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महराजगंज: बिना डॉक्टर और लाइसेंस के फल-फूल रहा अवैध अस्पताल का धंधा

यूपी के महराजगंज में स्वास्थ विभाग ने निजी 54 अस्पतालों को किसी न किसी एमबीबीएस डॉक्टर के नाम पर लाइसेंस जारी किया है. जिन अस्पतालों को लाइसेंस भी जारी किया गया है, उसमें कुछ अस्पतालों को छोड़ किसी भी अस्पताल में पंजीकृत एमबीबीएस डॉक्टर नहीं बैठते हैं.

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डिप्टी सीएमओ डाक्टर आईए अंसारी.
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Published : Aug 2, 2020, 12:37 AM IST

महराजगंज: जिले में एमबीबीएस डॉक्टरों के नाम पर फर्जी तरीके से अस्पतालों का लाइसेंस लेकर लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है. स्वास्थ विभाग ने निजी 54 अस्पतालों को किसी न किसी एमबीबीएस डॉक्टर के नाम पर लाइसेंस जारी किया है. जिन अस्पतालों को लाइसेंस भी जारी किया गया है, उसमें कुछ अस्पतालों को छोड़ किसी भी अस्पताल में पंजीकृत एमबीबीएस डॉक्टर नहीं बैठते हैं.

जानकारी देते डिप्टी सीएमओ आईए अंसारी.

जिले के जिम्मेदार अधिकारियों की मिलीभगत से जगह-जगह खुले अवैध निजी अस्पतालों पर कार्रवाई नहीं होने से लोगों की जिंदगी का लगातार सौदा हो रहा है. जिले का कोई ऐसा क्षेत्र नहीं है, जहां फर्जी क्लिनिक और अस्पताल न खुले हों. बिना डॉक्टर और लाइसेंस के चल रहे ऐसे निजी अस्पतालों में आएदिन मरीजों की मौत हो रही है. डिप्टी सीएमओ डॉक्टर आईए अंसारी के अनुसार जिले में 54 निजी अस्पतालों को किसी न किसी एमबीबीएस डॉक्टर के नाम पर लाइसेंस जारी किया गया है. जिन अस्पतालों को लाइसेंस जारी किया गया है, उन अस्पतालों में पंजीकृत एमबीबीएस डॉक्टर, स्टॉफ नर्स, एएनएम और वार्ड बॉय तैनात हैं. वहीं जिले के कुछ अस्पतालों को छोड़कर किसी भी अस्पताल में पंजीकृत एमबीबीएस डॉक्टर नहीं बैठते हैं. सिर्फ एमबीबीएस डॉक्टर के नाम से अस्पताल का लाइसेंस लिया गया है. जो कहीं न कहीं अपने निजी अस्पताल का संचालन कर रहे हैं. ऐसे में एमबीबीएस डॉक्टर और प्रशिक्षित स्टाफ विहीन उन अस्पतालों में अप्रशिक्षित स्टॉफ और बिना डिग्री वाले डॉक्टर आने वाले मरीजों का बेखौफ़ इलाज कर रहे हैं.

जिले में न तो रजिस्टर्ड लैब की सुविधा है, न ही दवा भंडारण का लाइसेंस. इसके अलावा 75 डॉक्टर के नाम से लाइसेंस लेकर क्लिनिक खोले गए हैं, जो क्लिनिक की जगह हॉस्पिटल में तब्दील हैं. यहां पर मरीजों को भर्ती किया जाता है और इलाज के नाम पर धना दोहन होता है. इसके बावजूद उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होती.

महराजगंज: जिले में एमबीबीएस डॉक्टरों के नाम पर फर्जी तरीके से अस्पतालों का लाइसेंस लेकर लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है. स्वास्थ विभाग ने निजी 54 अस्पतालों को किसी न किसी एमबीबीएस डॉक्टर के नाम पर लाइसेंस जारी किया है. जिन अस्पतालों को लाइसेंस भी जारी किया गया है, उसमें कुछ अस्पतालों को छोड़ किसी भी अस्पताल में पंजीकृत एमबीबीएस डॉक्टर नहीं बैठते हैं.

जानकारी देते डिप्टी सीएमओ आईए अंसारी.

जिले के जिम्मेदार अधिकारियों की मिलीभगत से जगह-जगह खुले अवैध निजी अस्पतालों पर कार्रवाई नहीं होने से लोगों की जिंदगी का लगातार सौदा हो रहा है. जिले का कोई ऐसा क्षेत्र नहीं है, जहां फर्जी क्लिनिक और अस्पताल न खुले हों. बिना डॉक्टर और लाइसेंस के चल रहे ऐसे निजी अस्पतालों में आएदिन मरीजों की मौत हो रही है. डिप्टी सीएमओ डॉक्टर आईए अंसारी के अनुसार जिले में 54 निजी अस्पतालों को किसी न किसी एमबीबीएस डॉक्टर के नाम पर लाइसेंस जारी किया गया है. जिन अस्पतालों को लाइसेंस जारी किया गया है, उन अस्पतालों में पंजीकृत एमबीबीएस डॉक्टर, स्टॉफ नर्स, एएनएम और वार्ड बॉय तैनात हैं. वहीं जिले के कुछ अस्पतालों को छोड़कर किसी भी अस्पताल में पंजीकृत एमबीबीएस डॉक्टर नहीं बैठते हैं. सिर्फ एमबीबीएस डॉक्टर के नाम से अस्पताल का लाइसेंस लिया गया है. जो कहीं न कहीं अपने निजी अस्पताल का संचालन कर रहे हैं. ऐसे में एमबीबीएस डॉक्टर और प्रशिक्षित स्टाफ विहीन उन अस्पतालों में अप्रशिक्षित स्टॉफ और बिना डिग्री वाले डॉक्टर आने वाले मरीजों का बेखौफ़ इलाज कर रहे हैं.

जिले में न तो रजिस्टर्ड लैब की सुविधा है, न ही दवा भंडारण का लाइसेंस. इसके अलावा 75 डॉक्टर के नाम से लाइसेंस लेकर क्लिनिक खोले गए हैं, जो क्लिनिक की जगह हॉस्पिटल में तब्दील हैं. यहां पर मरीजों को भर्ती किया जाता है और इलाज के नाम पर धना दोहन होता है. इसके बावजूद उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होती.

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