लखनऊ : विश्व मानसिक रोग दिवस 2023 का थीम 'राइट टू मेंटल हेल्थ' यानी सबको मानसिक स्वास्थ्य का अधिकार है. हर साल इस दिवस को मनाने का उद्देश्य सिर्फ इतना है कि लोग अपने मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूक रहें. क्योंकि मानसिक स्वास्थ्य से बीमार बहुत से लोग इस बात को स्वीकार नहीं करते हैं कि उन्हें मानसिक बीमारी है. लिहाजा विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है. ताकि लोग मानसिक स्वास्थ्य और उसके विकारों को समझें और सही से इलाज कराएं.
सिविल अस्पताल की मनोरोग विशेषज्ञ डॉ. दीप्ति सिंह के अनुसार मानसिक से जुड़ी निरोसिस और साइकोसिस दो प्रमुख बीमारियां हैं. निरोसिस में मरीज को अपनी बीमारी के बारे में पता चल जाता है. जबकि सिरोसिस ग्रसित मरीज को ज्ञान नहीं होता है. उसके परिजन उसकी बीमारी के बारे में बताते हैं. इसमें महिलाएं ज्यादा प्रभावित हो रही हैं. इसका प्रमुख कारण है कि महिलाएं घर में रहती हैं और अपनी समस्या बता नहीं पाती हैं. ऐसे में वे अवसाद का शिकार हो जाती हैं. इसके अलावा सिरोसिस से ग्रसित लोग अजीबोगरीब शिकायतें करते हैं. जैसे कानों में अलग तरीके के आवाजें गूंजना, उन पर किसी और के द्वारा नजर रखना, उनके द्वारा बनाए गए फार्मूले विदेशियों द्वारा चोरी करने का प्रयास किया जाना आदि आदि.
डॉ. दीप्ति सिंह के मुताबिक पुरुषों की तुलना में महिलाएं सबसे अधिक मानसिक रोग से ग्रसित होती हैं. ऐसा इसलिए भी है कि वे अपना ख्याल नहीं रखती हैं. महिलाएं जब घर पर होती हैं तो घर पर बहुत सारी बातें होती हैं. परिवार, रिश्तेदार व पड़ोसी सभी से संबंधित बातें वह अकेले झेलती हैं. कोई सगा संबंधी या रिश्तेदार जब उन्हें अनसुना कर चला जाता है तो उनकी मनोदशा बिगड़ी चली जाती है. ऐसे में महिलाएं ज्यादा कुंठित हो जाती हैं. इसलिए पुरुषों की तुलना में महिलाओं की संख्या मानसिक रोग से ग्रसित के मामले में अधिक है. सोमेटोफॉर्म डिसऑर्डर से भी महिलाएं गुजरती हैं. इसमें जब महिलाओं के मानसिक तौर पर दिक्कत होती है तो उन्हें तरह-तरह की दिक्कतें हो सकती है. जिसमें शरीर में दर्द, सिर में दर्द, हड्डियों में दर्द या फिर एसिडिटी से गैस और कब्जियत हो जाती है.
सीवियर्टी के मामले में पुरुषों की संख्या अधिक : डॉ. दीप्ति ने बताया कि वैसे तो पुरुषों के मुकाबले महिलाओं की संख्या अधिक है. लेकिन अगर सीवियर केस की बात करें तो मानसिक रोग से पीड़ित सीवियर केस के मामले पुरुषों के अधिक होते हैं. इसके पीछे एक खास वजह है कि महिलाएं कहीं न कहीं अपनी बातें शेयर करती हैं, लेकिन पुरुष अपनी बातें किसी से शेयर नहीं करते हैं. महिलाएं अपनी बातें बतातें वक्त रो लेती हैं और अपनी भड़ास निकाल लेती हैं. इसके इतर पुरुष जल्दी रोते नहीं हैं. जब पुरुष अपनी बातें किसी से कह नहीं पाते हैं. उनके मन की बात बाहर नहीं निकाल पाती है और मन हल्का नहीं होता है. उस स्थिति में पुरुष की जब मेंटल हेल्थ बिगड़ती है तो वह बहुत गंभीर स्थिति होती है. इसलिए मेंटल हेल्थ के केस में भले महिलाओं की संख्या अधिक हो, लेकिन सीवियर केसों की संख्या में पुरुषों की संख्या अधिक है.
एक बात पर घंटों बर्बाद, जानें शुरुआती लक्षण : मनोरोग विशेषज्ञ डॉ. दीप्ति सिंह के अनुसार जब किसी व्यक्ति के दिमाग में कोई बात चल रही होती है और एक बात पर घंटों जो व्यक्ति सोचते रहते हैं तो उसके सिर में सबसे पहले तेज दर्द होगा. इसके बाद उन्हें कई अन्य लक्षण भी हो सकते हैं. जिसमें लंबे समय तक सिर दर्द रहना, डिप्रेशन, नींद न आना, चिड़चिड़ापन, घबराहट, तनाव, शक करना, किसी प्रकार की लत, बिस्तर पर चक्कर आना, अचानक से घबराहट के साथ पसीना पसीना होना.
डॉ. दीप्ति सिंह का कहना है कि मानसिक स्वास्थ्य का अधिकार सभी को है. इसलिए अपने दिमाग को स्थिर रखें और उसका ख्याल रखें. एक जिंदगी मिली है उसे खुलकर जिएं. अपने सपनों को पूरा करें और खुश रहें. हर किसी की जिंदगी में उतार-चढ़ाव आता रहता है. उसे हारना नहीं है. अपनी मनोदशा को समझना है. अगर कोई भी दिक्कत परेशानी होती है. कोई भी लक्षण आपको समझ में आ रहा है तो बेझिझक बिना शर्म किए अपने मनोरोग विशेषज्ञ से मिलें. अपनी बातें शेयर करें. क्योंकि मनोरोग विशेषज्ञ सिर्फ मानसिक रोग से पीड़ित मरीजों का इलाज नहीं करते हैं. बल्कि उनके पास हर उन समस्याओं का हाल है जिसके बारें में आप सोचकर अपनी जिंदगी का कीमती समय बर्बाद करते हैं.