लखनऊ : गरीबों को नि:शुल्क इलाज मुहैया करवाने के लिए सरकार की महत्वाकांक्षी आयुष्मान भारत योजना को जिम्मेदार पलीता लगाने में जुटे हैं. इस योजना का लोगों को अधिक से अधिक लाभ मिल सके, इसके लिए सरकार की ओर से निजी अस्पतालों को भी जोड़ा जा रहा है. बीते एक साल में शहर के 56 निजी अस्पतालों की ओर से इसके पंजीकरण के लिए आवेदन किया गया. निजी अस्पताल संचालकों का आरोप है कि सिर्फ दो अस्पतालों का ही पंजीकरण किया गया है. अन्य अस्पतालों के संचालक सीएमओ ऑफिस के चक्कर लगाने को मजबूर हैं. इस मामले में संचालकों ने उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक और जिलाधिकारी से शिकायत की है. वहीं यह मामला मंगलवार को सोशल मीडिया पर भी वायरल होता रहा.
आयुष्मान योजना में गरीब मरीजों को पांच लाख रुपए तक मुफ्त इलाज मुहैया कराए जाने का नियम है. इसमें निजी अस्पतालों को शामिल किया जाता है, ताकि गरीब मरीज निजी अस्पताल में भी इलाज करा सकें. इस साल जनवरी से अब तक 56 निजी अस्पतालों ने आयुष्मान योजना में शामिल होने के लिए आवेदन किया. निजी अस्पताल संचालकों का आरोप है कि आयुष्मान के तहत होने वाले सभी मानकों को अस्पतालों ने पूरा किया था. सीएमओ दफ्तर से टीम मानकों को परखने के लिए अस्पताल भी गई. जो खामियां गिनाईं वह भी अस्पतालों ने दूर करके उसे पोर्टल पर अपलोड किया. निजी अस्पताल संचालकों का आरोप है कि सीएमओ आफिस से फाइल जांच के लिए भी नहीं भेजी गई. ऐसे में निजी अस्पतालों का आयुष्मान में पंजीकरण तक नहीं हुआ. निजी अस्पताल संचालक सीएमओ आफिस की दौड़ लगा रहे हैं मगर उनकी सुनवाई नहीं हो रही.
जिले के आयुष्मान नोडल डॉ. संदीप ने बताया कि 'सीएमओ दफ्तर से मानक परखने बाद फाइल जांचने को भेजी जाती है. वहां से ही पंजीकरण का फैसला होता है. आयुष्मान योजना में निजी अस्पतालों को शामिल करने के लिए इस साल कितने आवेदन आए. उसकी प्रगति क्या है, इस बारे में रिकार्ड निकलवाया जाएगा. उन्होंने बताया कि जो कमियां होंगी उसे दूर कराया जाएगा.'
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