मथुरा: हरियाली तीज के पर्व पर बुधवार को ठाकुर बांके बिहारी जी ने स्वर्णं-रजत हिंडोली में भक्तों को दर्शन दिए. देश-विदेश से भक्त भारी संख्या में मंदिर पहुंचे. नगर में चहुं और भक्तों की भीड़ दिखाई दे रही थी. सुबह 7:45 बजे भगवान स्वर्णं रजत हिंडोले में विराजमान होकर भक्तों को गर्भगृह से निकलकर दर्शन देने के लिए पहुंचे. मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए पुलिस और मंदिर प्रशासन ने पुख्ता इंतजाम किए थे. भक्तों को कोविड प्रोटोकॉल का अनुपालन कराते हुए ही मंदिर में प्रवेश दिया जा रहा था.
हरियाली तीज पर्व के पावन मौके पर बांके बिहारी मंदिर को विभिन्न प्रकार के फूल-पत्ती की लड़ियों आदि से भव्य तरीके से सजाया गया है. सेवायत गोस्वामियों द्वारा जन-जन के आराध्य को झूला झुलाने के लिये स्वर्णं-रजत हिण्डोला सजाने के साथ ही झूले के समीप हरे-हरे परिधानों में सुसज्जित सखियों को स्थापित किया गया. झूले के पृष्ठभाग में सुख सेज सजाकर उसमें ठाकुरजी की सेवा में दर्पंण, कंघी, इत्र, पुष्प-हार और अन्य शृंगार सामग्री रखी गयी है. क्योंकि मान्यता है कि बांके बिहारी महाराज काफी देर तक हिण्डोले में विराजने के कारण थक जाते हैं इसलिए रात्रि को उन्हें इसी सुख सेज पर लाकर उनकी चरण सेवा की जाती है. तत्पश्चात उनको गर्भगृह में प्रवेश कराया जाता है. जैसे ही भक्तों ने हिण्डोले में विराजमान हरे रंग की मनभावन पोशाक धारण किए हुए अपने आराध्य के दर्शन किये तो श्रद्धालु गदगद हो उठे और जयघोष करने लगे.
15 अगस्त 1947 को जब देश आजाद हुआ था, तब पहली बार वृंदावन के बांके बिहारी जी सोने चांदी के हिंडोले में विराजमान हुए थे. 32 फुट चौड़े और 20 फुट ऊंचे सोने और चांदी से बने इस विशाल झूले में भगवान बांके बिहारी झूलन उत्सव का आनंद लेते है. उनके दोनों तरफ खड़ी सखियां उन्हें झूला झुलाती है. तीज के मौके पर हरे रंग की महत्ता को देखते हुए ठाकुर जी को हरे रंग की विशेष पोशाक पहनाई जाती है. इस दिन ठाकुर जी को विशेष घेवर और फेनी का भोग लगाया जाता है.
बांके बिहारी मंदिर के सेवायत शुभम गोस्वामी ने बताया कि आज बड़ी धूमधाम के साथ हरियाली तीज का पर्व मनाया जा रहा है. हरियाली का मतलब चारों ओर हरा ही हरा. हरियाली तीज पर वर्ष में एक ही दिन ठाकुर बांके बिहारी जी महाराज हिंडोले पर बैठकर अपने श्रद्धालुओं को दर्शन देते हैं, उनके सभी संकट दूर करते हैं. इस साल हम भी भगवान से प्रार्थना करना चाहेंगे कि इस कोरोना रूपी राक्षस को भगवान इस महापर्व पर खत्म करें. ऐसा कहा जाता है कि ठाकुर बांके बिहारी के अनन्य भक्त सेठ हरगुलाल बेरीवाला ने वर्ष 1947 में स्वर्ण रजत हिंडोली का निर्माण कराया गया था. तभी से ठाकुरजी हरियाली तीज के पर्व पर इस अनूठे हिंडोली में विराजमान होकर भक्तों को दर्शन देते हैं.
गोपी गोस्वामी मंदिर सेवायत ने बताया ब्रज में हरियाली तीज का एक अलग ही उत्सव मनाया जाता है. मंदिर में ठाकुर जी को हरे रंग की पोशाक धारण कराई जाती है. बिहारी जी सोने-चांदी के हिंडोले में विराजमान होकर भक्तों को दर्शन देते हैं. बिहारी जी दूरदराज से आकर श्रद्धालु बिहारी जी के दर्शन पाकर धन्य हो जाते हैं.