मथुरा: सर्वोच्च न्यायालय एवं बार काउंसलिंग ऑफ इंडिया और बार काउंसलिंग ऑफ उत्तर प्रदेश के निर्देशानुसार बार एसोसिएशन मथुरा द्वारा यह निर्णय लिया गया है कि अब बार एसोसिएशन मथुरा में विधि व्यवसाय करने वाले अधिवक्ताओं को ही बार के चुनावों में मतदान करने का अधिकार होगा. बार एसोसिएशन मथुरा के निर्णय अनुसार 1200 ऐसे अधिवक्ता हैं जो विधि व्यवसाय के अलावा अन्य कामों में जुटे हुए हैं, वो बार एसोसिएशन के चुनावों में मतदान नहीं कर सकेंगे. इसके साथ ही बार से मिलने वाली सुविधाओं से भी इन अधिवक्ताओं को वंचित कर दिया जाएगा.
सर्वोच्च न्यायालय एवं बार काउंसलिंग ऑफ इंडिया व बार काउंसलिंग ऑफ उत्तर प्रदेश के निर्देशानुसार बार एसोसिएशन मथुरा द्वारा यह निर्णय लिया गया है कि विधि व्यवसाय करने वाले अधिवक्ताओं को ही बार एसोसिएशन के चुनावों में मतदान करने का अधिकार होगा. इसके साथ ही बार से मिलने वाली सुविधाएं भी केवल विधि व्यवसाय करने वाले अधिवक्ताओं को ही दी जाएंगी. बार काउंसलिंग ऑफ इंडिया एवं बार काउंसलिंग ऑफ उत्तर प्रदेश द्वारा जारी निर्देशों के अनुसार एक अधिवक्ता किसी भी एक बार का ही सदस्य रहेगा और उसी बार में ही मतदान करेगा.
बार एसोसिएशन मथुरा के अनुसार, मथुरा बार में करीब 2000 अधिवक्ता हैं, जिनमें से 12 सौ अधिवक्ता विधि व्यवसाय के अलावा अन्य व्यवसाय नौकरी, व्यापार आदि कामों में लगे हुए हैं. इन सभी 1200 अधिवक्ताओं को बार एसोसिएशन के चुनावों में अब मतदान नहीं करने दिया जाएगा. इसके साथ ही बार एसोसिएशन से मिलने वाली वित्तीय सहायता भी इन अधिवक्ताओं को नहीं दी जाएंगी.
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बार अध्यक्ष मथुरा अजीत तेहरिया ने बताया कि सर्वोच्च न्यायालय से मिले निर्देशों के अनुसार एक सूची तैयार की गई और जांच की गई तो पता चला कि 887 अधिवक्ता ऐसे हैं जो नियमित रूप से प्रैक्टिस कर रहे हैं. अन्य जो अधिवक्ता हैं वह अपना पंजीकरण कराने के बाद दूसरे कामों में लगे हुए हैं. वह अधिवक्ता न ही कभी प्रैक्टिस कर रहे हैं और न ही नियमित रूप से न्यायालय आते हैं. बार एसोसिएशन मथुरा द्वारा की जा रही कार्रवाई से जो अधिवक्ता नियमित रूप से प्रैक्टिस कर रहे हैं, उन्हें काफी लाभ पहुंचने वाला है.
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