लखनऊ: उत्तर प्रदेश में प्रथम चरण के तहत पहले दिन का वैक्सीनेशन शनिवार को पूरा कर लिया गया है. पहले दिन 71% लाभार्थियों को वैक्सीन लगाया गया. उत्तर प्रदेश में पहले दिन 31,700 लोगों को वैक्सीन का टीका लगाना था. इस दौरान जहां वैक्सीनेशन के लिए एक प्रक्रिया निर्धारित की गई थी, तो वहीं दूसरी ओर वैक्सीनेशन के बाद बचने वाले बायोवेस्ट कचरे के निस्तारण की उचित व्यवस्था की गई.
वैक्सीनेशन के बाद बचने वाली सीरिंज और वैक्सीन की कांच की शीशी के निस्तारण के लिए वैक्सीनेशन सेंटर पर पर्याप्त मात्रा में विभिन्न तरह के डस्टबिन मौजूद रहे. वैक्सीनेशन सेंटर पर 4 तरह के डस्टबिन मौजूद रहे, जिसमें अलग-अलग तरह के बायोवेस्ट कचरे को डिस्पोज किया गया.
4 तरह के डस्टबिन में फेंका गया बायोवेस्ट कचरा
वैक्सीनेशन में प्रयोग होने वाली सीरिंज, प्रयोग किए गए दस्ताने, लाल रंग के डस्टबिन में डिस्पोज किए गए. कर्मचारियों को जो ट्रेनिंग दी गई है उसके तहत संक्रमित वेस्ट का निस्तारण किया गया.
नीले रंग के डस्टबिन में डिस्पोज की जा रही शीशी
जिन शीशियों में भरकर वैक्सीन को वैक्सीनेशन सेंटर पर पहुंचाया जाता है, उसके डिस्पोजल के लिए वैक्सीनेशन सेंटर पर नीले रंग के डस्टबिन का प्रबंध किया गया है. वैक्सीनेशन के बाद बची शीशियों के लिए नीले रंग के डस्टबिन का प्रयोग किया जा रहा है. इसी के साथ असंक्रमित वेस्ट जैसे कि खाद अपशिष्ट, रद्दी कागज जैसे कूड़े के निस्तारण के लिए काले रंग के डस्टबिन भी वैक्सीनेशन सेंटर पर मौजूद रहे. संक्रमित प्लास्टिक रहित कूड़ा जैसे कि मानव अंग, खराब हुई दवाई, उपयोग की गई रुई को पीले रंग के डस्टबिन में डिस्चार्ज किया गया.
बायो वेस्ट के डिस्पोजल के लिए 1000 कर्मचारियों को दी गई ट्रेनिंग
वैक्सीनेशन प्रभारी एमके सिंह ने ईटीवी भारत को जानकारी देते हुए बताया कि राजधानी लखनऊ में वैक्सीनेशन के लिए 200 बूथ बनाए गए हैं. जहां पर वैक्सीनेशन के लिए स्वास्थ्य विभाग के 1000 कर्मचारियों को तैनात किया गया है. सभी कर्मचारियों को बायोवेस्ट के डिस्पोजल के संदर्भ में ट्रेनिंग दी गई है, जिसके आधार पर ही वैक्सीनेशन में बचने वाले बायोवेस्ट का डिस्पोजल किया जा रहा है.
केजीएमयू में 200 कर्मचारियों को दी गई ट्रेनिंग
केजीएमयू वैक्सीनेशन के नोडल अधिकारी डॉ. निशांत ने जानकारी देते हुए बताया कि प्रत्येक बूथ पर तैनात वैक्सीनेटर व वैक्सीन अधिकारियों को बायोवेस्ट डिस्पोजल के संदर्भ में ट्रेनिंग दी गई है. इस ट्रेनिंग की मदद से बायोवेस्ट का डिस्पोजल सुनिश्चित किया जा रहा है. किसी तरह की अव्यवस्था न हो इसको लेकर खुद आला अधिकारी सक्रिय रहते हैं. केजीएमयू में लगभग 200 कर्मचारियों को वैक्सीनेशन के दौरान बायोवेस्ट के डिस्पोजल के बारे में प्रशिक्षण दिया गया है.