लखनऊ: उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने मंगलवार को एक बड़ा फैसला किया है. देर रात वित्त विभाग की तरफ से सभी विभागाध्यक्ष को पत्र भेजकर अस्थाई पदों की जानकारी मांगी गई है. कहा गया है कि जहां जरूरत है, उसके अनुसार अस्थाई पदों को स्थाई किया जाए और जहां अस्थाई पदों पर तैनात लोगों की जरूरत नहीं है, उन्हें खत्म किया जाए. विधानसभा चुनाव से पहले कर्मचारियों के लिए यह एक तरह का बड़ा फैसला है. वहीं जिन पदों की जरूरत नहीं है उन पर तैनात कमर्चारियों को हटाया भी जाएगा.
अपर मुख्य सचिव वित्त राधा चौहान ने जारी किया आदेश
अपर मुख्य सचिव वित्त राधा चौहान ने सभी अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव, सचिव उत्तर प्रदेश शासन को लिखे पत्र के माध्यम से कहा है कि विभागों के अस्थाई पदों के संदर्भ में प्राथमिकता के आधार पर यह सूचना एकत्र कर ली जाए कि विभाग में वर्तमान में कुल कितने अस्थाई पद हैं. यदि इनका स्थायीकरण किया जा सकता है तो स्थायीकरण तत्काल कर दिया जाए. ऐसे अस्थाई पद जो लंबी अवधि से चल रहे हैं (3 वर्ष से अधिक) और उनकी विभाग में आवश्यकता नहीं है, उनकी निरंतरता जारी किया जाना बंद कर दिया जाए और उन्हें समाप्त कर दिया जाए.
तीन वर्ष से अस्थाई पदों पर तैनाती की आवश्यकता परखी जाए और हो फैसला
जारी पत्र में अपर मुख्य सचिव ने कहा है कि ऐसे पद जो 3 वर्ष से अधिक समय से अस्थाई चल रहे हैं और किसी कारण से उनकी निरंतरता नियमित रूप से जारी नहीं हुई है. उनकी पूर्व की निरंतरता पर कार्योत्तर स्वीकृति/सहमति का प्रस्ताव जब वित्त विभाग को संदर्भित किया जाए और यह भी अवगत कराया जाए कि अब वह विभाग के लिए क्यों आवश्यक है तथा क्यों न इनको समाप्त किए जाने पर विचार किया जाए.
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अस्थायी पदों की जरूरत के अनुसार किया जाता है स्थाई, जरूरत नहीं तो सेवा खत्म करने का है प्रावधान
उल्लेखनीय है कि वित्त (लेखा) अनुभाग-2 के कार्यालय ज्ञाप संख्या-ए-2-797/दस-87-24(12)-86, दिनांक 25 मई 1987 के द्वारा निश्चित प्रतिबंधों के अधीन अस्थाई पदों को स्थाई करने के अधिकार प्रशासनिक विभागों को प्रतिनिहित किए जा चुके हैं. अधिकारियों का कहना है कि शासनादेश से स्पष्ट है कि जो भी पद 03 वर्ष से पूर्व वित्त विभाग की सहमति से सृजित किए गए हैं और वर्षानुवर्ष उनकी निरंतरता जारी की गई है. उन्हें यदि शासनादेश की अन्य शर्तों के कारण स्थाई किए जाने में कोई बाधा नहीं है, तो प्रशासनिक विभाग द्वारा उनका स्थायीकरण कर दिया जाए. शासनादेश की इस व्यवस्था के बावजूद भी यह देखा जा रहा है कि विभागों में कई वर्षों से अस्थाई पद चल रहे हैं और प्रायः इनकी निरंतरता संबंधी पत्रावलियां वित्त विभाग को इसलिए संदर्भित होती रहती है. क्योंकि प्रशासकीय विभाग द्वारा न तो इनका स्थायीकरण किया गया है और न ही इनकी नियमित निरंतरता जारी की गई है. यह स्थिति उचित नहीं है क्योंकि इससे वित्त विभाग में पत्रावलियों की संख्या अनावश्यक रूप से बढ़ती है.