महोबा: बुंदेलखंड में लगातार हो रहे पलायन को रोकने की सारी कवायदें सरकारी कागजों तक सिमट कर रह गई हैं. मनरेगा जैसी महत्वाकांक्षी योजना भी बुंदेलखंड से पलायन को नहीं रोक सकी. यही वजह है कि आज रोजी रोटी की तलाश में हजारों ग्रामीण बुंदेलखंड के गांवों से महानगरों की तरफ पलायन कर रहे हैं.
बड़ी संख्या में ग्रामीणों ने किया पलायन
महोबा मुख्यालय की सीमा से सटा हुआ सिजहरी एक ऐसा गांव है. इस गांव की जनसंख्या लगभग 12 हजार के आसपास है और यहां से बड़ी तादाद में ग्रामीण पलायन कर रहे हैं. वैसे तो ग्रामीण क्षेत्रों में सरकार द्वारा कई योजनाएं चलाई जा रही है, लेकिन रोजगार सही से न मिल पाने के कारण बुंदेली महानगरों के लिए पलायन कर जाते हैं और गांव में रह जाते हैं कुछ बुजुर्ग, जो अपने दरवाजों के बाहर बैठे नजर आते हैं. हर साल पड़ रहे सूखे ने बुंदेलखंड के महोबा जिले के किसानों को बदहाल कर दिया है.
रोजगार की कमी के चलते करना पड़ रहा है पलायन
ग्रामीण बताते हैं कि गांव में रोजगार मुहैया नहीं है. साथ ही बारिश न होने के कारण खेती भी जवाब दे रही है इसलिए मजबूरन गांव छोड़कर जाना पड़ता है. सरकार द्वारा मनरेगा रोजगार योजना तो चलाई जा रही है लेकिन प्रतिदिन काम नहीं मिलता है और भुगतान भी महीनों में होता है. ऐसे में मजदूर दो वक्त की रोटी के लिए पलायन करने को मजबूर हैं.
जहां एक ओर बुंदेली बड़ी संख्या में दो वक्त की रोजी रोटी के लिए पलायन कर रहे हैं, वही दूसरी तरफ जिलाधिकारी अजय कुमार तिवारी ने अपना बचाव करते हुए बताया कि जिले में पलायन जैसी कोई समस्या नहीं है. जब कि गांव के घरों में लगे ताले जिलाधिकारी के बयान को झूठा साबित कर रहे हैं.