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इमरजेंसी में रेडियोलॉजी जांचों का हो प्रोटोकॉल तो होगी समय की बचत - विश्व रेडियोग्राफी दिवस

डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में रविवार को विश्व रेडियोग्राफी दिवस मनाया गया. समारोह में मुख्य अतिथि ने कहा कि इमरजेंसी वाले डॉक्‍टरों, टेक्नीशियन को बेहतर ट्रेनिंग देते हुए आवश्यक जांचों व उपचार के बारें में ऐप के माध्यम से ट्रीटमेंट का प्रोटोकॉल तैयार कर लिया जाए. तो यह मरीज के इलाज में सहायक सिद्ध होगा और साथ ही समय की भी बचत होगी.

विश्व रेडियोग्राफी दिवस
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Published : Nov 13, 2022, 10:33 PM IST

लखनऊ: डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में रविवार को उत्तर प्रदेश एक्स-रे टेक्नीशियन एसोसिएशन एवं आईएसआरटी यूपी चैप्टर द्वारा संयुक्त रूप से विश्व रेडियोग्राफी दिवस मनाया गया. समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में लोहिया संस्थान की निदेशक प्रोफेसर सोनिया नित्यानंद शामिल हुईं. इस मौके पर ‘इमरजेंसी रेडियोलॉजी में चुनौतियां और बेहतर प्रबंधन’ विषय पर एक सतत चिकित्सा शिक्षा (सीएमई) का आयोजन किया गया.

विश्व रेडियोग्राफी दिवस
विश्व रेडियोग्राफी दिवस
सीएमई में संस्थान के असिस्टेंट प्रोफेसर और रेडिएशन सेफ्टी ऑफिसर डॉ धनंजय ने सुझाव देते हुए कहा कि ट्रॉमा (इमरजेंसी) में जब मरीज पहुंचता है. तो उस समय स्थिति यह होती है कि मरीज को जल्द से जल्द चिकित्सा उपलब्ध कराई जाए, क्‍योंकि यह जरूरी भी है. मरीजों के परिजनों की भी यही अपेक्षा रहती है. दूसरी ओर चिकित्सक के सामने यह चुनौती होती है कि वह अगर क्लीनिकल आधार पर उपचार प्रारंभ करता है. तो उसका असर आने में समय लग सकता है और यदि तरह-तरह की रेडियोलॉजी जांचें कराता है. तो मरीज को ज्यादा रेडिएशन का खतरा रहता है.डॉ धनंजय ने कहा कि ऐसे में मेरा सुझाव है कि अगर इमरजेंसी वाले डॉक्‍टरों, टेक्नीशियन को बेहतर ट्रेनिंग देते हुए आवश्यक जांचों व उपचार के बारें में ऐप के माध्यम से ट्रीटमेंट का प्रोटोकॉल तैयार कर लिया जाए. तो यह मरीज के इलाज में सहायक सिद्ध होगा और साथ ही समय की भी बचत होगी. सीएमई में अन्य वक्ताओं में रेडियोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ गौरव राज ने कहा कि आधुनिक चिकित्सा के बदलते दौर में रेडियोलॉजी की नवीन तकनीक से अपडेट रहना अति आवश्यक है इसके लिए समय-समय पर इसी तरह के शैक्षणिक आयोजन से बेहतर जानकारी मिल सकती है. केजीएमयू की पूर्व विभागाध्यक्ष रेडियोलॉजी डॉ नीरा कोहली ने कहा कि ट्रॉमा में आए मरीजों को इमरजेंसी मैनेजमेंट के लिए टेक्नीशियन को नवीन तकनीक की जानकारी देना अति आवश्यक है. एसजीपीजीआई की रेडियोलोजी विभागाध्यक्ष प्रोफेसर अर्चना गुप्ता ने एक्स-रे की खोज से लेकर आधुनिक एक्स-रे तक बारे में जानकारी दी. केजीएमयू के रेडियोलोजी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर अनित परिहार ने भी आवश्यक जानकारी दी.समारोह में उत्तर प्रदेश एक्‍सरे टेक्‍नीशियन एसोसिएशन के अध्यक्ष राम मनोहर कुशवाहा ने कार्यरत टेक्निशियंस को नवीन तकनीक से अवगत कराते हुए इस प्रकार के आयोजन को आवश्यक बताया. महासचिव दिलीप कुमार ने बताया कि उत्तर प्रदेश में कार्यरत एक्‍स रे टेक्निशियन को नवीन तकनीक से समय-समय पर प्रशिक्षित किया जाना चाहिए जिससे मेडिकल के बदलते परिवेश में बेहतर चिकित्सा मरीजों को दी जा सके. सचिव आईएसआरटी यूपी चैप्टर विनोद कुमार सिंह और संयुक्त सचिव आईएसआरटी रजनीश श्रीवास्तव ने भी अपने विचार व्यक्त किए. यह भी पढ़ें:विश्व रेडियो दिवस पर सुदर्शन पटनायक ने बनाया खूबसूरत सैंड आर्ट

