लखनऊ: समाजवादी पार्टी की पूर्ववर्ती सरकार में हुई धांधली के मद्देनजर योगी आदित्यनाथ सरकार ने उत्तर प्रदेश सहकारी संस्थागत सेवा मंडल से सहकारी बैंक और सहकारिता विभाग की संस्थाओं में भर्तियां करने का अधिकार छीन लिया है. अब सेवा मंडल सिर्फ संबंधित सहकारी संस्थाओं से अधियाचन लेकर भर्तियों के लिए बैंकिंग वैयक्तिक चयन संस्था और टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज भेजकर उनके माध्यम से भर्ती प्रक्रिया पूरी कराएगा. सहकारिता के प्रमुख सचिव एमवीएस रामी रेड्डी ने इस सिलसिले में अधिसूचना जारी कर दी है.
सपा की पूर्व सरकार में हुई भर्तियों में सेवा मंडल के अधिकारियों की भूमिका भी संदिग्ध पाई गई. इसके बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर यह फैसला लिया गया है. पूर्ववर्ती अखिलेश सरकार के दौरान सहकारिता में हुई भर्तियों को लेकर एसआईटी की भी चल रही है. योगी सरकार पिछले साल सहकारी बैंकों के 51 सहायक प्रबंधकों की नियुक्ति भी रद्द कर चुकी है. जिसको लेकर इन सहायक प्रबंधकों ने विरोध जताया था, लेकिन सरकार अपने फैसले पर अटल रही. सरकार का कहना था कि धांधली कर भर्ती हुए किसी को भी रियायत नहीं दी जाएगी.
सहकारिता की भर्तियों में नौकरशाहों से लेकर कुछ नेताओं को भी संदिग्ध बताया जा रहा है. एसआईटी उनकी भूमिका की भी पड़ताल कर रही है. आरोपी नौकरशाहों पर भी कार्रवाई की तलवार लटक रही है. फिलहाल संस्थागत सेवा मंडल को भर्ती करने का अधिकार ही नहीं है. अब सेवा मंडल केवल उत्तर प्रदेश सहकारी बैंक, जिला सहकारी बैंक, नगरीय सहकारी बैंक, उत्तर प्रदेश सहकारी ग्रामीण विकास बैंक में होने वाली भर्तियों के लिए इन संस्थाओं से अधियाचन लेकर बैंकिंग वैयक्तिक चयन संस्था को भेजेगा.
साथ ही संस्थान के माध्यम से इन बैंकों में कर्मचारियों की भर्ती प्रक्रिया पूरी कराएगा. सहकारी बैंकों के अलावा सहकारिता विभाग की राज्य भंडारण निगम, पीसीएफ जैसी बड़ी संस्थाओं में भर्तियों के मामले में भी सेवा मंडल इन संस्थाओं से केवल अधियाचन लेगा. अधियाचन लेकर टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज को भेजकर टाटा कंसल्टेंसी या चयनित अन्य संस्थाओं के माध्यम से भर्ती प्रक्रिया पूरी कराएगा.
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