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सीएम योगी की नायाब पहल, चमत्कारी सहजन से सुधरेगी प्रदेश की सेहत

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सांसद रहते हुए सहजन को लेकर काम किया है. अब मुख्यमंत्री बनने के बाद भी यह सिलसिला जारी है. सीएम चाहते हैं कि प्रदेश में खासकर ग्रामीण अंचल के प्रत्येक आवास के समक्ष एक सहजन का पौधा लगाया जाए, जिससे बच्चों की कुपोषण दर को न के बराबर किया जा सके.

सहजन से सुधरेगी प्रदेश की सेहत.
सहजन से सुधरेगी प्रदेश की सेहत.
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Published : Jun 13, 2020, 7:08 PM IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ चाहते हैं कि प्रदेश में एक भी बच्चा कुपोषित न रहे. हर घर में समृद्धि आए, इसके लिए उन्होंने एक नायाब पहल की है. योगी सरकार इस बार एक जुलाई को प्रदेश में 25 करोड़ पौधरोपण का लक्ष्य रखा है. उसी दिन ढाई करोड़ सहजन के पौध भी लगाए जाने की योजना है. हम आपको बताएंगे कि मुख्यमंत्री ने सहजन को क्यों चुना और आखिरकार उनका इससे इतना लगाव क्यों है?

देखें रिपोर्ट.

दरअसल सहजन एक ऐसा वृक्ष है, जो हमारी थाली का स्वाद तो बढ़ाता ही है. साथ ही कई रोगों में दवा के रूप में भी इसकी फली और पत्ती का इस्तेमाल किया जाता है. इतना ही नहीं है सहजन की सब्जी का उपयोग करने वाले परिवार में कोई भी कुपोषित नहीं रह सकता. यह वृक्ष कमाई का जरिया भी बन सकता है. यही कारण है कि इस भारतीय वृक्ष अपने इन्हीं गुणों के आधार पर देश ही नहीं बल्कि दुनिया भर में विस्तार किया है.

भारतीय वृक्ष का दुनिया भर में डंका
सहजन मध्यम आकार का लंबी फलियों वाला वृक्ष है. इसका अंग्रेजी में नाम Moringa व Drumstick और वानस्पतिक नाम Moringa oleifera है, जिसका उत्पत्ति स्थान भारत है. अपनी उपयोगिता के कारण इसका विस्तार अन्य देशों में भी हो गया है. इसकी फली और पत्तियां सब्जी के रूप में काम आती हैं. इसकी फलियां दक्षिण भारत के प्रसिद्ध व्यंजन सांभर करी में उपयोग की जाती है.

बेहद कम पानी की होती है जरूरत
इस सूखा रोधी पौधे को उगाने के लिए पानी की न्यूनतम आवश्यकता होती है. इसके उत्पादन के लिए गर्म एवं आर्द्र जलवायु के साथ 25-30 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान पुष्पन के लिए अनुकूल रहता है. सहजन के लिए उचित जल निकासी वाली बलुई या दोमट मिट्टी उपयुक्त है. इसे खराब श्रेणी की मृदा पर भी उगाया जा सकता है.

ये भी पढ़ें- कोरोना काल में आर्थिक मजबूती के लिए योगी सरकार ने उठाए ये बड़े कदम

वृक्ष एक गुण अनेक
सहजन महिला और पुरुष दोनों के लिए समान रूप से फायदेमंद है. सहजन में एंटी बैक्टीरियल गुण पाया जाता है, जो कई तरह के संक्रमण से सुरक्षित रखने में मददगार है. इसके अलावा इसमें मौजूद विटामिन सी प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में काम करता है. सहजन का सूप पाचन तंत्र को मजबूत बनाने का काम करता है. इसमें मौजूद फाइबर कब्ज की समस्या नहीं होने देता है. अस्थमा की शिकायत होने पर भी सहजन का सूप पीना फायदेमंद होता है. सर्दी-खांसी और बलगम से छुटकारा पाने के लिए इसका इस्तेमाल घरेलू औषधि के रूप में किया जाता है.

