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मैनपुरी: अधिकारियों की मिली भगत से बैंक में हुआ घोटाला, बिना लोन लिए किसानों के नाम कटी आरसी

यूपी के मैनपुरी में एक ग्रामीण बैंक में करोड़ों का घोटाला हुआ. बैंक के शाखा प्रबंधक पर घोटाले का आरोप है. ग्रामीण की शिकायतों पर अधिकारियों द्वारा उन्हें बस आश्वासन मिलता है.

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Published : Jan 16, 2020, 12:04 PM IST

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संवाददाता.

मैनपुरी: आर्यव्रत बैंक की एक शाखा में करोड़ों का घोटाला हुआ था. ब्यूती खुर्द गांव में 1993 में ग्रामीण बैंक की शाखा खोली गई, जिसका उद्देश्य था कि ग्रामीणों को बैंक की सुविधा मिले. बैंक ने इसके उलट काम किया. चंद भ्रष्ट अफसरों के चलते बैंक में भ्रष्टाचार हुआ. नारायण सिंह नाम के व्यक्ति के रिटायरमेंट के दौरान आठ लाख 90 हजार रुपया बैंक में आया. यह पैसा 2014 में मैनेजर संदीप चौहान द्वारा गबन कर लिया गया था. इसकी जानकारी नारायण सिंह को हुई तो हृदय गति रुकने से उनकी मौत हो गई.

ग्रामीण बैंक में घोटाला.

मामले की शिकायत बैंक अधिकारियों से की गई. जांच के बाद मैनेजर को 2015 में बर्खास्त कर दिया गया. साथ ही इसके बाद यह मामला पूर्ण रूप से ठंडे बस्ते में चला गया. 2019 साल के अंत में बैंक कर्मियों ने करोड़ों रुपये के घोटाले की फर्जीवाड़े की रिपोर्ट दर्ज कराई.

ग्रामीण बैंक में फर्जीवाड़ा
ईटीवी से सैकड़ों की संख्या में ग्रामीणों ने अपना दर्द बयां किया. ग्रामीणों ने बताया कि पूर्व मैनेजर ने सैकड़ों की संख्या में फर्जी लोन किए और लोन की रकम खुद हड़प ली. लगातार लोन और कैश में घोटाला करता रहा और ऑडिट होती रही. शाखा प्रबंधक की चालाकी की वजह से काई उसे पकड़ नहीं पाया. अब जब लोन चुकता न करने की वजह से ग्रामीणों को नोटिस जारी हुए तो सभी के होश उड़ गए. बिना लोन लिए उन्हें अब बैंक द्वारा परेशान किया जा रहा है. जिसके बाद अब किसान न्यायालय की शरण में है.

वहीं एक महिला का पति जो कि सिपाही पद पर तैनात था, उसको पेंशन मिल रही थी. महिला का खाता ग्रामीण बैंक की शाखा ब्यूती खुर्द में था. महिला ने अपने एक रिश्तेदार को बारिशआना हक दे दिया था. बैंक में महिला के लगभग 68 हजार रुपये थे. महिला के मरने के बाद महिला का रिश्तेदार पैसे निकालने के लिए गया तो पता चला कि बैंक कर्मियों ने अंगूठा लगाकर रुपया निकाल लिया था. जब ग्रामीण शिकायत के लिए बैंक अधिकारियों के पास जाते हैं तो सिर्फ आश्वासन देकर वापस कर दिया जाता है.

मौजूदा शाखा प्रबंधक गिरीश चंद्र गुप्ता हमेशा शिकायतों के चलते सुर्खियों में रहते हैं. बैंक में उनकी तैनाती है. आरोप है कि वे अपने साथ एक दलाल लेकर आये हैं. अगर किसान क्रेडिट कार्ड जारी करवाना है तो उसी के माध्यम से बात की जाएगी और मोटा कमीशन तय होगा. तभी क्रेडिट कार्ड जारी हो सकेगा.

