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प्रधानमंत्री की इस योजना के नाम पर युवाओं से 44 लाख की ठगी

महोबा में प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के तहत मिलने वाले प्रशिक्षण को ही नौकरी का नाम देकर, 44 अभ्यर्थियों से फर्जी फॉर्म भराकर 44 लाख रुपये ठग लिए गए. अब पीड़ित अभ्यर्थियों ने डीएम से न्याय की गुहार लगाई है.

नौकरी के नाम पर ठगी
नौकरी के नाम पर ठगी
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Published : Jul 15, 2021, 7:41 PM IST

महोबा: उत्तर प्रदेश में बेरोजगारी (Unemployment) मानो अभिशाप बन गई है. आंकड़े देखें तो अनगिनत बार नौकरी के नाम पर ठगी करने के मामले सामने आए हैं, फिर भी युवा फर्जी नौकरी दिलाने वालों के झांसे में आकर ठगी (cheating) का शिकार हो रहे हैं. नया मामला प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (Prime Minister Skill Development Scheme) से जुड़ा है. इसके अंतर्गत हेल्थकेयर सेंटर में प्रशिक्षण देने को ही नौकरी का नाम देकर 44 बेरोजगार युवकों से 44 लाख रुपये की ठगी हुई है.

दरअसल, कोरोना काल के दौरान सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath ) ने बुंदेलखंड दौरे के दौरान स्वास्थ्य व्यवस्था की बदहाली देख, कर्मचारियों की भारी कमी महसूस करते हुए युवाओं को प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के अंतर्गत हेल्थकेयर सेंटर में प्रशिक्षण के साथ रोजगार से जोड़ने की बात कही थी. बस यहीं से ठगों का दिमाग चल गया और प्रशिक्षण को ही नौकरी का नाम देकर 44 अभ्यर्थियों से फर्जी फॉर्म भराकर 44 लाख रुपये ठग लिए. जब अभ्यर्थियों को दो माह तक नियुक्ति पत्र नहीं मिला, तो उन्हें अपने साथ हुए फर्जीवाड़े का अंदेशा हुआ. अब पीड़ित अभ्यर्थियों ने डीएम से न्याय की गुहार लगाई है.

नौकरी के नाम पर ठगी

इसे भी पढ़ें-नौकरी दिलाने के नाम पर फर्जीवाड़ा करने वाले गिरोह का मुंबई में भंडाफोड़, 13 गिरफ्तार

ठगी का शिकार पीड़ित ने बताया कि दिवाकर दत्त तिवारी और विष्णु प्रजापति ने नौकरी का झांसा देकर 44 लोगों से एक-एक लाख रुपये ले लिए. पीड़ित ने बाताया कि सभी अभ्यर्थियों ने सीएमओ कार्यालय के बाहर सीएमओ के चपरासी की मौजूदगी में दिवाकर दत्त तिवारी ने रुपये लिए थे, लेकिन ज्वाइनिंग नहीं दी गई. इस पूरे प्रकरण से संबंधित एक बातचीत का ऑडियो भी वायरल हुआ है.

इसे भी पढ़ें-सेना में भर्ती के नाम पर फर्जीवाड़ा, आरोपियों को पुलिस ने छोड़ा

अभ्यर्थियों का कहना है कि जालसाज फोन रिसीव कर बात करता था. फोन पर ज्वानिंग लेटर देने के लिए अलग-अलग तारीख देता था. जब ठग का मोबाइल बंद हो गया. तब पीड़ित अभ्यर्थियों ने जिलाधिकारी से न्याय की गुहार लगाई है. हालांकि, सीएमओ डॉ मनोजकान्त सिन्हा ने प्रकरण के संबंध में अनभिज्ञता जताई है. सीएमओ ने कहा है कि वो ऐसे किसी शख्स को नहीं जानते. पीड़ित अभ्यर्थी आरोपी व्यक्ति के खिलाफ अभियोग पंजीकृत कराने के लिए स्वतंत्र हैं.

महोबा: उत्तर प्रदेश में बेरोजगारी (Unemployment) मानो अभिशाप बन गई है. आंकड़े देखें तो अनगिनत बार नौकरी के नाम पर ठगी करने के मामले सामने आए हैं, फिर भी युवा फर्जी नौकरी दिलाने वालों के झांसे में आकर ठगी (cheating) का शिकार हो रहे हैं. नया मामला प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (Prime Minister Skill Development Scheme) से जुड़ा है. इसके अंतर्गत हेल्थकेयर सेंटर में प्रशिक्षण देने को ही नौकरी का नाम देकर 44 बेरोजगार युवकों से 44 लाख रुपये की ठगी हुई है.

दरअसल, कोरोना काल के दौरान सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath ) ने बुंदेलखंड दौरे के दौरान स्वास्थ्य व्यवस्था की बदहाली देख, कर्मचारियों की भारी कमी महसूस करते हुए युवाओं को प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के अंतर्गत हेल्थकेयर सेंटर में प्रशिक्षण के साथ रोजगार से जोड़ने की बात कही थी. बस यहीं से ठगों का दिमाग चल गया और प्रशिक्षण को ही नौकरी का नाम देकर 44 अभ्यर्थियों से फर्जी फॉर्म भराकर 44 लाख रुपये ठग लिए. जब अभ्यर्थियों को दो माह तक नियुक्ति पत्र नहीं मिला, तो उन्हें अपने साथ हुए फर्जीवाड़े का अंदेशा हुआ. अब पीड़ित अभ्यर्थियों ने डीएम से न्याय की गुहार लगाई है.

नौकरी के नाम पर ठगी

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ठगी का शिकार पीड़ित ने बताया कि दिवाकर दत्त तिवारी और विष्णु प्रजापति ने नौकरी का झांसा देकर 44 लोगों से एक-एक लाख रुपये ले लिए. पीड़ित ने बाताया कि सभी अभ्यर्थियों ने सीएमओ कार्यालय के बाहर सीएमओ के चपरासी की मौजूदगी में दिवाकर दत्त तिवारी ने रुपये लिए थे, लेकिन ज्वाइनिंग नहीं दी गई. इस पूरे प्रकरण से संबंधित एक बातचीत का ऑडियो भी वायरल हुआ है.

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अभ्यर्थियों का कहना है कि जालसाज फोन रिसीव कर बात करता था. फोन पर ज्वानिंग लेटर देने के लिए अलग-अलग तारीख देता था. जब ठग का मोबाइल बंद हो गया. तब पीड़ित अभ्यर्थियों ने जिलाधिकारी से न्याय की गुहार लगाई है. हालांकि, सीएमओ डॉ मनोजकान्त सिन्हा ने प्रकरण के संबंध में अनभिज्ञता जताई है. सीएमओ ने कहा है कि वो ऐसे किसी शख्स को नहीं जानते. पीड़ित अभ्यर्थी आरोपी व्यक्ति के खिलाफ अभियोग पंजीकृत कराने के लिए स्वतंत्र हैं.

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