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World Blood Donor Day 2023 : विश्व रक्तदाता दिवस आज, जानिए क्या हैं फायदे

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Published : Jun 14, 2023, 10:12 AM IST

Updated : Jun 14, 2023, 4:11 PM IST

आज विश्व रक्तदाता दिवस (world blood donor day 2023) है. यह दिन लोगों में रक्तदान (Blood donation) के प्रति जागरूकता और उत्साह पैदा करने के लिए मनाया जाता है.

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लखनऊ : विश्व रक्तदाता दिवस हर साल 14 जून को मनाया जाता है. हर वर्ष रक्तदाता दिवस की एक खास थीम होती है. इस वर्ष विश्व रक्तदाता दिवस 2023 की थीम 'रक्त दो, प्लाज्मा दो, जीवन साझा करो, अक्सर साझा करो' रखा गया है. विश्व रक्तदाता दिवस मनाए जाने का प्रमुख कारण है कि समाज में सभी वर्ग के लोग रक्तदान के प्रति जागरूक हों और स्वयं रक्तदान के लिए आगे बढ़ें. वर्ष 2004 से विश्व रक्तदाता दिवस मनाया जा रहा है. हर साल इसकी थीम अलग-अलग डब्ल्यूएचओ के द्वारा निर्धारित की जाती है.

विश्व रक्तदाता दिवस आज
विश्व रक्तदाता दिवस आज
विश्व रक्तदाता दिवस हर साल 14 जून को मनाया जाता है
विश्व रक्तदाता दिवस हर साल 14 जून को मनाया जाता है

बलरामपुर अस्पताल के ब्लड बैंक की काउंसलर रुचि मिश्रा ने बताया कि 'कोविड-19 के बाद से लगातार ब्लड बैंक में खून की कमी बनी हुई है. जितने की आवश्यकता होती है उतनी पूर्ति नहीं हो पाती है. कुछ महीने ऐसे होते हैं जिसमें ब्लड डोनेशन कम होता है, लेकिन डिमांड अधिक होती है. पिछले महीने मई में ब्लड बैंक में 655 यूनिट ब्लड डोनेट हुआ था, लेकिन 775 यूनिट ब्लड की डिमांड हुई थी. इसी तरह से पिछले कुछ महीनों का हाल है. जब से कोविड महामारी ने दस्तक दी उसके बाद से ब्लड डोनेशन में कमी आई है.'

विश्व रक्तदाता दिवस आज (फाइल फोटो)
विश्व रक्तदाता दिवस आज (फाइल फोटो)
इन बातों का रखें ध्यान
इन बातों का रखें ध्यान

'लोग नहीं कर रहे रक्तदान' : उन्होंने कहा कि 'महामारी के समय पर अपनों ने ही अपनों का साथ छोड़ दिया था. एक ऐसा दौर था जब लोग घर के बाहर निकलने से कतरा रहे थे. किसी अपने को खून की आवश्यकता हो रही थी तो लोग घर के बाहर नहीं निकल रहे थे. ऐसी स्थिति में बहुत सारी एनजीओ ने ऐसे लोगों की मदद की. जाहिर तौर पर ब्लड बैंक में मौजूदा समय में डोनेशन कम हो रहा है. कोविड से पहले लोग खुद चलकर आते थे और स्वैच्छिक रक्तदान करते थे, लेकिन वर्तमान में स्थिति ऐसी है कि ब्लड बैंक में लोग स्वैच्छिक रक्तदान के लिए नहीं आ रहे हैं.'

रक्तदान वजन कम करने में कारगर
रक्तदान वजन कम करने में कारगर

बातचीत के दौरान काउंसलर रुचि ने बताया कि 'बाकी ब्लड ग्रुप एक तरफ लेकिन जो नेगेटिव ब्लड ग्रुप है उनकी कमी हर समय बरकरार रहती है. 15 से 16 यूनिट की मांग होती है तो केवल एक से दो यूनिट डोनेशन होता है. नेगेटिव ब्लड ग्रुप के डोनेशन के लिए बड़ी मशक्कत करनी पड़ती है और बड़ी मुश्किल से लोग रक्तदान के लिए कन्वेंस होते हैं. आपूर्ति से ज्यादा मांग होती है तो इसलिए ब्लड बैंक में नेगेटिव ब्लड ग्रुप की कमी रहती है. इसके लिए यही है कि लोग अधिक से अधिक मोटिवेट हों और ब्लड डोनेशन के लिए आगे बढ़ें.'

