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महोबा में स्वास्थ्य विभाग पूल टेस्टिंग को दे रहा है बढ़ावा

यूपी के महोबा में स्वास्थ्य विभाग की ओर से पूल टेस्टिंग को बढ़ावा दिया जा रहा है. जिला अस्पताल के चिकित्सकों के मुताबिक पूल टेस्टिंग से काम जल्दी और आसान हो गया है.

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सीएमएस.
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Published : Jun 22, 2020, 3:08 PM IST

महोबा: जनपद में महानगरों से गांवोंं की ओर लौट रहे प्रवासी कामगारों की संख्या को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग की ओर से पूल टेस्टिंग को बढ़ावा दिया जा रहा है. जिला अस्पताल के चिकित्सकों के मुताबिक पूल टेस्टिंग से काम जल्दी और आसान हो गया है.

लॉकडाउन में मिली छूट के बाद जनपद में अब तक 20 हजार से अधिक श्रमिक आ चुके हैं. इनमे से कई श्रमिक स्पेशल ट्रेन से आए हैं, जबकि कई बसों और निजी वाहनों से अपने-अपने गांव पहुंचे हैं. प्रवासियों की जांच के लिए जिला प्रशासन सीधे घरों तक पहुंचने वालों को सूचीबद्ध कर पूल टेस्टिंग करा रहा है. पूल टेस्ट में पांच से दस श्रमिकों का एक ग्रुप बनाया जाता है. हर श्रमिक का नमूना लेकर लैब भेजा जाता है. लैब में काम का दबाव कम करने के लिए संख्या के अनुसार पूल बनाकर हर सदस्य के नमूने से थोड़ा-थोड़ा सैंपल लेकर उसे एक साथ मिलाकर सेंपल तैयार किया जाता है. अगर जांच में रिपोर्ट में निगेटिव आई तो सभी सदस्य निगेटिव होते हैं. वही अगर रिपोर्ट पॉजिटिव आई तो पूल के हर नमूने को अलग-अलग जांच कर पॉजिटिव की तलाश की जाती है.

जिला अस्पताल के सीएमएस डॉ. आरपी मिश्रा ने कहा कि पूल टेस्टिंग में पांच से दस लोगों का ग्रुप बनाकर सैंपल लेकर एक साथ पैक कर जांच के लिए भेजा जाता है. जांच रिपोर्ट में अगर ग्रुप के सभी सदस्य निगेटिव हैं, तो सही है. अगर पॉजिटिव है तो ग्रुप के हर सदस्य की दुबारा अलग-अलग जांच की जाती है. इससे जांच भी काम समय में आ जाती है. जांच करने में आसानी हो जाती है.

महोबा: जनपद में महानगरों से गांवोंं की ओर लौट रहे प्रवासी कामगारों की संख्या को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग की ओर से पूल टेस्टिंग को बढ़ावा दिया जा रहा है. जिला अस्पताल के चिकित्सकों के मुताबिक पूल टेस्टिंग से काम जल्दी और आसान हो गया है.

लॉकडाउन में मिली छूट के बाद जनपद में अब तक 20 हजार से अधिक श्रमिक आ चुके हैं. इनमे से कई श्रमिक स्पेशल ट्रेन से आए हैं, जबकि कई बसों और निजी वाहनों से अपने-अपने गांव पहुंचे हैं. प्रवासियों की जांच के लिए जिला प्रशासन सीधे घरों तक पहुंचने वालों को सूचीबद्ध कर पूल टेस्टिंग करा रहा है. पूल टेस्ट में पांच से दस श्रमिकों का एक ग्रुप बनाया जाता है. हर श्रमिक का नमूना लेकर लैब भेजा जाता है. लैब में काम का दबाव कम करने के लिए संख्या के अनुसार पूल बनाकर हर सदस्य के नमूने से थोड़ा-थोड़ा सैंपल लेकर उसे एक साथ मिलाकर सेंपल तैयार किया जाता है. अगर जांच में रिपोर्ट में निगेटिव आई तो सभी सदस्य निगेटिव होते हैं. वही अगर रिपोर्ट पॉजिटिव आई तो पूल के हर नमूने को अलग-अलग जांच कर पॉजिटिव की तलाश की जाती है.

जिला अस्पताल के सीएमएस डॉ. आरपी मिश्रा ने कहा कि पूल टेस्टिंग में पांच से दस लोगों का ग्रुप बनाकर सैंपल लेकर एक साथ पैक कर जांच के लिए भेजा जाता है. जांच रिपोर्ट में अगर ग्रुप के सभी सदस्य निगेटिव हैं, तो सही है. अगर पॉजिटिव है तो ग्रुप के हर सदस्य की दुबारा अलग-अलग जांच की जाती है. इससे जांच भी काम समय में आ जाती है. जांच करने में आसानी हो जाती है.

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