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बुंदेलों ने पीएम मोदी को खून से लिखा खत, मांगी इच्छा मृत्यु

विश्व मानव अधिकार दिवस के मौके पर गुरुवार को बुंदेली समाज के लोगों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 11वीं बार खून से खत लिखा. इस पत्र के माध्यम से बुंदेली समाज के लोगों पीएम से इच्छा मित्र का अधिकार देने की मांग की.

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पीएम मोदी को बुंदेलों ने खून से लिखा खत
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Published : Dec 10, 2020, 6:35 PM IST

महोबा: अलग बुंदेलखंड राज्य की मांग और क्षेत्र की बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं के खिलाफ लंबे समय से संघर्ष कर रहे बुंदेली समाज ने विश्व मानव अधिकार दिवस के मौके पर गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 11वीं बार खून से खत लिखकर इच्छा मृत्यु देने की मांग की. बुंदेली समाज का कहना है कि इलाज के अभाव में तिल-तिल कर मरने से अच्छा है कि सरकार हमें अब मरने का अधिकार दे दे.

10 लोगों ने पीएम को खून से लिखा खत

विश्व मानव अधिकार दिवस के मौके जिला मुख्यालय के आल्हा चौक स्थित अंबेडकर पार्क में बुंदेली समाज के लोगों ने बैठक की. इस दौरान बुंदेली समाज के संयोजक तारा पाटकर समेत 10 लोगों ने प्रधानमंत्री के नाम खून से खत लिखकर अपनी पीड़ा बयां की. उन्होंने कहा कि न तो सरकार हमें बुंदेलखंड राज्य देना चाहती है और न हम बुंदेलों को इलाज के लिए बेहतर सुविधाएं. इससे बेहतर है कि सरकार हमें मरने का अधिकार दे दे.

'3 साल में नये अस्पताल के लिए फाइनल नहीं हुई जमीन'

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे खत में बुंदेली समाज ने कहा कि सरकार क्षेत्र की मरणासन्न स्वास्थ्य सेवाओं को सुधारने में पूरी तरह नाकाम है. जिस नई संसद का भूमि पूजन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किया है, उसे दो साल में बनाने की तैयारी है. लेकिन, महोबा की मरणासन्न स्वास्थ्य सेवाओं को सुधारने के लिए सरकार तीन साल में नये अस्पताल के लिए जमीन तक फाइनल नहीं कर पाई, वो भी तब जब तीन बार डीएम जमीन चयनित कर शासन को भेज चुके हैं. शायद मर रहे लोगों के लिए नये अस्पताल से ज्यादा सांसदों के लिए नई संसद जरूरी है.

इन लोगों ने खून से लिखा खत

कार्यक्रम के दौरान सुरेश बुंदेलखंडी, रमाकांत नगायच, प्रेम चौरसिया, ग्यासी लाल कोस्टा, सिद्धांत त्रिपाठी, हरिओम निषाद, कृष्णा शंकर जोशी, देवेन्द्र तिवारी, प्रेम साहू, इकबाल हुसैन व अनिरुद्ध मिश्रा मौजूद रहे और अपने खून से खत लिखे.

महोबा: अलग बुंदेलखंड राज्य की मांग और क्षेत्र की बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं के खिलाफ लंबे समय से संघर्ष कर रहे बुंदेली समाज ने विश्व मानव अधिकार दिवस के मौके पर गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 11वीं बार खून से खत लिखकर इच्छा मृत्यु देने की मांग की. बुंदेली समाज का कहना है कि इलाज के अभाव में तिल-तिल कर मरने से अच्छा है कि सरकार हमें अब मरने का अधिकार दे दे.

10 लोगों ने पीएम को खून से लिखा खत

विश्व मानव अधिकार दिवस के मौके जिला मुख्यालय के आल्हा चौक स्थित अंबेडकर पार्क में बुंदेली समाज के लोगों ने बैठक की. इस दौरान बुंदेली समाज के संयोजक तारा पाटकर समेत 10 लोगों ने प्रधानमंत्री के नाम खून से खत लिखकर अपनी पीड़ा बयां की. उन्होंने कहा कि न तो सरकार हमें बुंदेलखंड राज्य देना चाहती है और न हम बुंदेलों को इलाज के लिए बेहतर सुविधाएं. इससे बेहतर है कि सरकार हमें मरने का अधिकार दे दे.

'3 साल में नये अस्पताल के लिए फाइनल नहीं हुई जमीन'

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे खत में बुंदेली समाज ने कहा कि सरकार क्षेत्र की मरणासन्न स्वास्थ्य सेवाओं को सुधारने में पूरी तरह नाकाम है. जिस नई संसद का भूमि पूजन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किया है, उसे दो साल में बनाने की तैयारी है. लेकिन, महोबा की मरणासन्न स्वास्थ्य सेवाओं को सुधारने के लिए सरकार तीन साल में नये अस्पताल के लिए जमीन तक फाइनल नहीं कर पाई, वो भी तब जब तीन बार डीएम जमीन चयनित कर शासन को भेज चुके हैं. शायद मर रहे लोगों के लिए नये अस्पताल से ज्यादा सांसदों के लिए नई संसद जरूरी है.

इन लोगों ने खून से लिखा खत

कार्यक्रम के दौरान सुरेश बुंदेलखंडी, रमाकांत नगायच, प्रेम चौरसिया, ग्यासी लाल कोस्टा, सिद्धांत त्रिपाठी, हरिओम निषाद, कृष्णा शंकर जोशी, देवेन्द्र तिवारी, प्रेम साहू, इकबाल हुसैन व अनिरुद्ध मिश्रा मौजूद रहे और अपने खून से खत लिखे.

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