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महराजगंज: 5 महीने बाद गांव की यादों को सहेज कर विदा हुआ फ्रांसीसी परिवार

उत्तर प्रदेश के महराजगंज जिले में लाॅकडाउन में फंसा फ्रांसीसी परिवार 5 महीने बाद इस गांव की यादों को सहेज कर विदा हुआ. विदेशी मेहमानों को यहां के लोगों ने हर्षोल्लास के साथ विदा किया. यहां से यह लोग उत्तराखंड के लिए रवाना हो गए.

लाॅकडाउन में फंसा फ्रांसीसी परिवार 5 महीने बाद हुआ विदा.
लाॅकडाउन में फंसा फ्रांसीसी परिवार 5 महीने बाद हुआ विदा.
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Published : Aug 27, 2020, 2:35 AM IST

महराजगंज: जिले के पुरंदरपुर थाना क्षेत्र के कोल्हुआ उर्फ सिंहोरवा गांव में 5 माह से ठहरा फ्रांसीसी परिवार बुधवार को गांव की यादों को सहेज कर विदा हुआ. यहां से फ्रांसीसी परिवार उत्तराखंड भ्रमण के लिए रवाना हो गया. विदेशी मेहमानों के सुख-दुख में कंधे से कंधा मिलाकर खड़े लोगों ने हर्षोल्लास के साथ उन्हें विदा किया. सोमवार को जिलाधिकारी डॉक्टर उज्जवल कुमार से मिलकर फ्रांसीसी परिवार ने उत्तराखंड भ्रमण के लिए जाने की अनुमति मांगी थी.

बच्चों के साथ फोटो.
बच्चों के साथ फोटो.


पांच माह बाद विदा हुआ फ्रांसीसी परिवार
फ्रांस के टूलूज शहर से जुलाई 2019 को 24 देशों के भ्रमण पर निकला यह फ्रांसीसी परिवार 1 मार्च को पाकिस्तान से वाघा बॉर्डर होते हुए भारत पहुंचा था. भारत में विभिन्न स्थानों के भ्रमण के बाद फ्रांसीसी परिवार नेपाल जाना चाहता था, लेकिन वैश्विक महामारी कोरोना के कारण भारत-नेपाल सीमा सील कर दी गई, जिस कारण यह परिवार पुरंदरपुर थाना क्षेत्र के ग्राम सभा कोल्हुआ उर्फ सिहोंरवा में एक शिव मंदिर पर लगभग 5 माह से ठहरा हुआ था. यहां पर समय बीतने के साथ ही यह फ्रांसीसी परिवार भारतीय संस्कृति में भी पूरी तरह से ढलता गया. इस दौरान अंग्रेजी बोलने वाले इस परिवार ने भोजपुरी सीखने की कोशिश की. इन पांच महीनों में इस परिवार ने भारतीय समाज के बारे में बहुत कुछ जाना और यहां के पूजा-पाठ और खाने पीने, रहने के तौर तरीके भी सीखे. यादों के लिए फ्रांसीसी परिवार ने इस शिव मंदिर परिसर में आम का पेड़ भी लगाया है.

ग्रामीणों के साथ फ्रांसीसी परिवार के सदस्य.
ग्रामीणों के साथ फ्रांसीसी परिवार के सदस्य.
साइकिल की सवारी का मजा लेता फ्रांसीसी बच्चा.
साइकिल की सवारी का मजा लेता फ्रांसीसी बच्चा.

इसे भी पढ़ें:-उत्तराखंड भ्रमण के लिए जाना चाहता है फ्रांसीसी परिवार, कहा- भारत जैसा प्यार कहीं नहीं मिला

'कोरोना संक्रमण काल में यहां लोगों से बहुत प्रेम मिला'
विदाई के दौरान पेशे से मैकेनिक पैट्रीस पैलेरस ने कहा कि भारत भ्रमण बहुत अच्छा लगा. कोरोना संक्रमण काल में यहां लोगों से बहुत प्रेम मिला. यहां रहने के दौरान कभी ऐसा नहीं लगा कि दूसरे देश में हूं. यहां के लोग बहुत अच्छे हैं. लोगों से इतना प्रेम मिला कि अवसर मिला तो फिर इस गांव में आऊंगा.