जानकारी देते लोकबंधु अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. अजय शंकर त्रिपाठी.
जानकारी देते लोकबंधु अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. अजय शंकर त्रिपाठी.

ब्लड लेने से पहले होती है यह जांच : काउंसलर रुचि ने बताया कि 'किसी भी व्यक्ति का रक्त लेने से पहले हम उसका कुछ परीक्षण करते हैं. रक्तदान होने से पहले उन्हें यह बताया जाता है कि वह अपनी नींद पूरी लेकर आएं, खाना खाकर आएं, किसी तरह का स्ट्रेस न लिए हों और अगर उन्हें कोई बीमारी है तो वह खुल कर बताएं. और साथ ही बीपी शुगर इत्यादि चीजों का परीक्षण होता है, उसके बाद किसी व्यक्ति का ब्लड लिया जाता है. इसके लिए बकायदा व्यक्ति का ब्लड डोनेशन का फॉर्म भरा जाता है, उसमें यह सारी बातें लिखी होती हैं. डायबिटीज के ऐसे मरीज जो इंसुलिन पर चल रहे हैं उनका रक्त नहीं लिया जाता है.'

डोनेशन के बाद ब्लड की यह पांच जांच अनिवार्य : उन्होंने बताया कि 'जब व्यक्ति ब्लड डोनेट कर देता है उसके बाद पांच प्रमुख बीमारियों की जांच होती है. जिसमें हेपेटाइटिस-बी, हेपेटाइटिस-सी, एचआईवी, मलेरिया आदि शामिल हैं. ब्लड बैंक में रक्तदान करने के बाद इन पांचों की जांच बहुत ही बारीकी से होती है और अगर किसी रक्तदाता के खून में इन पांचों में से किसी भी बीमारी के बारे में पता चलता है तो उस खून को नहीं लिया जाता है और इसके बाद संबंधित व्यक्ति को यह सूचित किया जाता है कि उसके खून में इस बीमारी को देखा गया है. व्यक्ति को बताया जाता है कि वह बीमारी का समुचित इलाज कराएं.'

रक्तदान शिविर के साथ होंगे कार्यक्रम : उन्होंने बताया कि 'हर साल 14 जून को विश्व रक्तदाता दिवस मनाया जाता है और इस दिन हमारे यहां नुक्कड़ नाटक के जरिए रक्तदान के महत्व को आम जनता, मरीजों व तीमारदारों को बताया जाता है. इसके अलावा इस बार भी यही सारे कार्यक्रम होंगे और दो जगह पर रक्तदान शिविर लगाया गया है. स्कूल-कॉलेजों में भी स्टूडेंट्स को रक्तदान के लिए प्रेरित किया जाएगा. इस तरह के जब कार्यक्रम होते हैं तो लोग मोटिवेट होते हैं और फिर रक्तदान के लिए आगे आते हैं. उन्होंने बताया कि रक्तदान के महत्व के बारे में समझाते थे तो बहुत ही आसानी से लोग कन्वेंस हो जाते थे, लेकिन मौजूदा समय में कोविड-19 के बाद से स्थिति पहले जैसी नहीं रह गई है. लोगों को ज्यादा से ज्यादा मोटिवेट करना पड़ता है फिर भी लोग रक्तदान के लिए आगे नहीं बढ़ते हैं, लेकिन हमें हार नहीं मानना है.'

विश्व रक्तदाता दिवस मनाए जाने का कारण : काउंसलर रूची ने बताया कि 'वैज्ञानिक कार्ल लैंडस्टीनर ने ब्लड ग्रुप सिस्टम की खोज की थी. उनके इस योगदान के लिए 1930 में कार्ल लैंडस्टीनर को नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. रक्तदाता दिवस वैज्ञानिक कार्ल लैंडस्टीनर को समर्पित है, जिनका जन्मदिन 14 जून को होता है.'

