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Education Department : विद्यालयों का कायाकल्प अच्छी बात पर शिक्षा का स्तर भी सुधारना चाहिए

उत्तर प्रदेश के विद्यालयों में लगातार विद्यार्थियों की संख्या बढ़ रही (Education Department) है, वहीं प्रदेश सरकार भी शिक्षा की गुणवत्ता को लेकर लगातार प्रयास कर रही है. विद्यालयों का कायाकल्प अच्छी बात पर शिक्षा के स्तर में क्या सुधार होने चाहिये. पढ़ें यूपी के ब्यूरो चीफ आलोक त्रिपाठी का विश्लेषण...

Education Department : विद्यालयों का कायाकल्प अच्छी बात पर शिक्षा का स्तर भी सुधारना चाहिए.
Education Department : विद्यालयों का कायाकल्प अच्छी बात पर शिक्षा का स्तर भी सुधारना चाहिए.
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Published : Mar 15, 2023, 10:09 PM IST

Updated : Mar 16, 2023, 7:05 AM IST

लखनऊ : प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार परिषदीय विद्यालयों की सेहत सुधारने को लेकर लगातार प्रयास कर रही है. प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था में दो तरह की खामियां हैं. पहली सरकारी प्राथमिक विद्यालयों में निजी स्कूलों की तुलना में संसाधनों का अभाव और दूसरा गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का अभाव. सरकार पैसा खर्च कर संसाधनों की स्थिति में तो सुधार ला सकती है, लेकिन शिक्षा का स्तर ऊपर उठाने के लिए सिर्फ अच्छी रणनीति की जरूरत है. सरकार को यह समझना होगा कि आखिर लाखों प्राथमिक शिक्षक और शिक्षा मित्र क्यों गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नहीं दे पा रहे हैं. हाल ही में राज्य सरकार ने प्राथमिक स्कूलों पर एक हजार करोड़ से ज्यादा राशि खर्च करने का फैसला किया है.


Education Department : विद्यालयों का कायाकल्प अच्छी बात पर शिक्षा का स्तर भी सुधारना चाहिए.
Education Department : विद्यालयों का कायाकल्प अच्छी बात पर शिक्षा का स्तर भी सुधारना चाहिए.

प्रदेश के प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों में विद्यार्थियों की संख्या लगभग दो करोड़ पहुंच गई है. सरकार परिषदीय विद्यालयों के विद्यार्थियों को मध्यान भोजन के साथ-साथ यूनिफार्म और जूते आदि खरीदने के लिए धनराशि मुहैया करती है. अब सरकार ने निर्णय किया है कि परिषदीय विद्यालयों पर एक हजार करोड़ से अधिक की राशि खर्च कर इनकी सूरत बदली जाएगी. सरकार राज्य के सभी आठ सौ अस्सी विकास खंडों में अभ्युदय कंपोजिट विद्यालय विकसित करेगी. इसके लिए बेसिक शिक्षा विभाग ने योजना बनाई है. कक्षा एक से आठवीं तक के विद्यार्थियों को इस योजना का लाभ मिलेगा और शिक्षा की गुणवत्ता भी सुधारी जाएगी. इस योजना का मकसद बच्चों के सर्वांगीण विकास और रोजगारपरक शिक्षा को बढ़ावा देना है. हर कम अपोजिट विद्यालय के लिए लगभग डेढ़ करोड़ रुपए से अवस्थापना सुविधाओं को बढ़ाया जाएगा. इनमें हर विद्यालय की क्षमता साढ़े चार सौ विद्यार्थियों की होगी.

Education Department : विद्यालयों का कायाकल्प अच्छी बात पर शिक्षा का स्तर भी सुधारना चाहिए.
Education Department : विद्यालयों का कायाकल्प अच्छी बात पर शिक्षा का स्तर भी सुधारना चाहिए.

मुख्यमंत्री अभ्युदय कंपोजिट विद्यालयों में एक साथ बैठकर पुस्तकें पढ़ने के लिए फर्नीचर युक्त पुस्तकालय, वाई-फाई एवं ऑनलाइन सीसीटीवी सर्विलांस, बाल सुलभ फर्नीचर एवं मॉड्यूलर डेस्क-बेंच, सुरक्षा कर्मी एवं सफाई कर्मी की तैनाती, खेल का मैदान व ओपन जिम के साथ मल्टीपल एक्टिविटी हॉल, सोलर पैनल एवं वर्षा जल संचयन इकाई की स्थापना, आरओ एंड यूवी वॉटर प्लांट, मिड-डे-मील किचन व डायनिंग हॉल, वॉशिंग एरिया, मल्टीपल हैंडवाशिंग यूनिट की इंटीग्रेटेड व्यवस्था, आधुनिक अग्निशमन यंत्र, लैंग्वेज लैब की सुविधा के साथ कंप्यूटर लैब, रोबोटिक्स लर्निंग, विज्ञान एवं गणित विषयों के लिए मॉड्यूलर कम्पोजिट प्रयोगशाला, डिजिटल लर्निंग के लिए इंटरएक्टिव डिस्प्ले बोर्ड एवं वर्चुअल कनेक्टिविटी के साथ स्मार्ट क्लास, शौचालय सुविधा के साथ स्टाफ रूम, बाल वाटिका और पोषण वाटिका जैसी सुविधाएं मुहैया कराई जाएगी.

