लखनऊ: विधानसभा की कार्यवाही बैठक में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि देश का संविधान जब बन रहा था तब इस विषय पर चर्चा हुई थी कि देश धर्म के आधार पर और मजहब के आधार पर किसी को भी आरक्षण नहीं देगा. सैकड़ों वर्षों से जिन लोगों की आवाज को दबाया गया था और जिन लोगों की भावनाओं को समाज और राष्ट्र की मुख्य धारा के साथ नहीं जुड़ने दिया गया था, उन लोगों को विधायिका में उचित स्थान प्राप्त हो सके.
सीएम योगी ने कहा कि देश के अंदर 1959 में आठवां संशोधन अधिनियम 1934 के संशोधन के माध्यम से अनूसूचित जाति, जनजाति के लिए आरक्षण को संविधान में प्रद्दत था. उसको 10 वर्ष के लिए बढ़ाया गया था. सीएम योगी ने कहा कि क्योंकि महसूस किया गया था कि जितना विकास और प्रतिनिधित्व इनको प्राप्त होना चाहिए वह नहीं हो पाया था. आजादी के बाद इस देश के संविधान के अनुरूप प्रत्येक तबके को शासन की योजनाओं का लाभ देने, समाज और राष्ट्र में विकास की मुख्य धारा के साथ बिना भेद भाव सबको जोड़ने का एक सार्थक प्रयास भी प्रारम्भ हुआ.
सीएम योगी ने कहा कि हर एक स्तर पर योजनाएं आगे बढ़ीं और उन योजनाओं को आगे बढ़ाने के लिए फिर यह महसूस किया जाने लगा कि हर 10 वर्ष में हम विधायिका में अनूसूचित जाति और जन जाति से जुड़े हुए समुदायों का उचित प्रतिनिधित्व देने के लिए इस विषय पर चर्चा कर सकें और आज संविधान का 126वां संशोधन जो विधेयक है, इसको समर्थन देने के लिए हम सब यहां इस विशेष सत्र के माध्यम से उपस्थित हुए हैं.
सीएम योगी ने कहा कि यह उन्हीं भावनाओं को आगे बढ़ाने का काम है. सीएम योगी ने कहा कि यह जो रिजर्वेशन है यह 25 जनवरी 2020 तक ही है. 25 जनवरी 2020 से इसमें आगामी 10 वर्ष के तक बढ़ाने कि लिए उत्तर प्रदेश विधान मंडल भी अपना समर्थन देश की संसद के इस संविधान संशोधन के अधिनियम को दे सके. इसीलिए यह विशेष सत्र यहां आहूत किया गया है.