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लखनऊ : विश्व रक्तदाता दिवस हर साल 14 जून को मनाया जाता है. हर वर्ष रक्तदाता दिवस की एक खास थीम होती है. इस वर्ष विश्व रक्तदाता दिवस 2023 की थीम 'रक्त दो, प्लाज्मा दो, जीवन साझा करो, अक्सर साझा करो' रखा गया है. विश्व रक्तदाता दिवस मनाए जाने का प्रमुख कारण है कि समाज में सभी वर्ग के लोग रक्तदान के प्रति जागरूक हों और स्वयं रक्तदान के लिए आगे बढ़ें. वर्ष 2004 से विश्व रक्तदाता दिवस मनाया जा रहा है. हर साल इसकी थीम अलग-अलग डब्ल्यूएचओ के द्वारा निर्धारित की जाती है.

विश्व रक्तदाता दिवस आज
विश्व रक्तदाता दिवस आज
विश्व रक्तदाता दिवस हर साल 14 जून को मनाया जाता है
विश्व रक्तदाता दिवस हर साल 14 जून को मनाया जाता है

बलरामपुर अस्पताल के ब्लड बैंक की काउंसलर रुचि मिश्रा ने बताया कि 'कोविड-19 के बाद से लगातार ब्लड बैंक में खून की कमी बनी हुई है. जितने की आवश्यकता होती है उतनी पूर्ति नहीं हो पाती है. कुछ महीने ऐसे होते हैं जिसमें ब्लड डोनेशन कम होता है, लेकिन डिमांड अधिक होती है. पिछले महीने मई में ब्लड बैंक में 655 यूनिट ब्लड डोनेट हुआ था, लेकिन 775 यूनिट ब्लड की डिमांड हुई थी. इसी तरह से पिछले कुछ महीनों का हाल है. जब से कोविड महामारी ने दस्तक दी उसके बाद से ब्लड डोनेशन में कमी आई है.'

विश्व रक्तदाता दिवस आज (फाइल फोटो)
विश्व रक्तदाता दिवस आज (फाइल फोटो)
इन बातों का रखें ध्यान
इन बातों का रखें ध्यान

'लोग नहीं कर रहे रक्तदान' : उन्होंने कहा कि 'महामारी के समय पर अपनों ने ही अपनों का साथ छोड़ दिया था. एक ऐसा दौर था जब लोग घर के बाहर निकलने से कतरा रहे थे. किसी अपने को खून की आवश्यकता हो रही थी तो लोग घर के बाहर नहीं निकल रहे थे. ऐसी स्थिति में बहुत सारी एनजीओ ने ऐसे लोगों की मदद की. जाहिर तौर पर ब्लड बैंक में मौजूदा समय में डोनेशन कम हो रहा है. कोविड से पहले लोग खुद चलकर आते थे और स्वैच्छिक रक्तदान करते थे, लेकिन वर्तमान में स्थिति ऐसी है कि ब्लड बैंक में लोग स्वैच्छिक रक्तदान के लिए नहीं आ रहे हैं.'

रक्तदान वजन कम करने में कारगर
रक्तदान वजन कम करने में कारगर

बातचीत के दौरान काउंसलर रुचि ने बताया कि 'बाकी ब्लड ग्रुप एक तरफ लेकिन जो नेगेटिव ब्लड ग्रुप है उनकी कमी हर समय बरकरार रहती है. 15 से 16 यूनिट की मांग होती है तो केवल एक से दो यूनिट डोनेशन होता है. नेगेटिव ब्लड ग्रुप के डोनेशन के लिए बड़ी मशक्कत करनी पड़ती है और बड़ी मुश्किल से लोग रक्तदान के लिए कन्वेंस होते हैं. आपूर्ति से ज्यादा मांग होती है तो इसलिए ब्लड बैंक में नेगेटिव ब्लड ग्रुप की कमी रहती है. इसके लिए यही है कि लोग अधिक से अधिक मोटिवेट हों और ब्लड डोनेशन के लिए आगे बढ़ें.'