Education Department : विद्यालयों का कायाकल्प अच्छी बात पर शिक्षा का स्तर भी सुधारना चाहिए.
Education Department : विद्यालयों का कायाकल्प अच्छी बात पर शिक्षा का स्तर भी सुधारना चाहिए.

इस संबंध में शिक्षा क्षेत्र से जुड़े विश्लेषक डॉ. आलोक कुमार कहते हैं 'उत्तर प्रदेश में प्राथमिक शिक्षा में गुणवत्ता एक चर्चा का विषय रहा है. सरकारों ने सुविधाएं दीं, नौकरियां बाटीं, लेकिन शिक्षा का स्तर ऊपर उठाने के लिए जरूरी कदम नहीं उठाए. इस योजना के तहत सरकार जो प्रयास कर रही है वह वाकई सराहनीय और जरूरी हैं. इसके बावजूद यह कहना कठिन है कि सरकारी प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ाई की व्यवस्था में सुधार होगा. दरअसल, जरूरत है शिक्षकों को जवाबदेय बनाने की. केंद्र सरकार द्वारा संचालित केंद्रीय विद्यालय एक नमूना हैं, जहां शिक्षा का स्तर और गुणवत्ता कायम है. राज्य सरकार पैसा तो उतना ही खर्च करती है, लेकिन वह केंद्रीय विद्यालयों का मॉडल अपनाने में विफल रही है.' वह कहते हैं 'यदि सरकार प्रचार और शोकेश से आगे बढ़कर वास्तव में प्राथमिक शिक्षा में सुधार करना चाहती है, तो उसे शिक्षकों के लिए नियम भी बनाने होंगे. विद्यार्थियों के रिजल्ट को अध्यापकों की परफॉर्मेंस से जोड़ना चाहिए. अच्छा रिजल्ट दिलाने वाले अध्यापकों को प्रमोशन और अच्छे इंक्रीमेंट देनी चाहिए तो खराब रिजल्ट देने वाले शिक्षकों पर कार्रवाई भी हो. नियम और भी बनाए जा सकते हैं. देखना यह है कि क्या सरकार इस बड़ी राशि से शिक्षा का स्तर सुधारने में कामयाब हो पाएगी!'

यह भी पढ़ें : UPSRTC : रोडवेज के बाबू ने महिला अधिकारी पर होली में जबरन डाला रंग तो हो गया सस्पेंड

लखनऊ : प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार परिषदीय विद्यालयों की सेहत सुधारने को लेकर लगातार प्रयास कर रही है. प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था में दो तरह की खामियां हैं. पहली सरकारी प्राथमिक विद्यालयों में निजी स्कूलों की तुलना में संसाधनों का अभाव और दूसरा गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का अभाव. सरकार पैसा खर्च कर संसाधनों की स्थिति में तो सुधार ला सकती है, लेकिन शिक्षा का स्तर ऊपर उठाने के लिए सिर्फ अच्छी रणनीति की जरूरत है. सरकार को यह समझना होगा कि आखिर लाखों प्राथमिक शिक्षक और शिक्षा मित्र क्यों गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नहीं दे पा रहे हैं. हाल ही में राज्य सरकार ने प्राथमिक स्कूलों पर एक हजार करोड़ से ज्यादा राशि खर्च करने का फैसला किया है.


Education Department : विद्यालयों का कायाकल्प अच्छी बात पर शिक्षा का स्तर भी सुधारना चाहिए.
Education Department : विद्यालयों का कायाकल्प अच्छी बात पर शिक्षा का स्तर भी सुधारना चाहिए.

