पहुंचे. मंत्रोचार के साथ दलाई लामा का चरण अभिषेक और आरती उतारी गई. मंच से संबोधित करते हुए दलाई लामा ने कहा, भारत में जो विद्वानों ने भारत की रचना, संस्कृत, बौद्ध भाषा में की है, अनेक विद्वान भारत में आए और इसकी खोज की गई. नालंदा विश्वविद्यालय में आज भी कई साक्ष्य प्रमाणित हैं. भारत की संस्कृति काफी प्राचीन मानी जाती है, दुनिया भर में भारत की पहचान एक संस्कृति के तौर पर मानी गई है.

तिब्बती गुरु ने कहा अहिंसा और करुणा का उदाहरण भारत में ही देखने को मिलता है
दलाई लामा ने कहा पांच प्रमुख विधाएं हैं शब्द विद्या, चिकित्सा विद्या, बौद्ध दर्शन विद्या, मनोवैज्ञानिक विद्या, संस्कृत ऑफ बौद्ध भाषाओं में इनकी रचना की गई है. भारत देश करुणा, अहिंसा और सद्भावना के साथ मिलकर एक जीता जागता उदाहरण पूरे दुनिया के सामने हैं.

भारत में सभी धर्म के लोग एक साथ मिलकर रहते हैं. सद्भावना अहिंसा और करुणा का एक उदाहरण भारत में देखने को मिलता है. इस उदाहरण को दुनिया के अन्य देशों को भी सीख लेना चाहिए कि भारत एक संपन्न करुणा, मैत्री, अहिंसा का संदेश देने वाला सर्वोपरि देश है.

Intro:मथुरा। तिब्बती आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा आज दो दिवसीय प्रवास पर मथुरा पहुंचे। गुरु शरणानंद महाराज के रमणरेती आश्रम में गुरुकुल के छात्रों ने दलाई लामा का जोरदार स्वागत किया। मंच से संबोधित करते हुए दलाई लामा ने कहा भारत की संस्कृति वर्षों पुरानी है। इसे बचाए रखना भारत के लिए एक चुनौती है ,विश्व में सबसे बड़ी संस्कृति के तौर पर भारत की पहचान बनी है।


Body:तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा दो दिवसीय प्रवास पर आज मथुरा गुरु शरणानंद महाराज के रमण रेती गोकुल आश्रम पहुंचे मंत्रोचार के साथ दलाई लामा का चरण अभिषेक और आरती उतारी गई। मंच से संबोधित करते हुए दलाई लामा ने कहा भारत में जो विद्वानों ने भारत की रचना संस्कृत, बौद्ध भाषा में की है अनेक विद्वान भारत में आए और इसकी खोज की गई। नालंदा विश्वविद्यालय में आज भी कई साक्ष्य प्रमाणित है भारत की संस्कृति काफी प्राचीन मानी जाती है, दुनिया के तौर पर भारत की पहचान एक संस्कृति के तौर पर मानी गई है।


Conclusion:दलाई लामा ने कहा पांच प्रमुख विधाएं हैं शब्द विद्या, चिकित्सा विद्या, बौद्ध दर्शन विद्या, मनोवैज्ञानिक विद्या, संस्कृत ऑफ बौद्ध भाषाओं में इनकी रचना की गई है भारत देश करणवा अहिंसा और सद्भावना के साथ मिलकर एक जीता जागता उदाहरण पूरे दुनिया के सामने हैं। भारत में सभी धर्म के लोग एक साथ मिलकर रहते हैं। सद्भावना अहिंसा और करुणा का एक उदाहरण भारत में देखने को मिलता है इस उदाहरण को दुनिया के अन्य देशों को भी सीख लेना चाहिए कि भारत एक संपन्न करुणा मैत्री अहिंसा का संदेश देने वाला सर्वोपरि देश है।


मंच से संबोधन दलाई लामा तिब्बत धर्मगुरु


mathura reporter
praveen sharma
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