वहीं जब ईटीवी भारत संवाददाता ने शाखा प्रबंधक से बात करने की कोशिश की तो वो भड़क गए और किसी भी तरह की प्रतिक्रिया देने से साफ मना कर दिया.

मैनपुरी: आर्यव्रत बैंक की एक शाखा में करोड़ों का घोटाला हुआ था. ब्यूती खुर्द गांव में 1993 में ग्रामीण बैंक की शाखा खोली गई, जिसका उद्देश्य था कि ग्रामीणों को बैंक की सुविधा मिले. बैंक ने इसके उलट काम किया. चंद भ्रष्ट अफसरों के चलते बैंक में भ्रष्टाचार हुआ. नारायण सिंह नाम के व्यक्ति के रिटायरमेंट के दौरान आठ लाख 90 हजार रुपया बैंक में आया. यह पैसा 2014 में मैनेजर संदीप चौहान द्वारा गबन कर लिया गया था. इसकी जानकारी नारायण सिंह को हुई तो हृदय गति रुकने से उनकी मौत हो गई.

ग्रामीण बैंक में घोटाला.

मामले की शिकायत बैंक अधिकारियों से की गई. जांच के बाद मैनेजर को 2015 में बर्खास्त कर दिया गया. साथ ही इसके बाद यह मामला पूर्ण रूप से ठंडे बस्ते में चला गया. 2019 साल के अंत में बैंक कर्मियों ने करोड़ों रुपये के घोटाले की फर्जीवाड़े की रिपोर्ट दर्ज कराई.

ग्रामीण बैंक में फर्जीवाड़ा
ईटीवी से सैकड़ों की संख्या में ग्रामीणों ने अपना दर्द बयां किया. ग्रामीणों ने बताया कि पूर्व मैनेजर ने सैकड़ों की संख्या में फर्जी लोन किए और लोन की रकम खुद हड़प ली. लगातार लोन और कैश में घोटाला करता रहा और ऑडिट होती रही. शाखा प्रबंधक की चालाकी की वजह से काई उसे पकड़ नहीं पाया. अब जब लोन चुकता न करने की वजह से ग्रामीणों को नोटिस जारी हुए तो सभी के होश उड़ गए. बिना लोन लिए उन्हें अब बैंक द्वारा परेशान किया जा रहा है. जिसके बाद अब किसान न्यायालय की शरण में है.

वहीं एक महिला का पति जो कि सिपाही पद पर तैनात था, उसको पेंशन मिल रही थी. महिला का खाता ग्रामीण बैंक की शाखा ब्यूती खुर्द में था. महिला ने अपने एक रिश्तेदार को बारिशआना हक दे दिया था. बैंक में महिला के लगभग 68 हजार रुपये थे. महिला के मरने के बाद महिला का रिश्तेदार पैसे निकालने के लिए गया तो पता चला कि बैंक कर्मियों ने अंगूठा लगाकर रुपया निकाल लिया था. जब ग्रामीण शिकायत के लिए बैंक अधिकारियों के पास जाते हैं तो सिर्फ आश्वासन देकर वापस कर दिया जाता है.

मौजूदा शाखा प्रबंधक गिरीश चंद्र गुप्ता हमेशा शिकायतों के चलते सुर्खियों में रहते हैं. बैंक में उनकी तैनाती है. आरोप है कि वे अपने साथ एक दलाल लेकर आये हैं. अगर किसान क्रेडिट कार्ड जारी करवाना है तो उसी के माध्यम से बात की जाएगी और मोटा कमीशन तय होगा. तभी क्रेडिट कार्ड जारी हो सकेगा.

वहीं जब ईटीवी भारत संवाददाता ने शाखा प्रबंधक से बात करने की कोशिश की तो वो भड़क गए और किसी भी तरह की प्रतिक्रिया देने से साफ मना कर दिया.

