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मैनपुरी: कोरोना की भेंट चढ़ा झुग्गी में रहने वालों का जीवन, भीख मांगने को मजबूर

मैनपुरी में लॉकडाउन में झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले लोगों का बुरा हाल है. मौजूदा समय में यह लोग भीख मांगकर खाने पर मजबूर हैं. पहले ये लोग कबाड़ को बेचकर उससे जीवन यापन करते थे.

mainpuri
मजदूरों की झुग्गियां तबाह.
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Published : Jun 16, 2020, 4:42 AM IST

मैनपुरी: जिले में रेलवे स्टेशन के पास ट्रैक के किनारे बनी हुई झुग्गी में रहने वाले लोग जैसे-तैसे जीवन जीने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. मौजूदा समय में यह लोग भीख मांगकर खाने पर मजबूर हैं. लॉकडाउन के दौरान स्थानीय प्रशासन ने सुध तो इनकी ली थी, लेकिन उसके बाद कोई भी इन को राहत नहीं मिली. झुग्गियों में रहने वाले ये लोग शहर के कचरे में से निकलने वाले कबाड़ को बेचकर उससे जीवन यापन करते थे. दो वक्त की रोटी का प्रबंध पहले हो जाता था, लेकिन अब काफी परेशानी हो रही है.

वहीं जब ईटीवी भारत की टीम ने झुग्गी झोपड़ियों में रह रहे लोगों से उनके हालात के बारे जानने का प्रयास किया है. लोगों का कहना है कोरोना के दौरान हम अगर शहर में कबाड़ बीनने के लिए जाते हैं तो पुलिस मार के भगा देती है. राशन कार्ड नहीं है, 25 साल से यहां रह रहे हैं. ट्रैक पार करके पानी लेने के लिए जाना पड़ता है. बारिश का मौसम आ रहा है इससे काफी परेशानी होगी. झुग्गी-झोपड़ियों में पानी भर जाएगा. लोगों का कहना है कि कई लोग आते हैं और नाम-पता पूछ कर जाते हैं, लेकिन कोई सहायता नहीं मिलती.

लोगों से बात करते संवाददाता.

मैनपुरी जिले में रेलवे स्टेशन के पास रेलवे ट्रैक के किनारे भांवत चौराहे के पास 30 की संख्या में झुग्गी-झोपड़ियां हैं. इन झोपड़ियों में 200 लोग रहते हैं. ये लोग 25 साल पहले पड़ोसी जनपदों से आए थे. रोजी रोटी की तलाश में शहर में बस गए. अब आलम ये है कि ये लोग खाने पीने के मोहताज हो गए हैं. कोरोना के इस दौर में स्थानीय प्रशासन ने दो-चार दिन मदद की, लेकिन बाद में इनकी सुध लेने भी लोगों ने आना बंद कर दिया. बच्चे-बूढ़े आस-पास के इलाकों में भीख मांगते हैं. इसी तरीके से इनकी गुजर हो रही है.

मैनपुरी: जिले में रेलवे स्टेशन के पास ट्रैक के किनारे बनी हुई झुग्गी में रहने वाले लोग जैसे-तैसे जीवन जीने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. मौजूदा समय में यह लोग भीख मांगकर खाने पर मजबूर हैं. लॉकडाउन के दौरान स्थानीय प्रशासन ने सुध तो इनकी ली थी, लेकिन उसके बाद कोई भी इन को राहत नहीं मिली. झुग्गियों में रहने वाले ये लोग शहर के कचरे में से निकलने वाले कबाड़ को बेचकर उससे जीवन यापन करते थे. दो वक्त की रोटी का प्रबंध पहले हो जाता था, लेकिन अब काफी परेशानी हो रही है.

वहीं जब ईटीवी भारत की टीम ने झुग्गी झोपड़ियों में रह रहे लोगों से उनके हालात के बारे जानने का प्रयास किया है. लोगों का कहना है कोरोना के दौरान हम अगर शहर में कबाड़ बीनने के लिए जाते हैं तो पुलिस मार के भगा देती है. राशन कार्ड नहीं है, 25 साल से यहां रह रहे हैं. ट्रैक पार करके पानी लेने के लिए जाना पड़ता है. बारिश का मौसम आ रहा है इससे काफी परेशानी होगी. झुग्गी-झोपड़ियों में पानी भर जाएगा. लोगों का कहना है कि कई लोग आते हैं और नाम-पता पूछ कर जाते हैं, लेकिन कोई सहायता नहीं मिलती.

लोगों से बात करते संवाददाता.

मैनपुरी जिले में रेलवे स्टेशन के पास रेलवे ट्रैक के किनारे भांवत चौराहे के पास 30 की संख्या में झुग्गी-झोपड़ियां हैं. इन झोपड़ियों में 200 लोग रहते हैं. ये लोग 25 साल पहले पड़ोसी जनपदों से आए थे. रोजी रोटी की तलाश में शहर में बस गए. अब आलम ये है कि ये लोग खाने पीने के मोहताज हो गए हैं. कोरोना के इस दौर में स्थानीय प्रशासन ने दो-चार दिन मदद की, लेकिन बाद में इनकी सुध लेने भी लोगों ने आना बंद कर दिया. बच्चे-बूढ़े आस-पास के इलाकों में भीख मांगते हैं. इसी तरीके से इनकी गुजर हो रही है.

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