लखनऊ : रविवार की शाम को गोमती नगर स्थित उत्तर प्रदेश संगीत नाट्य एकेडमी के सभागार में पुस्तक विमोचन का कार्यक्रम आयोजित हुआ. कार्यक्रम के दौरान बतौर मुख्य अतिथि विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित मौजूद रहे. इस दौरान अंजु रंजन ने अपनी पुस्तक "वो कागज की कश्ती" एवं "विस्थापन और यादें" पुस्तकों का विमोचन किया. पुस्तक विमोचन कार्यक्रम के दौरान लेखिका अंजु रंजन ने बताया कि गांवों में छात्राओं को शिक्षा प्राप्त करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है और चिकित्सा सुविधाओं के अभाव में लोग जीवन जीते हैं.
गांव के छात्रों व अन्य समस्याओं पर लिखित स्मरणो को पुस्तक में शामिल किया गया है. लेखिका अंजु रंजन ने बताया कि "वो कागज की कश्ती" पुस्तक में उनके 35 संस्मरणों को शामिल किया गया है. इस पुस्तक में लेखक ने स्वयं की बाल्यावस्था से लेकर युवावस्था तक की महत्वपूर्ण घटनाओं व 80-90 के दशक में गांवों के रहन-सहन का उल्लेख किया है. पुस्तक विमोचन के बाद विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने लेखिका अंजु रंजन को बधाई दी.
हृदय नारायण दीक्षित ने कहा कि लेखक जो संस्करण लिखते हैं, उसमें स्मृति का ही विवरण होता है. उन्होंने कहा कि लेखिका अंजु रंजन ने जो भी संस्करण लिखे हैं सारे संस्करण उनकी स्मृति का भाग हैं. इनका लेखन सरल, तरल व विरल है, मनुष्य के जीवन में भिन्न-भिन्न घटनाएं होती हैं लेकिन वो घटनाएं अपनी लगने लगे ऐसा विवरण इनकी पुस्तिका में है. लेखिका ने सहज भाव से जो लिखने का प्रयास किया है वह सफल हुआ है.
लखनऊ के पूर्व मंडलायुक्त की पत्नी हैं अंजु रंजन
लेखिका अंजु रंजन लखनऊ के पूर्व मंडल आयुक्त की पत्नी हैं. वर्तमान में वह भारतीय विदेश सेवा(Indian Foreign Service) की वरिष्ठ अधिकारी हैं. अंजू रंजन भारतीय विदेश सेवा में इण्डोनेशिया, नेपाल तथा स्काट्लैंड में भारत का प्रतिनिधित्व कर चुकीं हैं. लेखिका की पहली पुस्तक "प्रेम के विभिन्न रंग" प्रकाशित हो चुकी है, जो काफी लोकप्रिय हुई है. पुस्तक विमोचन कार्यक्रम के दौरान अंजू रंजन के पति रंजन कुमार भी मौजूद रहे. कार्यक्रम में रंजन कुमार ने अपनी पत्नी को पुस्तक विमोचन के लिए बधाई दी. उन्होंने कहा कि शासकीय सेवाओं में रहकर लेखन के लिए समय निकालना कठिन कार्य है. इनकी दोनों ही पुस्तकों में गांव के रहन-सहन व परिवेश का विवरण किया गया है.
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