आम का पेड़ लगाता फ्रांसीसी परिवार.
आम का पेड़ लगाता फ्रांसीसी परिवार.

महराजगंज: जिले के पुरंदरपुर थाना क्षेत्र के कोल्हुआ उर्फ सिंहोरवा गांव में 5 माह से ठहरा फ्रांसीसी परिवार बुधवार को गांव की यादों को सहेज कर विदा हुआ. यहां से फ्रांसीसी परिवार उत्तराखंड भ्रमण के लिए रवाना हो गया. विदेशी मेहमानों के सुख-दुख में कंधे से कंधा मिलाकर खड़े लोगों ने हर्षोल्लास के साथ उन्हें विदा किया. सोमवार को जिलाधिकारी डॉक्टर उज्जवल कुमार से मिलकर फ्रांसीसी परिवार ने उत्तराखंड भ्रमण के लिए जाने की अनुमति मांगी थी.

बच्चों के साथ फोटो.
बच्चों के साथ फोटो.


पांच माह बाद विदा हुआ फ्रांसीसी परिवार
फ्रांस के टूलूज शहर से जुलाई 2019 को 24 देशों के भ्रमण पर निकला यह फ्रांसीसी परिवार 1 मार्च को पाकिस्तान से वाघा बॉर्डर होते हुए भारत पहुंचा था. भारत में विभिन्न स्थानों के भ्रमण के बाद फ्रांसीसी परिवार नेपाल जाना चाहता था, लेकिन वैश्विक महामारी कोरोना के कारण भारत-नेपाल सीमा सील कर दी गई, जिस कारण यह परिवार पुरंदरपुर थाना क्षेत्र के ग्राम सभा कोल्हुआ उर्फ सिहोंरवा में एक शिव मंदिर पर लगभग 5 माह से ठहरा हुआ था. यहां पर समय बीतने के साथ ही यह फ्रांसीसी परिवार भारतीय संस्कृति में भी पूरी तरह से ढलता गया. इस दौरान अंग्रेजी बोलने वाले इस परिवार ने भोजपुरी सीखने की कोशिश की. इन पांच महीनों में इस परिवार ने भारतीय समाज के बारे में बहुत कुछ जाना और यहां के पूजा-पाठ और खाने पीने, रहने के तौर तरीके भी सीखे. यादों के लिए फ्रांसीसी परिवार ने इस शिव मंदिर परिसर में आम का पेड़ भी लगाया है.

ग्रामीणों के साथ फ्रांसीसी परिवार के सदस्य.
ग्रामीणों के साथ फ्रांसीसी परिवार के सदस्य.
साइकिल की सवारी का मजा लेता फ्रांसीसी बच्चा.
साइकिल की सवारी का मजा लेता फ्रांसीसी बच्चा.

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'कोरोना संक्रमण काल में यहां लोगों से बहुत प्रेम मिला'
विदाई के दौरान पेशे से मैकेनिक पैट्रीस पैलेरस ने कहा कि भारत भ्रमण बहुत अच्छा लगा. कोरोना संक्रमण काल में यहां लोगों से बहुत प्रेम मिला. यहां रहने के दौरान कभी ऐसा नहीं लगा कि दूसरे देश में हूं. यहां के लोग बहुत अच्छे हैं. लोगों से इतना प्रेम मिला कि अवसर मिला तो फिर इस गांव में आऊंगा.

आम का पेड़ लगाता फ्रांसीसी परिवार.
आम का पेड़ लगाता फ्रांसीसी परिवार.
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