लखनऊ: निमोनिया एक श्वसन संबंधी बीमारी है. जिसमें बैक्टीरिया वायरस, फफूंदी के कारण फेफडों की 'एल्वियोली' (वायु थैली) में संक्रमण होता है. एल्वियोली फेफड़ों का वह हिस्सा है जिसमें ऑक्सीजन और कार्बनडाई ऑक्साइड गैस का आदान-प्रदान होता है. 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में निमोनिया का खतरा अधिक होता है. इससे मरने वाले मरीजों की मृत्यु दर भी अधिक है. शनिवार को केजीएमयू के पल्मोनरी एवं क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग में विश्व निमोनिया दिवस पर एक सेमिनार आयोजित किया गया. इस सेमिनार में डॉक्टर वेद प्रकाश ने कहा कि विश्व निमोनिया दिवस को मनाने का आशय यह है कि हमें एकजुट होकर इस वैश्विक स्वास्थ्य संकट की रोकथाम, शीघ्र पहचान एवं सुलभ उपचार की दिशा में प्रयासरत हों.
जागरूक हो जनमानस
डॉक्टर वेद प्रकाश ने कहा कि विश्व निमोनिया दिवस हर वर्ष 12 नवंबर को मनाया जाता है. इस दिन की स्थापना 2009 में निमोनिया के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए की गयी थी. डब्ल्यूएचओ द्वारा हर वर्ष 12 नवंबर को विश्व निमोनिया दिवस मनाया जाता है, जिसमें निमोनिया से रोकथाम त्वरित इलाज के लिए डॉक्टर एवं आम जनमानस को जागरूक करने के लिए पूरे विश्व में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है. इसी क्रम में उनका विभाग भी एक कार्यक्रम का आयोजन कर रहा है.
भारत में निमोनिया से मौत की दर सर्वाधिक
डॉक्टर वेद प्रकाश ने कहा कि निमोनिया के विरुद्ध संघर्ष में केजीएमयू के पल्मोनरी एंड क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग का योगदान काफी रहा है. आईसीयू में निमोनिया के कारण भर्ती होने वाले मरीजों में वेंटिलेटर संबद्ध निमोनिया (वैप) एक जटिल समस्या है. इस जटिल समस्या से स्वास्थ्य सेवाओं पर अतिरिक्त वित्तीय भार पड़ता है एवं मृत्यु दर में अतिरिक्त वृद्धि होती है. हाल में हुए अध्ययनों से भारत में वैप की दर 27.7 प्रतिशत है. वहीं, यूरोपियन देशों में यह दर 18.8 प्रतिशत एवं अमेरिका में 13 प्रतिशत तक है. विभाग में इस दर को बीते एक वर्ष में 10 प्रतिशत से नीचे लाने में सफल हुए हैं.
एक नजर
1- विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार पूरे विश्व में साल भर में 45 करोड़ से अधिक लोग निमोनिया से ग्रसित होते हैं.
2- निम्न और मध्यम आय वाले देशों में निमोनिया 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में सबसे अधिक होता है. निमोनिया इस आयु वर्ग के में बीमारी और मृत्यु का एक प्रमुख कारण है. बच्चों को अपने प्रारंभिक जीवन में कई बार निमोनिया की बीमारी से ग्रसित होना पड़ता है.
3- निमोनिया विशेष रूप से 65 वर्ष से अधिक आयु वालो को प्रभावित करता है. उम्र के साथ निमोनिया होने का खतरा बढ़ता जाता है और बुजुर्ग व्यक्तियों में निमोनिया खास कर उन व्यक्तियों में ज्यादा गंभीर रूप से होता जो अन्य दीर्घकालिक बिमारियों से ग्रसित होते हैं.
4- निमोनिया बच्चों में मृत्यु का प्रमुख कारण है. मुख्य रूप से निम्न और मध्यम आय वाले देशों में निमोनिया से हर साल 5 साल से कम उम्र के 8 लाख से अधिक बच्चों की मौत होती है.
निमोनिया के लक्षण
खांसी और जुकाम निमोनिया का प्रमुख कारण है. इसके अलावा बुखार, सांस की तकलीफ, सीने में दर्द, थकान एवं कमजोरी, तेजी से सांस लेना प्रमुख कारण है. इसके अलावा बच्चों में लक्षण निमोनिया की बीमारी ने बच्चो में नजला होना, सांस लेने में घुरघुराहट होना, और पसली चलना भी शामिल है..
निमोनिया से बचाव
1- वार्षिक इन्फ्लुएंजा (फ्लू) का टीका लगवाना महत्वपूर्ण है, क्योंकि इन्फ्लूएंजा से द्विवीयक जीवाणु निमोनिया हो सकता है. इन्फ्लूएंजा टीकाकरण से निमोनिया और इसकी जटिलताओं का खतरा कम हो सकता है.
2- न्यूमोकोकल जो एक सामान्य रोगजनक स्ट्रेप्टोकोकस निमोनिया के कारण होने वाले निमोनिया को रोक सकते है.
3- एचआईवी वैक्सीन, हेमोफिलस इन्फ्लुएंजा टाइप बी के कारण होने वाले निमोनिया और अन्य संक्रमणों को रोकने के लिए शिशुओं और छोटे बच्चों के लिए हिब वैक्सीन की सिफारिश की जाती है.
4- इस मामले में कुछ आबादी, जैसे बुजुर्ग, पुरानी स्वास्थ्य स्थितियों वाले व्यक्तियों को अतिरिक्त टीकों से लाभान्वित हो सकते हैं, जैसे कि हर्पीस जोस्टर वैक्सीन या सीओवीआईडी 19 वैक्सीन प्रमुख हैं.
5- लोगों को कम से कम 20 सेकंड तक साबुन और पानी से हाथ धोकर अच्छी हाथ की स्वच्छता अपनाने से श्वसन संक्रमण के प्रसार को रोकने में मदद मिल सकती है.
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