जानकारी देते लोकबंधु अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. अजय शंकर त्रिपाठी.
जानकारी देते लोकबंधु अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. अजय शंकर त्रिपाठी.

ब्लड लेने से पहले होती है यह जांच : काउंसलर रुचि ने बताया कि 'किसी भी व्यक्ति का रक्त लेने से पहले हम उसका कुछ परीक्षण करते हैं. रक्तदान होने से पहले उन्हें यह बताया जाता है कि वह अपनी नींद पूरी लेकर आएं, खाना खाकर आएं, किसी तरह का स्ट्रेस न लिए हों और अगर उन्हें कोई बीमारी है तो वह खुल कर बताएं. और साथ ही बीपी शुगर इत्यादि चीजों का परीक्षण होता है, उसके बाद किसी व्यक्ति का ब्लड लिया जाता है. इसके लिए बकायदा व्यक्ति का ब्लड डोनेशन का फॉर्म भरा जाता है, उसमें यह सारी बातें लिखी होती हैं. डायबिटीज के ऐसे मरीज जो इंसुलिन पर चल रहे हैं उनका रक्त नहीं लिया जाता है.'

डोनेशन के बाद ब्लड की यह पांच जांच अनिवार्य : उन्होंने बताया कि 'जब व्यक्ति ब्लड डोनेट कर देता है उसके बाद पांच प्रमुख बीमारियों की जांच होती है. जिसमें हेपेटाइटिस-बी, हेपेटाइटिस-सी, एचआईवी, मलेरिया आदि शामिल हैं. ब्लड बैंक में रक्तदान करने के बाद इन पांचों की जांच बहुत ही बारीकी से होती है और अगर किसी रक्तदाता के खून में इन पांचों में से किसी भी बीमारी के बारे में पता चलता है तो उस खून को नहीं लिया जाता है और इसके बाद संबंधित व्यक्ति को यह सूचित किया जाता है कि उसके खून में इस बीमारी को देखा गया है. व्यक्ति को बताया जाता है कि वह बीमारी का समुचित इलाज कराएं.'

रक्तदान शिविर के साथ होंगे कार्यक्रम : उन्होंने बताया कि 'हर साल 14 जून को विश्व रक्तदाता दिवस मनाया जाता है और इस दिन हमारे यहां नुक्कड़ नाटक के जरिए रक्तदान के महत्व को आम जनता, मरीजों व तीमारदारों को बताया जाता है. इसके अलावा इस बार भी यही सारे कार्यक्रम होंगे और दो जगह पर रक्तदान शिविर लगाया गया है. स्कूल-कॉलेजों में भी स्टूडेंट्स को रक्तदान के लिए प्रेरित किया जाएगा. इस तरह के जब कार्यक्रम होते हैं तो लोग मोटिवेट होते हैं और फिर रक्तदान के लिए आगे आते हैं. उन्होंने बताया कि रक्तदान के महत्व के बारे में समझाते थे तो बहुत ही आसानी से लोग कन्वेंस हो जाते थे, लेकिन मौजूदा समय में कोविड-19 के बाद से स्थिति पहले जैसी नहीं रह गई है. लोगों को ज्यादा से ज्यादा मोटिवेट करना पड़ता है फिर भी लोग रक्तदान के लिए आगे नहीं बढ़ते हैं, लेकिन हमें हार नहीं मानना है.'

विश्व रक्तदाता दिवस मनाए जाने का कारण : काउंसलर रूची ने बताया कि 'वैज्ञानिक कार्ल लैंडस्टीनर ने ब्लड ग्रुप सिस्टम की खोज की थी. उनके इस योगदान के लिए 1930 में कार्ल लैंडस्टीनर को नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. रक्तदाता दिवस वैज्ञानिक कार्ल लैंडस्टीनर को समर्पित है, जिनका जन्मदिन 14 जून को होता है.'

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Last Updated : Jun 14, 2023, 4:11 PM IST
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