औषधीय गुण विद्यमान
अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक सामाजिक वानिकी प्रभाकर दुबे बताते हैं कि सहजन की पत्तियां, फूल, फली, छाल, बीज एवं जड़ों में प्रचुर मात्रा में औषधीय गुण विद्यमान हैं. पत्तियां एवं फल कैल्शियम, आयरन, विटामिन ए, बी व सी के साथ प्रोटीन का भी समृद्ध स्रोत हैं. उन्होंने बताया कि वैज्ञानिक आंकलन के अनुसार एक आउन्स (28.3 ग्राम) सहजन में चार गिलास दूध के बराबर कैल्शियम, सात संतरे के बराबर विटामिन सी, तीन केले के बराबर पोटेशियम और पालक में पाए जाने वाले आयरन के तिगुने से ज्यादा आयरन पाया जाता है. इसका उपयोग जलोदर, गठिया, विष दंश, चर्म रोग, जठरांत्र संबंधी दर्द तथा हृदय रोग व संचार उत्तेजक के उपचार में किया जाता है. पत्तियों का पेस्ट घावों के बाहरी उपचार में उपयोगी है. बीज इसका ज्वरनाशक है. इसके तेल का उपयोग गठिया रोग में किया जाता है. फल का उपयोग मधुमेह रोगी की दवा के रूप में किया जाता है.

सहजन के औद्योगिक महत्त्व
सहजन के प्रकोष्ठ से पल्प तैयार किया जाता है, जिस पल्प से कागज तैयार होता है. सहजन आधारित कृषि वानिकी अपनाने से अन्य एक फसलीय भू-उपयोग की तुलना में लगभग तीन गुना अधिक लाभ प्राप्त होने का अनुमान है. प्रभाकर दुबे कहते हैं कि इसे गांव के हर घर के सामने आसानी से लगाया जा सकता है. सहजन के पौधे को तीन मीटर की दूरी पर लगाना चाहिए. कृषि वानिकी में रोपित करने के लिए 3 मीटर लंबाई और 10 मीटर चौड़ाई की दूरी भी उचित रहती है. यदि एक पेड़ भी घर के सामने लगा है तो उस परिवार में कोई कुपोषित नहीं रह सकता.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को लंबे समय से जानने वाले वरिष्ठ पत्रकार गिरीश चंद्र पांडेय का कहना है कि योगी आदित्यनाथ ने सांसद रहते हुए सहजन को लेकर काम किया है. अब मुख्यमंत्री बनने के बाद यह सिलसिला जारी है. वह चाहते हैं कि प्रदेश में खासकर ग्रामीण अंचल के प्रत्येक आवास के समक्ष एक सहजन का पौधा लगाया जाए. इससे बच्चों के कुपोषण की दर नगण्य हो जाएगी. इसके साथ ही यह वृक्ष आर्थिक समृद्धि का भी साधन बन सकता है.

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ चाहते हैं कि प्रदेश में एक भी बच्चा कुपोषित न रहे. हर घर में समृद्धि आए, इसके लिए उन्होंने एक नायाब पहल की है. योगी सरकार इस बार एक जुलाई को प्रदेश में 25 करोड़ पौधरोपण का लक्ष्य रखा है. उसी दिन ढाई करोड़ सहजन के पौध भी लगाए जाने की योजना है. हम आपको बताएंगे कि मुख्यमंत्री ने सहजन को क्यों चुना और आखिरकार उनका इससे इतना लगाव क्यों है?

देखें रिपोर्ट.

दरअसल सहजन एक ऐसा वृक्ष है, जो हमारी थाली का स्वाद तो बढ़ाता ही है. साथ ही कई रोगों में दवा के रूप में भी इसकी फली और पत्ती का इस्तेमाल किया जाता है. इतना ही नहीं है सहजन की सब्जी का उपयोग करने वाले परिवार में कोई भी कुपोषित नहीं रह सकता. यह वृक्ष कमाई का जरिया भी बन सकता है. यही कारण है कि इस भारतीय वृक्ष अपने इन्हीं गुणों के आधार पर देश ही नहीं बल्कि दुनिया भर में विस्तार किया है.

भारतीय वृक्ष का दुनिया भर में डंका
सहजन मध्यम आकार का लंबी फलियों वाला वृक्ष है. इसका अंग्रेजी में नाम Moringa व Drumstick और वानस्पतिक नाम Moringa oleifera है, जिसका उत्पत्ति स्थान भारत है. अपनी उपयोगिता के कारण इसका विस्तार अन्य देशों में भी हो गया है. इसकी फली और पत्तियां सब्जी के रूप में काम आती हैं. इसकी फलियां दक्षिण भारत के प्रसिद्ध व्यंजन सांभर करी में उपयोग की जाती है.