लखनऊ: डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में रविवार को उत्तर प्रदेश एक्स-रे टेक्नीशियन एसोसिएशन एवं आईएसआरटी यूपी चैप्टर द्वारा संयुक्त रूप से विश्व रेडियोग्राफी दिवस मनाया गया. समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में लोहिया संस्थान की निदेशक प्रोफेसर सोनिया नित्यानंद शामिल हुईं. इस मौके पर ‘इमरजेंसी रेडियोलॉजी में चुनौतियां और बेहतर प्रबंधन’ विषय पर एक सतत चिकित्सा शिक्षा (सीएमई) का आयोजन किया गया.

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सीएमई में संस्थान के असिस्टेंट प्रोफेसर और रेडिएशन सेफ्टी ऑफिसर डॉ धनंजय ने सुझाव देते हुए कहा कि ट्रॉमा (इमरजेंसी) में जब मरीज पहुंचता है. तो उस समय स्थिति यह होती है कि मरीज को जल्द से जल्द चिकित्सा उपलब्ध कराई जाए, क्‍योंकि यह जरूरी भी है. मरीजों के परिजनों की भी यही अपेक्षा रहती है. दूसरी ओर चिकित्सक के सामने यह चुनौती होती है कि वह अगर क्लीनिकल आधार पर उपचार प्रारंभ करता है. तो उसका असर आने में समय लग सकता है और यदि तरह-तरह की रेडियोलॉजी जांचें कराता है. तो मरीज को ज्यादा रेडिएशन का खतरा रहता है.डॉ धनंजय ने कहा कि ऐसे में मेरा सुझाव है कि अगर इमरजेंसी वाले डॉक्‍टरों, टेक्नीशियन को बेहतर ट्रेनिंग देते हुए आवश्यक जांचों व उपचार के बारें में ऐप के माध्यम से ट्रीटमेंट का प्रोटोकॉल तैयार कर लिया जाए. तो यह मरीज के इलाज में सहायक सिद्ध होगा और साथ ही समय की भी बचत होगी. सीएमई में अन्य वक्ताओं में रेडियोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ गौरव राज ने कहा कि आधुनिक चिकित्सा के बदलते दौर में रेडियोलॉजी की नवीन तकनीक से अपडेट रहना अति आवश्यक है इसके लिए समय-समय पर इसी तरह के शैक्षणिक आयोजन से बेहतर जानकारी मिल सकती है. केजीएमयू की पूर्व विभागाध्यक्ष रेडियोलॉजी डॉ नीरा कोहली ने कहा कि ट्रॉमा में आए मरीजों को इमरजेंसी मैनेजमेंट के लिए टेक्नीशियन को नवीन तकनीक की जानकारी देना अति आवश्यक है. एसजीपीजीआई की रेडियोलोजी विभागाध्यक्ष प्रोफेसर अर्चना गुप्ता ने एक्स-रे की खोज से लेकर आधुनिक एक्स-रे तक बारे में जानकारी दी. केजीएमयू के रेडियोलोजी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर अनित परिहार ने भी आवश्यक जानकारी दी.समारोह में उत्तर प्रदेश एक्‍सरे टेक्‍नीशियन एसोसिएशन के अध्यक्ष राम मनोहर कुशवाहा ने कार्यरत टेक्निशियंस को नवीन तकनीक से अवगत कराते हुए इस प्रकार के आयोजन को आवश्यक बताया. महासचिव दिलीप कुमार ने बताया कि उत्तर प्रदेश में कार्यरत एक्‍स रे टेक्निशियन को नवीन तकनीक से समय-समय पर प्रशिक्षित किया जाना चाहिए जिससे मेडिकल के बदलते परिवेश में बेहतर चिकित्सा मरीजों को दी जा सके. सचिव आईएसआरटी यूपी चैप्टर विनोद कुमार सिंह और संयुक्त सचिव आईएसआरटी रजनीश श्रीवास्तव ने भी अपने विचार व्यक्त किए. यह भी पढ़ें:विश्व रेडियो दिवस पर सुदर्शन पटनायक ने बनाया खूबसूरत सैंड आर्ट
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