लखनऊ: उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने जल निगम हुईं 1188 नियुक्तियों को रद्द कर दी है. वर्ष 2016 में पूर्ववर्ती अखिलेश यादव सरकार में हुई इन भर्तियों में बड़ी धांधली की शिकायत सामने आई थी. शिकायतों के बाद यह मामला कोर्ट गया, कोर्ट ने मामले की जांच एसआईटी को सौंपी थी. एसआईटी ने जांच रिपोर्ट में गड़बड़ियां पाई हैं. जिसके चलते उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने बीती रात बड़ी कार्रवाई करते हुए इन भर्तियों को रद्द कर दिया गया है. जाहिर है पूर्व नगर विकास मंत्री व सपा के कद्दावर नेता आजम खान पर कानून शिकंजा कसता जा रहा है. जब यह भर्तियां हुई थी तो समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता आजम खान ही विभाग के मंत्री थे.
अभ्यर्थियों ने लगाया था आरोप
कुछ अभ्यर्थियों ने आरोप लगाया था कि मेरिट सूची में नाम ऊपर होने के बावजूद उनका चयन नहीं किया गया. एसआईटी की रिपोर्ट के आधार पर मुख्य अभियंता आई. के. श्रीवास्तव ने जेई व लिपिकों की भर्तियों को रद्द कर दिया है. उन्हें सेवा से बर्खास्त करने का आदेश जारी कर दिया. यह भी निर्देश दिया गया है कि लिपिकों को अब तक दिए गए वेतन भत्ते आदि की वसूली नहीं की जाएगी.
एसआईटी की जांच में सामने आई धांधली
एसआईटी ने अपनी जांच में कहा है कि परीक्षा कराने वाली मुंबई की एजेंसी एप्टेक लिमिटेड ने आपराधिक षड्यंत्र के तहत परीक्षा से संबंधित सभी डाटा नष्ट कर दिया है. नैक्तिक लिपिक 335, आशुलिपिक 63, सहायक अभियंता 122, अवर अभियंता 727 और अवर अभियंता विद्युत 126 की भर्ती हुई थीं.
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सिद्धार्थ नाथ सिंह ने अखिलेश यादव से मांगा जबाव
सरकार के प्रवक्ता सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कहा कि आजम खान साहब को समझ में आया होगा कि जैसी करनी वैसी भरनी. वह सोचते थे कि कानून के हाथ उनके लिए बड़े छोटे हैं, लेकिन जो कहावत है कि कानून के हाथ लंबे होते हैं. यह बात उन्हें आज समझ में आ गई होगी.
अपराधियों के साथ खड़े रहे अखिलेश
आजम खान ने जो काम किए हैं आज उसकी सजा उन्हें मिल रही है. एसआईटी ने जांच की और जल निगम में हुई भर्तियों में भारी गड़बड़ी सामने आई है. ऐसे में कानून तो आपको सजा देगा ही, लेकिन सवाल सपा के मुखिया अखिलेश यादव से भी है कि वह आजम खान से जेल में मिलने गए, जिन्होंने भ्रष्टाचार किया. जो कानून की धज्जियां उड़ाता रहा और आप लगातार उसके साथ खडे रहे. इसका सीधा अर्थ यही है कि आप भी कहीं न कहीं दोषी हैं.