बेहद कम पानी की होती है जरूरत
इस सूखा रोधी पौधे को उगाने के लिए पानी की न्यूनतम आवश्यकता होती है. इसके उत्पादन के लिए गर्म एवं आर्द्र जलवायु के साथ 25-30 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान पुष्पन के लिए अनुकूल रहता है. सहजन के लिए उचित जल निकासी वाली बलुई या दोमट मिट्टी उपयुक्त है. इसे खराब श्रेणी की मृदा पर भी उगाया जा सकता है.

ये भी पढ़ें- कोरोना काल में आर्थिक मजबूती के लिए योगी सरकार ने उठाए ये बड़े कदम

वृक्ष एक गुण अनेक
सहजन महिला और पुरुष दोनों के लिए समान रूप से फायदेमंद है. सहजन में एंटी बैक्टीरियल गुण पाया जाता है, जो कई तरह के संक्रमण से सुरक्षित रखने में मददगार है. इसके अलावा इसमें मौजूद विटामिन सी प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में काम करता है. सहजन का सूप पाचन तंत्र को मजबूत बनाने का काम करता है. इसमें मौजूद फाइबर कब्ज की समस्या नहीं होने देता है. अस्थमा की शिकायत होने पर भी सहजन का सूप पीना फायदेमंद होता है. सर्दी-खांसी और बलगम से छुटकारा पाने के लिए इसका इस्तेमाल घरेलू औषधि के रूप में किया जाता है.

औषधीय गुण विद्यमान
अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक सामाजिक वानिकी प्रभाकर दुबे बताते हैं कि सहजन की पत्तियां, फूल, फली, छाल, बीज एवं जड़ों में प्रचुर मात्रा में औषधीय गुण विद्यमान हैं. पत्तियां एवं फल कैल्शियम, आयरन, विटामिन ए, बी व सी के साथ प्रोटीन का भी समृद्ध स्रोत हैं. उन्होंने बताया कि वैज्ञानिक आंकलन के अनुसार एक आउन्स (28.3 ग्राम) सहजन में चार गिलास दूध के बराबर कैल्शियम, सात संतरे के बराबर विटामिन सी, तीन केले के बराबर पोटेशियम और पालक में पाए जाने वाले आयरन के तिगुने से ज्यादा आयरन पाया जाता है. इसका उपयोग जलोदर, गठिया, विष दंश, चर्म रोग, जठरांत्र संबंधी दर्द तथा हृदय रोग व संचार उत्तेजक के उपचार में किया जाता है. पत्तियों का पेस्ट घावों के बाहरी उपचार में उपयोगी है. बीज इसका ज्वरनाशक है. इसके तेल का उपयोग गठिया रोग में किया जाता है. फल का उपयोग मधुमेह रोगी की दवा के रूप में किया जाता है.

सहजन के औद्योगिक महत्त्व
सहजन के प्रकोष्ठ से पल्प तैयार किया जाता है, जिस पल्प से कागज तैयार होता है. सहजन आधारित कृषि वानिकी अपनाने से अन्य एक फसलीय भू-उपयोग की तुलना में लगभग तीन गुना अधिक लाभ प्राप्त होने का अनुमान है. प्रभाकर दुबे कहते हैं कि इसे गांव के हर घर के सामने आसानी से लगाया जा सकता है. सहजन के पौधे को तीन मीटर की दूरी पर लगाना चाहिए. कृषि वानिकी में रोपित करने के लिए 3 मीटर लंबाई और 10 मीटर चौड़ाई की दूरी भी उचित रहती है. यदि एक पेड़ भी घर के सामने लगा है तो उस परिवार में कोई कुपोषित नहीं रह सकता.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को लंबे समय से जानने वाले वरिष्ठ पत्रकार गिरीश चंद्र पांडेय का कहना है कि योगी आदित्यनाथ ने सांसद रहते हुए सहजन को लेकर काम किया है. अब मुख्यमंत्री बनने के बाद यह सिलसिला जारी है. वह चाहते हैं कि प्रदेश में खासकर ग्रामीण अंचल के प्रत्येक आवास के समक्ष एक सहजन का पौधा लगाया जाए. इससे बच्चों के कुपोषण की दर नगण्य हो जाएगी. इसके साथ ही यह वृक्ष आर्थिक समृद्धि का भी साधन बन सकता है.

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