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मैनपुरी: एसपी ने कविता के माध्यम से युवाओं को समझाया जीवन का मूल-मंत्र - मैनपुरी एसपी ने जिले के युवाओं को दिया संदेश

मैनपुरी एसपी ने मीडिया के माध्यम से जिले के नवयुवकों को अपराध में जाने से रोकने के लिए संदेश दिया. कविता के माध्यम से संदेश देते हुए उन्होंने कहा कि एक बार रुक कर जरूर सोचें कि कहीं वे बेकार चीजों के पीछे तो नहीं भाग रहे.

Mainpuri news
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Published : Oct 11, 2020, 3:01 PM IST

मैनपुरी: जनपद पुलिस में एसपी के नेतृत्व में अपराध के प्रति जीरो टॉलरेंस नीति पर काम कर रही है. तो वहीं एसपी ने नवयुवकों को अपराध से दूर रहने के लिए जीनव का मूल मंत्र दिया. उन्होंने कहा कि जीवन एक वन है, जिस तरीके से वन में जाते हैं, तो पग-पग खतरे का सामना करना पड़ता है. इसी तरीके से जीवन में अगर थोड़ी भी चूक हुई, तो जीवन के रास्ते से भटक जाएंगे और हमारा जीवन निरर्थक हो जाएगा.

कविता के माध्यम से समझाया जीवन का ध्येय

पुलिस अधीक्षक मैनपुरी अजय कुमार ने जीवन का अर्थ चंद पंक्तियों के माध्यम से समझाया है.


जीवन वन है
जीवन वन है; वन रहने दो
मानव को मानव रहने दो
क्यों बटोरते कंकड़ पत्थर
जीवन को जीवन रहने दो

वन में शांति रहती है, वन में पग-पग पर खतरे भी रहते हैं. इसलिए वन में जीवित रहने के लिए सदा सतर्क रहना पड़ता है. असली जीवन भी ऐसा ही एक वन है. वर्तमान में मानव को वन की अपेक्षा बहुत ढेर सारी सुविधाएं मिली हुई हैं. उसके बावजूद भी उसके मन की शांति में बहुत कमी आई है, जो कि एक विचारणीय बिन्दु हैं.

'भीड़ में भटक रहे इंसान'

एसपी ने कहा कि, हमने अपनी नैसर्गिक मनोस्थिति को खो दिया है. हमारी नैसर्गिक मनोस्थिति शांति और आनन्द की है. हम भौतिकता में, क्षणिक सुखों की तलाश और अभ्यास में, ईंट-कंकड़-पत्थर-ज़मीन-मकान-दूकान-सोना-चांदी खोजने व संभालने में इतने मशगूल हो गए हैं कि खुद को भी भूल बैठे हैं. इस वजह से यह जरूरी है कि हम जरा ठहरे खुद को देखें. विचारें कि क्या हम उस मंज़िल की तरफ जा रहे हैं जहां जाने को कभी सोचा था या हम भीड़ में भटक गए हैं.

मैनपुरी: जनपद पुलिस में एसपी के नेतृत्व में अपराध के प्रति जीरो टॉलरेंस नीति पर काम कर रही है. तो वहीं एसपी ने नवयुवकों को अपराध से दूर रहने के लिए जीनव का मूल मंत्र दिया. उन्होंने कहा कि जीवन एक वन है, जिस तरीके से वन में जाते हैं, तो पग-पग खतरे का सामना करना पड़ता है. इसी तरीके से जीवन में अगर थोड़ी भी चूक हुई, तो जीवन के रास्ते से भटक जाएंगे और हमारा जीवन निरर्थक हो जाएगा.

कविता के माध्यम से समझाया जीवन का ध्येय

पुलिस अधीक्षक मैनपुरी अजय कुमार ने जीवन का अर्थ चंद पंक्तियों के माध्यम से समझाया है.


जीवन वन है
जीवन वन है; वन रहने दो
मानव को मानव रहने दो
क्यों बटोरते कंकड़ पत्थर
जीवन को जीवन रहने दो

वन में शांति रहती है, वन में पग-पग पर खतरे भी रहते हैं. इसलिए वन में जीवित रहने के लिए सदा सतर्क रहना पड़ता है. असली जीवन भी ऐसा ही एक वन है. वर्तमान में मानव को वन की अपेक्षा बहुत ढेर सारी सुविधाएं मिली हुई हैं. उसके बावजूद भी उसके मन की शांति में बहुत कमी आई है, जो कि एक विचारणीय बिन्दु हैं.

'भीड़ में भटक रहे इंसान'

एसपी ने कहा कि, हमने अपनी नैसर्गिक मनोस्थिति को खो दिया है. हमारी नैसर्गिक मनोस्थिति शांति और आनन्द की है. हम भौतिकता में, क्षणिक सुखों की तलाश और अभ्यास में, ईंट-कंकड़-पत्थर-ज़मीन-मकान-दूकान-सोना-चांदी खोजने व संभालने में इतने मशगूल हो गए हैं कि खुद को भी भूल बैठे हैं. इस वजह से यह जरूरी है कि हम जरा ठहरे खुद को देखें. विचारें कि क्या हम उस मंज़िल की तरफ जा रहे हैं जहां जाने को कभी सोचा था या हम भीड़ में भटक गए हैं.

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