लखनऊ: उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार कोरोना वायरस के चलते जेलों में भीड़ कम करने की दृष्टि से 11 हजार बंदियों को छोड़ेगी. योगी सरकार ने यह निर्णय सुप्रीम कोर्ट के सात वर्ष या उससे कम की सजा काट रहे बन्दियों को पैरोल पर छोड़ने के निर्देश पर लिया है. यूपी के सभी जेलो से लिस्ट तैयार कर ली गई है. शासन के अधिकारियों द्वारा सूची प्रस्तुत करने के बाद सीएम योगी ने सात साल की सजा काट रहे बन्दियों को छोड़ने का आदेश दिया है.
सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के क्रम में विश्वव्यापी कोरोना महामारी को ध्यान में रखते हुए शासन द्वारा समिति का गठन तत्काल किया गया था, जिसकी बैठक 27 मार्च को उच्च न्यायालय के वरिष्ठ न्यायमूर्ति पंकज कुमार जायसवाल की अध्यक्षता में संपन्न हुई. इस बैठक में अपर मुख्य सचिव गृह आनंद कुमार डीजी कारागार आनंद कुमार भी शामिल हुए थे.
समिति द्वारा विचार किया गया था. वहीं विचार के उपरांत मुख्यमंत्री को रिपोर्ट सौंपी गई, जिस पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को प्रदेश के सभी 71 जेलों में बंद ऐसे समस्त विचाराधीन बंदी जो इस प्रकार के अपराधों में निरुद्ध हैं, जिसकी अपराध की अधिकतम सजा सात वर्ष तक की प्राविधानित है. उन्हें आठ सप्ताह के अंतरिम जमानत पर निजी मुचलका लेते हुए तत्काल कारागार से मुक्त कर दिए जाने के निर्देश दिए गए हैं.
ऐसे सिद्धदोष बंदियों को जिनको सात वर्ष या उससे कम की सजा से दंडित किया गया है, उन्हें भी आठ सप्ताह के लिए निजी मुचलका लेते हुए पैरोल पर छोड़ दिए जाने की के निर्देश दिए गए हैं. प्रदेश की कारागार में इस प्रकार के विचाराधीन बंदियों की कुल संख्या लगभग साढे आठ हजार तथा पैरोल पर छोड़े जाने वाले सिद्धदोष बंदियों की संख्या लगभग ढाई हजार है. इस प्रकार उक्त निर्णय के फलस्वरुप प्रदेश की कारागारों से लगभग 11000 बंदियों को तत्काल मुक्त किए जाने की कार्यवाही प्रारंभ कर दी गयी है.