लखनऊ: मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद सूबे में व्याप्त खौफ के आलम को खत्म कर कानून का राज कायम किया. आज बहू-बेटिया बेखौफ होकर घरों से बाहर निकलती हैं. बाहुबली और दबंगों को पुलिस को देख पसीने आने लगते (Now Bahubali and Dabangs start sweating after seeing the police) हैं. लेकिन साढ़े चार साल पहले यहां हालात ऐसे नहीं थे. जी हां हम बात उत्तर प्रदेश की कर रहे हैं और यहां रिदा-ए-खौफ को खत्म कर अमन व तरक्की की पहल करने का श्रेय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को जाता है. सूबे में कानून-व्यवस्था के मुद्दे पर योगी की सख्ती (Yogi strictness on the issue of law and order) जगजाहिर है.
लेकिन एक ऐसा भी वक्त था, जब पूरे देश में सबसे अधिक गुंडागर्दी और अपराध इसी राज्य में हुआ करती थी. गुंडागर्दी भी इस दर्जे की हुआ करती थी कि वो कानून की सरेराह धज्जियां उड़ा देते थे. खैर, 2017 में प्रदेश में हाल बदलनी शुरू हुई. योगी सरकार ने उन सभी माफियाओं और बाहुबलियों पर नकेल कसना शुरू किया, जिन्हें पिछली सरकारों ने फलने-फूलने की खुली छूट दे रखी थी. वहीं, मुख्तार अंसारी और अतीक अहमद भी उन्हीं में से एक हैं. जिनके खिलाफ आज भी योगी सरकार की ओर से कार्रवाई की जा रही है. मौजूदा हालात यह हैं कि योगी सरकार के खौफ के चलते ये माफिया सूबे में आने तक को तैयार नहीं हैं.
इसे भी पढ़ें -UP में लॉ एंड ऑर्डर बनते रहे हैं सियासी मुद्दा, अब 'ठोको पॉलिसी' पर पॉलिटिक्स
चलिए अब आपको अतीक अहमद की अतीतनामे से रूबरू कराते हैं. राज्य के बाहर की जेल में बंद अतीक अहमद और मुख्तार अंसारी, जो कभी गैंगस्टर हुआ करते थे, आज वो अपने साम्राज्य के विनाश के मूक दर्शक बने हुए हैं. योगी सरकार ने अतीक अहमद और उसके सहयोगियों से जुड़े 30 बंदूक लाइसेंस रद्द कर दिए हैं. साथ ही आज उसके सहयोगी पुलिस की रडार पर हैं और उनकी संपत्तियां जब्त की जा रही हैं.
दरअसल, अतीक अहमद (60) ने साल 1979 में एक हत्या कर अपराध की दुनिया में अपना कदम रखा था. इसके बाद देखते ही देखते वो अपराध की दुनिया में लगातार खूंखार होता गया. प्रदेश में उसके अपराध की सलतनत को समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी का साथ मिला.
वो बिना किसी खौफ के अजेय राजा की तरह जिंदगी जी रहा था. पांच बार विधायक और एक बार सांसद रहे अतीक अहमद के खिलाफ अब तक कुल 96 आपराधिक मामले दर्ज हैं. उसमें हत्या, अपहरण, अवैध खनन, रंगदारी, धमकी और धोखाधड़ी समेत कई मामले हैं और इन मामलों में वो नामजद भी है.
इसे भी पढ़ें -UP में भाजपा की अग्निपरीक्षा, दांव पर लगी कई नेताओं की प्रतिष्ठा!
जेल से लड़ा था चुनाव...
गौर हो कि फरवरी 2017 में, जब यूपी में समाजवादी पार्टी की सरकार थी, तब अतीक अहमद को प्रयागराज के नैनी इलाके से एक राज्य विश्वविद्यालय के कर्मचारियों पर हमले के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था. यह कार्रवाई इलाहाबाद हाईकोर्ट की ओर से पुलिस की खिंचाई करने के बाद हुई थी. क्योंकि इससे पहले पुलिस उसे गिरफ्तार करने में विफल रही थी. इधर, मार्च 2017 में विधानसभा चुनाव हुए और भाजपा ने पूर्ण बहुमत से जीत दर्ज कर सूबे में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में सरकार बनाई और वो प्रदेश के मुख्यमंत्री बने. वो भी शख्स और कड़क.
उठाए बड़े कदम
खैर, योगी आदित्यनाथ ने मुख्यमंत्री (Chief Minister Yogi Adityanath) की शपथ लेने के दौरान ही यह साफ कर दिया था कि “अब प्रदेश में गुंडाराज नहीं चलेगा.” जिसके बाद योगी सरकार ने ऐसे माफिया और बाहुबलियों को धूल चटाने और इन पर सख्त कार्रवाई करने के लिए कई बड़े कदम उठाए.
वाराणसी में जमानत तक नहीं बची
वर्तमान में अतीक अहमद गुजरात के एक जेल में बंद है. सपा की टिकट पर कई बार चुनाव जीत चुके अतीक अहमद ने लोकसभा चुनाव 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) के खिलाफ वाराणसी निर्वाचन क्षेत्र से नामांकन दाखिल किया और चुनाव लड़ा. लेकिन उसे महज 855 वोट ही मिले थे. ऐसे में वाराणसी की जनता ने उसके आतंक का जवाब वोट से दिया. इस चुनाव में अतीक अहमद की जमानत तक नहीं बची थी.
वहीं, जेल में बंद माफिया अतीक अहमद और उसके गुर्गों के खिलाफ पुलिस की लगातार कार्रवाई चल रही है. अहमद के दो गुर्गे माजिद और अकबर की लाखों की संपत्तियों को कुर्क कर दिया गया. खैर, सीएम योगी ने अतीक अहमद और उसके जैसे अन्य माफियाओं पर जिस तरह से लगाम लगाई है, उसके बाद सूबे में कोई बाहुबली बनने और कानून-व्यवस्था को हाथ में लेने की सोच भी नहीं सकता.
ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप