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महराजगंज: 39 साल से हो रही है यहां से तिरंगे की सप्लाई

आजादी की लड़ाई के प्रतीक माने जाने वाले खादी के तिरंगे का अपना एक अलग महत्व है. इसी खादी के तिरंगे को पूरे प्रदेश में फहराने का काम पिछले 39 सालों से महराजगंज जनपद के आनंदनगर में स्थित गांधी आश्रम कर रहा है. यहां पर बने तिरंगे झंडे की सप्लाई पूरे उत्तर प्रदेश की सभी गांधी आश्रमों सहित देश के विभिन्न संस्थाओं में सप्लाई की जाती है.

तिरंगा.
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Published : Oct 2, 2021, 8:11 PM IST

महराजगंज: आजादी की लड़ाई के प्रतीक माने जाने वाले खादी के तिरंगे का अपना एक अलग महत्व है. इसी खादी के तिरंगे को पूरे प्रदेश में फहराने का काम पिछले 39 सालों से महराजगंज जनपद के आनंदनगर में स्थित गांधी आश्रम कर रहा है. यहां पर बने तिरंगे झंडे की सप्लाई पूरे उत्तर प्रदेश की सभी गांधी आश्रमों सहित देश के विभिन्न संस्थाओं में सप्लाई की जाती है.

ऐसे तो अपने देश में तिरंगे का निर्माण बहुत सारे शहरों में उसके प्रोटोकॉल को ध्यान में रखते हुए किया जाता है, लेकिन आज हम महराजगंज जिले के आनंदनगर के गांधी आश्रम केंद्र की बात करेंगे. जहां के अधिकतर लोग तिरंगा झंडा के निर्माण में लगे हुए हैं और पूरे उत्तर प्रदेश के गांधी आश्रमो में यही से खादी के तिरंगे झंडे की सप्लाई की जाती है. इस गांधी आश्रम के झंडों की मांग उत्तर प्रदेश के साथ ही साथ पूरे देश के कई शहरों में हैंं. 15 अगस्त, 26 जनवरी और 2 अक्टूबर जैसे राष्ट्रीय पर्वों पर यहां के तिरंगे झंडे की डिमांड काफी बढ़ जाती है.

जानकारी देते कारीगर.

राष्ट्रीय ध्वज के डिमांड के समय गांधी आश्रम स्थित तिरंगों के काम करने वाले कारीगरों का काम काफी बढ़ जाता है जिसके कारण यहां लोगों को अलग से कारीगरों को बुलाकर झंडे की सिलाई करवानी होती है. फरेंदा के लगभग अधिकतर परिवार तिरंगा बनाने के कारोबार से हीं जुड़े हुए हैं और तिरंगे बनाने के कारोबार से ही अधिकतर परिवारों के खर्च चलते हैं. यहां तिरंगे बनाने का सिलसिला लगभग पिछले 39 सालों से चल रहा है. तिरंगे को बहुत सम्मान के साथ बनाया जाता है और रखा जाता है. यहां के कारीगरों का कहना है कि उनके लिए यह बहुत बड़े गर्व की बात है कि उनके हाथ का बनाया तिरंगा देश के अलग-अलग स्थानों पर जाता है.


इसे भी पढे़ं- सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल सतरंगी चादर, जानें 1331 मीटर लंबाई का 'राज'

महराजगंज: आजादी की लड़ाई के प्रतीक माने जाने वाले खादी के तिरंगे का अपना एक अलग महत्व है. इसी खादी के तिरंगे को पूरे प्रदेश में फहराने का काम पिछले 39 सालों से महराजगंज जनपद के आनंदनगर में स्थित गांधी आश्रम कर रहा है. यहां पर बने तिरंगे झंडे की सप्लाई पूरे उत्तर प्रदेश की सभी गांधी आश्रमों सहित देश के विभिन्न संस्थाओं में सप्लाई की जाती है.

ऐसे तो अपने देश में तिरंगे का निर्माण बहुत सारे शहरों में उसके प्रोटोकॉल को ध्यान में रखते हुए किया जाता है, लेकिन आज हम महराजगंज जिले के आनंदनगर के गांधी आश्रम केंद्र की बात करेंगे. जहां के अधिकतर लोग तिरंगा झंडा के निर्माण में लगे हुए हैं और पूरे उत्तर प्रदेश के गांधी आश्रमो में यही से खादी के तिरंगे झंडे की सप्लाई की जाती है. इस गांधी आश्रम के झंडों की मांग उत्तर प्रदेश के साथ ही साथ पूरे देश के कई शहरों में हैंं. 15 अगस्त, 26 जनवरी और 2 अक्टूबर जैसे राष्ट्रीय पर्वों पर यहां के तिरंगे झंडे की डिमांड काफी बढ़ जाती है.

जानकारी देते कारीगर.

राष्ट्रीय ध्वज के डिमांड के समय गांधी आश्रम स्थित तिरंगों के काम करने वाले कारीगरों का काम काफी बढ़ जाता है जिसके कारण यहां लोगों को अलग से कारीगरों को बुलाकर झंडे की सिलाई करवानी होती है. फरेंदा के लगभग अधिकतर परिवार तिरंगा बनाने के कारोबार से हीं जुड़े हुए हैं और तिरंगे बनाने के कारोबार से ही अधिकतर परिवारों के खर्च चलते हैं. यहां तिरंगे बनाने का सिलसिला लगभग पिछले 39 सालों से चल रहा है. तिरंगे को बहुत सम्मान के साथ बनाया जाता है और रखा जाता है. यहां के कारीगरों का कहना है कि उनके लिए यह बहुत बड़े गर्व की बात है कि उनके हाथ का बनाया तिरंगा देश के अलग-अलग स्थानों पर जाता है.


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