लखनऊ: उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने बढ़ते प्रदूषण के खतरे को लेकर बड़ा फैसला लिया है. अब उत्तर प्रदेश में एक पेड़ काटने के एवज में 10 पेड़ लगाने होंगे. अगर व्यक्ति के पास पेड़ लगाने के लिए भूमि नहीं होगी तो उसे वन विभाग की भूमि पर पेड़ लगाने के लिए धनराशि उपलब्ध करानी होगी. पेड़ काटने से लेकर लगाने तक के आवेदन की प्रक्रिया ऑनलाइन कर दी गई है. प्रदेश में ऐसे 29 प्रकार के पेड़ों की कटान पर रोक लगा दी गई है. अब बिना अनुमति के ऐसे पेड़ों को कोई व्यक्ति काट नहीं सकेगा.
योगी सरकार ने जैव विविधता संरक्षण, पर्यावरण सुरक्षा, जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को न्यूनतम करने, अनियंत्रित उत्पादन पर नियंत्रण, पेड़ों की कटान में कमी करने, वानिकी को बढ़ावा दिए जाने तथा कृषकों की आय में वृद्धि के लिए उत्तर प्रदेश वृक्ष संरक्षण अधिनियम 1976 के उपबंधों में छूट प्रदान किए जाने के संबंध में फैसला लिया है.
इन पेड़ों की कटान के लिए अब लेनी होगी ऑनलाइन अनुमति
प्रदेश के पर्यावरण ,जैव विविधता तथा मृदा एवं जल संरक्षण के दृष्टिगत आम (देसी, तुकमी, कलमी), नीम, साल, महुआ, बीजासाल, पीपल, बरगद, गूलर, पाकड़, अर्जुन, पलाश, बेल, चिरौंजी, खिरनी, कैथा, इमली, जामुन, असना, कुसुम, रीठा, भिलावा, तून, सलई, हल्दू, बाकली/करघई, धौ, खैर, शीशम और सागवान जैसे 29 प्रकार के वृक्षों की कटान रोकने के लिए सरकार ने निर्णय लिया है. इन प्रजातियों को छूट प्रजाति की श्रेणी में अब नहीं रखा जाएगा. इन वृक्षों के पालन हेतु उत्तर प्रदेश वृक्ष संरक्षण अधिनियम 1976 के प्रावधानों के अंतर्गत ऑनलाइन सक्षम प्राधिकारी से लिखित अनुमति प्राप्त कर काटे जा सकेंगे.
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पेड़ काटने वाले को दस पेड़ लगाना अनिवार्य
पेड़ काटने की अनुमति के लिए वृक्ष स्वामी द्वारा काटे गए प्रत्येक वृक्ष के स्थान पर कम से कम 10 वृक्षों को लगाना होगा. अगर पेड़ काटने वाले व्यक्ति के पास 10 पेड़ लगाने के लिए भूमि नहीं है, तो उसे वन विभाग में उतनी धनराशि जमा करनी होगी, जिससे पेड़ लगाए जा सकें. इस धनराशि से वन विभाग द्वारा प्रतिपूर्ति पौधरोपण करवाया जाएगा. इससे वृक्षारोपण बढ़ाने और संबंधित प्रजाति के संरक्षण में मदद मिलेगी. उत्तर प्रदेश वन निगम वृक्ष स्वामी को अपनी भूमि पर अवस्थित वृक्षों के प्रमाणीकरण की सुविधा भी प्रदान करेगा.