प्रदेश के प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों में विद्यार्थियों की संख्या लगभग दो करोड़ पहुंच गई है. सरकार परिषदीय विद्यालयों के विद्यार्थियों को मध्यान भोजन के साथ-साथ यूनिफार्म और जूते आदि खरीदने के लिए धनराशि मुहैया करती है. अब सरकार ने निर्णय किया है कि परिषदीय विद्यालयों पर एक हजार करोड़ से अधिक की राशि खर्च कर इनकी सूरत बदली जाएगी. सरकार राज्य के सभी आठ सौ अस्सी विकास खंडों में अभ्युदय कंपोजिट विद्यालय विकसित करेगी. इसके लिए बेसिक शिक्षा विभाग ने योजना बनाई है. कक्षा एक से आठवीं तक के विद्यार्थियों को इस योजना का लाभ मिलेगा और शिक्षा की गुणवत्ता भी सुधारी जाएगी. इस योजना का मकसद बच्चों के सर्वांगीण विकास और रोजगारपरक शिक्षा को बढ़ावा देना है. हर कम अपोजिट विद्यालय के लिए लगभग डेढ़ करोड़ रुपए से अवस्थापना सुविधाओं को बढ़ाया जाएगा. इनमें हर विद्यालय की क्षमता साढ़े चार सौ विद्यार्थियों की होगी.

Education Department : विद्यालयों का कायाकल्प अच्छी बात पर शिक्षा का स्तर भी सुधारना चाहिए.
Education Department : विद्यालयों का कायाकल्प अच्छी बात पर शिक्षा का स्तर भी सुधारना चाहिए.

मुख्यमंत्री अभ्युदय कंपोजिट विद्यालयों में एक साथ बैठकर पुस्तकें पढ़ने के लिए फर्नीचर युक्त पुस्तकालय, वाई-फाई एवं ऑनलाइन सीसीटीवी सर्विलांस, बाल सुलभ फर्नीचर एवं मॉड्यूलर डेस्क-बेंच, सुरक्षा कर्मी एवं सफाई कर्मी की तैनाती, खेल का मैदान व ओपन जिम के साथ मल्टीपल एक्टिविटी हॉल, सोलर पैनल एवं वर्षा जल संचयन इकाई की स्थापना, आरओ एंड यूवी वॉटर प्लांट, मिड-डे-मील किचन व डायनिंग हॉल, वॉशिंग एरिया, मल्टीपल हैंडवाशिंग यूनिट की इंटीग्रेटेड व्यवस्था, आधुनिक अग्निशमन यंत्र, लैंग्वेज लैब की सुविधा के साथ कंप्यूटर लैब, रोबोटिक्स लर्निंग, विज्ञान एवं गणित विषयों के लिए मॉड्यूलर कम्पोजिट प्रयोगशाला, डिजिटल लर्निंग के लिए इंटरएक्टिव डिस्प्ले बोर्ड एवं वर्चुअल कनेक्टिविटी के साथ स्मार्ट क्लास, शौचालय सुविधा के साथ स्टाफ रूम, बाल वाटिका और पोषण वाटिका जैसी सुविधाएं मुहैया कराई जाएगी.

Education Department : विद्यालयों का कायाकल्प अच्छी बात पर शिक्षा का स्तर भी सुधारना चाहिए.
Education Department : विद्यालयों का कायाकल्प अच्छी बात पर शिक्षा का स्तर भी सुधारना चाहिए.

इस संबंध में शिक्षा क्षेत्र से जुड़े विश्लेषक डॉ. आलोक कुमार कहते हैं 'उत्तर प्रदेश में प्राथमिक शिक्षा में गुणवत्ता एक चर्चा का विषय रहा है. सरकारों ने सुविधाएं दीं, नौकरियां बाटीं, लेकिन शिक्षा का स्तर ऊपर उठाने के लिए जरूरी कदम नहीं उठाए. इस योजना के तहत सरकार जो प्रयास कर रही है वह वाकई सराहनीय और जरूरी हैं. इसके बावजूद यह कहना कठिन है कि सरकारी प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ाई की व्यवस्था में सुधार होगा. दरअसल, जरूरत है शिक्षकों को जवाबदेय बनाने की. केंद्र सरकार द्वारा संचालित केंद्रीय विद्यालय एक नमूना हैं, जहां शिक्षा का स्तर और गुणवत्ता कायम है. राज्य सरकार पैसा तो उतना ही खर्च करती है, लेकिन वह केंद्रीय विद्यालयों का मॉडल अपनाने में विफल रही है.' वह कहते हैं 'यदि सरकार प्रचार और शोकेश से आगे बढ़कर वास्तव में प्राथमिक शिक्षा में सुधार करना चाहती है, तो उसे शिक्षकों के लिए नियम भी बनाने होंगे. विद्यार्थियों के रिजल्ट को अध्यापकों की परफॉर्मेंस से जोड़ना चाहिए. अच्छा रिजल्ट दिलाने वाले अध्यापकों को प्रमोशन और अच्छे इंक्रीमेंट देनी चाहिए तो खराब रिजल्ट देने वाले शिक्षकों पर कार्रवाई भी हो. नियम और भी बनाए जा सकते हैं. देखना यह है कि क्या सरकार इस बड़ी राशि से शिक्षा का स्तर सुधारने में कामयाब हो पाएगी!'

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Last Updated : Mar 16, 2023, 7:05 AM IST
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