लखनऊ : बेसिक शिक्षा परिषद के विद्यालयों में कार्यरत वरिष्ठ शिक्षक जिनका करीब एक दशक से अधिक समय पहले स्थानांतरण हो चुका है, वह दूसरे अंतर्जनपदीय स्थानांतरण की मांग को लेकर काफी परेशान हैं. विशेष तौर पर विभाग में कार्यरत महिला शिक्षिकाओं ने अंतर्जनपदीय पारस्परिक स्थानांतरण 2023-24 की प्रक्रिया के अंतर्गत आवेदन किया है, लेकिन उन्हें दूसरे बार मौका न देने की बात कहकर विभाग ने उनके आवेदन को निरस्त कर दिया है. ऐसे में गुरुवार को मुख्यमंत्री के जनता दरबार में मिलने के लिए शिक्षकों का एक दल कालिदास मार्ग पहुंचा था, लेकिन पुलिस ने उन्हें मुख्यमंत्री आवास के बाहर ही रोक लिया.
इस मामले में शिक्षक दल में शामिल महिला शिक्षकों का कहना था कि 'हम मुख्यमंत्री से मिलकर अपने स्थानांतरण की बात कहना चाहते हैं, क्योंकि स्थानांतरण देने का अधिकार सरकार के हाथ में निहित है. ऐसे में हमारी मांग है कि रक्षाबंधन के अवसर पर मुख्यमंत्री हमें स्थानांतरण का तोहफा दें. मुख्यमंत्री से मिलने पहुंचे शिक्षकों का कहना है कि दुर्भाग्य से पिछले अंतर्जनपदीय स्थानांतरण में अनेक शिक्षकों को गृह जनपद नहीं मिल पाया था, जिसके कारण उनके माता-पिता व परिवार की देखभाल करने का दायित्व उन शिक्षकों के ऊपर होने के कारण नैतिक दायित्व का निर्वहन करने में दिक्कत आ रही है. गृह जनपद मिलने पर प्रभावित शिक्षक गुणवत्ता रूप से विद्यालय के बच्चों को अपना 100% योगदान प्रदान कर सकते हैं.
मुख्यमंत्री से मिलने पहुंचे शिक्षक राकेश चतुर्वेदी का कहना है कि 'पारस्परिक स्थानांतरण से शैक्षिक गुणवत्ता एवं छात्र शिक्षक अनुपात पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा और ना ही किसी जनपद की शिक्षा व्यवस्था प्रभावित होगी. बल्कि गृह जनपद मिलने पर प्रभावित शिक्षक शिक्षिकाएं सकारात्मक वातावरण में प्रभावी एवं गुणात्मक रूप से विद्यालय की शिक्षण व्यवस्था में अपना शत प्रतिशत योगदान कर सकेंगे. उन्होंने कहा कि बेसिक शिक्षा विभाग में प्राथमिक शिक्षकों के तबादले की एक नीति बनाई है, जिसमें सेवाकाल, दिव्यांगता, पति पत्नी, असाध्य बीमारी और शिक्षक महिला या पुरुष आदि जैसे वर्ग रखे हैं. विभाग ने स्थानांतरण में इसके लिए अलग-अलग अंक निर्धारित किया है. बेसिक शिक्षा विभाग में भारी संख्या में ऐसे शिक्षक अभी भी दूसरे जनपदों में तैनात हैं जिन्हें एक बात स्थानांतरण पहले मिल चुका है.'
राकेश चतुर्वेदी ने बताया कि 'उनको करीब 10 साल पहले विभाग से स्थानांतरण मिला था. अब विभाग उनको दूसरा स्थानांतरण नहीं दे रहा है. विभाग का कहना है कि दूसरी बार स्थानांतरण का कोई नियम नहीं है, जबकि विभाग के आदेश में पति-पत्नी को एक जनपद में रखने का भी नियम है. ऐसे में 10 साल पहले सैकड़ों शिक्षकों को जब स्थानांतरण दिया गया था तब उनमें से काफियों की शादी नहीं हुई थी. अब ऐसे में मौजूदा समय विभाग में हजारों शिक्षक ऐसे हैं जो गैर जनपद में तैनात हैं और उनका परिवार दूसरे जनपद में है. सरकार नई नियुक्ति पाने वाले शिक्षकों को स्थानांतरण तो दे रहा है, लेकिन अपने पुराने शिक्षकों को इस प्रक्रिया से बाहर कर देता है.'
'आवेदन तो लेते हैं पर ट्रांसफर नहीं देते हैं' : मुख्यमंत्री से मिलने पहुंचे दूसरे शिक्षक सुनील कुमार पांडे ने बताया कि 'इस मामले में हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल की थी. जिस पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने हमें दूसरी बार स्थानांतरण के लिए आवेदन करने का मौका तो दिया है, लेकिन ट्रांसफर करने का अधिकार सरकार के पास ही रखा था. ऐसे में बार-बार आवेदन करने के बाद भी हमको दूसरी बार स्थानांतरण पाने का अधिकार नहीं मिल पा रहा है, क्योंकि सरकार हमें दूसरी बार ट्रांसफर नहीं देने की बात कहकर हमारे आवेदन को निरस्त कर देती है. ऐसे में इस मामले को लेकर एक रिट उच्चतम न्यायालय में भी दाखिल की गई है. मुख्यमंत्री से मिलने पहुंचे शिक्षकों का कहना है कि उन्हें अंतर्जनपदीय स्थानांतरण में पारस्परिक स्थानांतरण पाने का मौका दिया जाए, जिससे जो शिक्षक अपने परिवार से दूर हैं उन्हें अपने परिवार के साथ जनपद में रहने का मौका मिल सके.'