Intro:मैनपुरी आर्यव्रत बैंक की एक शाखा जिसमें करोड़ों का घोटाला तो हुआ वही शाखा प्रबंधक के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर बैंक अधिकारियों ने किया इति श्री लेकिन जो शाखा प्रबंधक ने फर्जी लोन करके दस्तावेज को ही नष्ट कर दिया और सैकड़ों की संख्या में ग्रामीणों को लूट लिया गया भोले-भाले किसानों को न्याय के लिए भटक रहे हैं और सिर्फ अधिकारी जांच का आश्वासन दे रहे हैं


Body:उत्तर प्रदेश का मैनपुरी जनपद के तहसील मैनपुरी में ब्यूती खुर्द गांव में 1993 में ग्रामीण बैंक की शाखा खोली गई उद्देश्य था ग्रामीणों को बैंक की सुविधा मिले लेकिन ऐसा सिर्फ कागजों में ही या बोलने में ही ठीक लगता था वास्तविक में में इस बैंक ने उलट काम किया और चंद भ्रष्ट अफसरों के चलते यह बैंक भ्रष्टाचार के समुंदर में डूब गई

जब ईटीवी की टीम बैंक घोटाले की खबर पर पहुंची तो सैकड़ों की संख्या में ग्रामीणों ने अपना दर्द बयां किया और बताया कि पूर्व मैनेजर ने सैकड़ों की संख्या में फर्जी लोन किए और लोन की रकम खुद ही हड़प ली इतने दिन तक लगातार लोन और कैश में घोटाला करता रहा और ऑडिट होती रही यह शाखा प्रबंधक की चालाकी किसी ने पकड़ नहीं पाई उसका खामियाजा हम भुगत रहे हैं हमें नोटिस दिए गए आरसी जारी किया गया और हम आज न्यायालय के चक्कर लगा रहे हैं कि साहब हमने लोन नहीं लिया है कुछ ऐसे भी लोग हमें मिले जिन्होंने किसान क्रेडिट कार्ड तो बनवाया था जमा भी कर दिया फिर भी वह न्यायालय में विचाराधीन हैं हद तो तब हो गई जब एक महिला का पति जो कि सिपाही पद पर तैनात था उसको पेंशन मिल रही थी जिसका खाता ग्रामीण बैंक की शाखा ब्यूती खुर्द में था महिला कि कोई नहीं था तो महिला ने अपने एक रिश्तेदार को बारिशआना हक दे दिया था जिसमें महिला के लगभग 68000 रूपया मरने के उपरांत उसने छोड़ दिया था और कहा था कि मेरे मरने के बाद यह रुपए से मेरे जो खर्चे होते हैं वह कर देना जब बारिशआना इसके पैसे निकालने के लिए गया तो उस दौरान महिला का मरने के बाद भी इन बैंक कर्मियों ने अंगूठा लगाकर रुपया निकाल लिया था जब यह ग्रामीण शिकायत के लिए बैंक अधिकारियों से जाते हैं तो इनको सिर्फ आश्वासन देकर वापस कर दिया जाता है इतना लंबा समय बीत जाने के बाद भी सिर्फ इनको आश्वासन मिला है जांच चल रही है और बैंक ने अपने घोटाले की जांच करके एफ आई आर दर्ज तो करा दी लेकिन इन किसानों का कोई भला ना हो सका

मौजूदा शाखा प्रबंधक गिरीश चंद्र गुप्ता जो कि हमेशा शिकायतों के चलते सुर्खियों में रहता है उसको तैनाती कर दी गई अब तो आलम यह हो गया है कि अपने साथ एक दलाल लेकर आया है उसी के माध्यम से अगर किसान क्रेडिट कार्ड जारी करवाना है तो बात की जाएगी और मोटा कमीशन तय होगा तभी आपका क्रेडिट कार्ड जारी हो सकेगा जब ईटीवी ने शाखा प्रबंधक से बात किया तो भड़क गया


Conclusion:किसानों को अन्नदाता कहते हैं लेकिन यह बैंक कर्मी इन्हीं अन्नदाता को लूट कर फरार हो गए प्रवीन
सक्सेना मैनपुरी 9457 41230 4
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